पेरिस की बेनेरिस जिरार्ड को सता रही गंगा की चिंता
पेरिस युनिवर्सिटी की बेनेरिस जिरार्ड ने पटना से भागलपुर तक के सफर में सुल्तानगंज, अकबरनगर, आदमपुर, खंजरपुर, बरारी स्थित गंगा के किनारे बसे ग्रामीण और शहरी आबादी को नजदीक से देखा।
भागलपुर (कौशल किशोर मिश्र)। गंगा नदी पर शोध पूरा करने वाली पेरिस युनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर बेनेरिस जिरार्ड को गंगा नदी की सुरक्षा की चिंता सता रही है। नदी के किनारे फैले कचरे और गंदगी फैलाने वाले लोगों की संवेदनहीनता पर हतप्रभ है। गंगा को मां का दर्जा देने वाले लोगों से गंगा नदी में गंदगी फैलाने की प्रवृति और बढ़ते प्रदूषण पर लोगों की बेफिक्री को बताती है। पटना से भागलपुर तक के सफर में सुल्तानगंज, अकबरनगर, आदमपुर, खंजरपुर, बरारी स्थित गंगा के किनारे बसे ग्रामीण और शहरी आबादी को नजदीक से देखा। यहां के लोगों का गंगा के प्रति अगाध प्रेम को लेकर वह गदगद हुई।
उसे इसकी खुशी है लेकिन गंगा में फैलाई जा रही गंदगी से लोगों को अगाह भी कर रही है। बेनेरिस ने बताया कि ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़े जो गंगा को सुरक्षित और संरक्षित रखने की दिशा में लोगों को जागरूक करें। गंगा नदी में गंदगी फैलाने वालों को उसके बुरे परिणाम से अवगत कराए ताकि जिस गंगा नदी को मइया का दर्जा उनके दिलों में है, वह दर्जा बरकरार रख सके। गंगा के उद्गम स्थल से लेकर कोलकाता, वाराणसी, कानपुर, लखनऊ, ऋषिकेश, हरिद्वार, पटना होते हुए भागलपुर पहुंची बेनेरिस गंगा नदी की दुर्दशा से दु:खी है।
प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव और गंगा को बचाने की दिशा में अबतक किए जा रहे प्रयास का परिणाम सामने नहीं आने को वह इसके अस्तित्व पर गंभीर खतरा बताती है। बेनेरिस का मानना है कि इसकी सुरक्षा और संरक्षा बहुत जरूरी है। बेनेरिस कहती हैं कि यह अचरज वाली बात है कि मां गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं। सिक्के, फल, फूल भी डालते हैं। लेकिन उसी गंगा नदी में कल-कारखाने के प्रदूषित कचरे, घरों और नाले के गंदे पानी भी प्रवाहित करते हैं। बेनेरिस लंदन की टेम्स नदी का भी हवाला देती हैं कि किस तरह वहां के लोग उस नदी को सुरक्षित रखे हुए हैं। इसी साल गंगा नदी पर रिसर्च पूरा करने वाली पेरिस की मेजेंटा क्षेत्र निवासी बेनेरिस जिरार्ड अब उर्जा के नए स्त्रोत और उसमें विकास की संभावना पर अध्ययन कर रही है। इस दिशा में वह भागलपुर के ग्रामीण और शहरी इलाके के दर्जनों लोगों से संपर्क कर उनसे घंटों बात कर उनकी रूचि और वैकल्पिक उर्जा की जरूरतों को समझा।
इस क्रम में सुल्तानगंज, अकबरनगर, शाहकुंड, सजौर आदि इलाके का भ्रमण की। ब्रीडा से जुड़े इंजीनियरों से भी बातें की। सोलर उर्जा और उसका ग्रामीण क्षेत्र में व्यापक इस्तेमाल की संभावना की भी जानकारी ली। ग्रामीण लोगों को वैकल्पिक उर्जा का इस्तेमाल खेती में करने के प्रति रूचि को विकास के क्षेत्र में अहम बताया है। इंडिया आने के पूर्व बेनेरिस को इंडिया के बारे में यह आकलन करती थी कि इंडिया ग्रीन होगा। यहां आने पर उसे महसूस भी हुआ कि सचमुच भारत मे हरियाली है। लोग प्रकृति प्रेमी हैं। बेनेरिस के पिता बेनार्ड जिरार्ड पेरिस के प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री थे। मां सिल्वी यूरोपियन लॉ की विशेषज्ञ एडवोकेट थी। दोनों अब दुनियां में नहीं हैं। बेनेरिस 20 साल की आयु में ही स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत भारत के पांडिचेरी युनिवर्सिटी पहुंच गई थी। उसके बाद वह रिसर्च स्कॉलर के रूप में दस साल बाद भारत पहुंची है। उसे भागलपुर के दियारा की आबादी और वहां के लोगों की दिनचर्या को नजदीक से जानने की कोशिश में जुटी है।