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एनएच की दुर्दशा ने रेलवे पर बढ़ाया यात्रियों का बोझ

भागलपुर। एनएच 80 की दुर्दशा ने रेलवे पर यात्रियों का बोझ बढ़ा दिया है। कहलगांव व पीरपैंती क

By Edited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 03:28 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 03:28 AM (IST)

भागलपुर। एनएच 80 की दुर्दशा ने रेलवे पर यात्रियों का बोझ बढ़ा दिया है। कहलगांव व पीरपैंती की ओर से आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या हाल के महीनों में बढ़ गई है। स्थिति यह कि स्टेशन से एक गाड़ी छूटते ही दूसरे गाड़ी का इंतजार करने वाले यात्रियों की संख्या दिखने लगती है।

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ध्वस्त एनएच 80 पर लगने वाले जाम और उड़ती धूल के कारण अब तो दोपहिया वाहनों से चलने वाले यात्री भी सड़क मार्ग से भागलपुर आने-जाने से परहेज कर गए थे। हालांकि भैना पुल के डाइवर्जन पर पानी आने और मसाढू पुल के क्षतिग्रस्त होने के कारण बड़े वाहनों के आवागमन की संख्या घटी है। सड़क पर जाम नहीं लग रहा है, पर सड़क चलने लायक नहीं है। हर कदम पर गढ्डे अवरोध बन जाते हैं। ऐसे में रेल रूट यात्रियों के आवागमन का इकलौता जरिया बचा है पर समस्याएं यहां भी हैं। कहलगांव के सचिन मिश्रा, राजीव उपाध्याय, विनोद कुमार, अनुपलाल आदि बताते हैं कि अब तो ट्रेन के टाइम के अनुसार चलना होता है। ऊपर से गाड़ियों में भीड़ के कारण बहुत मुश्किल होती है। हालांकि इन यात्रियों ने जोड़ा सड़क मार्ग में घंटों झेलने से बेहतर है कि रेलगाड़ी में पौन घंटे धक्के खा लेना। और सीट मिल गई तो सोने पर सुहागा।

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एक दर्जन ट्रेनें हैं इस रूट पर

इस रूट पर सात पैसेंजर और पांच एक्सप्रेस ट्रेनें नियमित तौर चलती हैं। अलसुबह में कटुआ पैसेंजर के बाद सुबह 10 बजे के पहले बरौनी और वर्दमान पैसेंजर भी निकल जाती है। 11.40 में धूलियान, इसके एक घंटे बाद गया-रामपुर हाट और शाम में लोकल व रात में राजगीर-हावड़ा पैसेंजर ट्रेन हैं। रेलवे सूत्रों के अनुसार सुबह की गाड़ियों के पैसेंजर लगभग तय होते हैं। दोपहर और इसके बाद के ट्रेनों में यात्रियों की संख्या बढ़ी है। खासकर वनांचल और इंटरसिटी एक्सप्रेस में यात्रियों का अधिक जोर दिखता है। पहले शाम वाली लोकल में यात्रियों का अधिक भीड़ नहीं दिखती थी, पर हाल के महीनों में इस ट्रेन में भी खासी भीड़ हो जा रही है। ऐसा सड़क की दुर्दशा के कारण ही है। स्टेशन के हाव-भाव को नजदीक से देखने वाले रेलवे कर्मियों ने बताया कि लोकल के बाद गया-हावड़ा एक्सप्रेस और ब्रह्मापुत्र मेल है। कहलगांव और आगे जाने वाले कुछ रइस दिखने वाले बेटिकट यात्री लोकल ट्रेन को जानबूझकर भी छोड़ देते हैं।

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भीड़ घटने की संभावना नहीं

हाल-फिलहाल इस भीड़ में कोई कमी होने की संभावना नहीं दिखती। यात्री संतोष कुमार चौधरी, सुरेश पासवान के अनुसार वे सब पहले अक्सर अपने वाहनों से भागलपुर आते थे। भागलपुर में कामकाज के लिए इधर-उधर जाना पड़ता था सो अपना वाहन जरूरी है, पर अब रेल से आने-जाने की आदत लग गई है। मोटरसाइकिल यहीं रिश्तेदार के घर रख दिया है। यह कहने पर कि अभी भैना नदी के डायवर्जन पर पानी भर गया है, इन यात्रियों ने कहा ठीक है कि जाम नहीं लगेगा, पर खराब सड़क में धूल कौन खाए? धक्का-मुक्की होती है पर अब तो ट्रेन ही सही है।

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सबौर है पसंदीदा स्टेशन

कहलगांव-पीरपैंती से आने वाले यात्रियों के लिए सुबह की एक्सप्रेस ट्रेनें और नौ बजे वाली जरूरत वाली रेलगाड़ी है। अधिकतर बेटिकट यात्रियों के लिए सबौर स्टेशन पसंदीदा जगह है, जहां वे उतर जाते हैं। यहां चेकिंग का सामना होने का खतरा नहीं के बराबर होता है।

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कहलगांव की ओर से आने वाले यात्रियों को तीन बजे साहिबगंज-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस के बाद भागलपुर आने का कोई साधन नहीं होता। शाम सात बजे करीब बरौनी पैसेंजर आती है। नियमित यात्री मनोज कुमार के अनुसार चार घंटे का यह इंतजार अखरता है पर कोई उनके पास कोई रास्ता भी नहीं होता।

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यात्रियों का शातिर अंदाज

यात्रियों का शातिर अंदाज यह कि शाम को भागलपुर-मालदा इंटरसिटी एक्सप्रेस से कहलगांव जा रहे यात्रियों ने प्रतिक्रिया तो दी, अपनी भावनाएं भी व्यक्त की, पर अलग-अलग तस्वीर लेने से मना कर दिया। ऐसा क्यों पूछने पर एक लड़के ने भोजपुरी में बेहयाई से कहा- टिकट नइखे न! फोटवा छपी और कुच्छु उल्टा लिखा जाइ त कल हमनी जा ही फंसब न!


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