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डेढ़ साल में सिर्फ चार फर्जी चिकित्सकों पर कार्रवाई

जिले में फर्जी चिकित्सकों की भरमार है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में तो कदम-कदम पर झोलाछाप चिकित्सक अपनी-अपनी दुकानें खोलकर बैठे हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Jul 2017 02:40 AM (IST)Updated: Thu, 13 Jul 2017 02:40 AM (IST)
डेढ़ साल में सिर्फ चार फर्जी चिकित्सकों पर कार्रवाई

भागलपुर [अशोक अनंत]

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जिले में फर्जी चिकित्सकों की भरमार है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में तो कदम-कदम पर झोलाछाप चिकित्सक अपनी-अपनी दुकानें खोलकर बैठे हुए हैं। लेकिन औषधि विभाग सबकुछ जानते हुए अनजान बना हुआ है। ऐसी तब लापरवाही बरती जा रही है जब शासन व प्रशासन के आलाधिकारी फर्जी चिकित्सकों की पहचान करने के निर्देश दे चुके हैं। विभाग की सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डेढ़ साल में सिर्फ चार फर्जी चिकित्सक ही पकड़े गए हैं। वह भी स्थानीय लोगों की सूचना पर।

यदि दवा दुकानों की जांच नहीं हो तो फर्जी चिकित्सकों की पहचान भी होना मुश्किल है। बिना लाइसेंस चल रही दवा दुकानों में छापेमारी किए जाने के बाद फर्जी चिकित्सकों की पहचान हो पाती है। जबकि जिले के प्रत्येक गांवों में फर्जी चिकित्सक वहां मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दरअसल, जिले में फर्जी चिकित्सकों की पहचान करने का काम बंद है। जबकि सिविल सर्जन भी औषधि विभाग को फर्जी चिकित्सकों की सूची बनाने का निर्देश दे चुके हैं।

स्वास्थ्य निदेशक का निर्देश भी रद्दी की टोकरी में

स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) डॉ. केपी सिन्हा ने दिसंबर 2016 को सिविल सर्जन को भेजे गए पत्र में स्पष्ट कहा था कि जिले के झोलाछाप चिकित्सकों को चिन्हित कर उनकी सूची उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने मई 2016 तक कार्रवाई का प्रतिवेदन मांगा था। लेकिन अब तक उन्हें कार्रवाई का प्रतिवेदन नहीं भेजा गया है। सिविल सर्जन विजय कुमार ने निदेशक प्रमुख के पत्र का हवाला देकर औषधि विभाग को फर्जी चिकित्सकों की सूची बनाने का निर्देश दिया था। हालांकि इसके बाद औषधि निरीक्षक जीतेंद्र कुमार ने निरीक्षण के क्रम में टीम में एक चिकित्सक को शामिल करने का आग्रह किया, ताकि चिकित्सक की डिग्री की जांच की जा सके। इस बीच 30 दिसंबर को सिविल सर्जन द्वारा पुन: औषधि निरीक्षक को भेजे गए पत्र में यह स्पष्ट किया गया कि फर्जी चिकित्सकों की सूची बनाने का निर्देश दिया गया है न कि कार्रवाई करने के संबंध में।

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2016 में हुई फर्जी चिकित्सकों पर कार्रवाई

-नौ अगस्त : बाथ थाना अंतर्गत सुल्तानपुर में शैलेश कुमार उर्फ शैलेश मंडल को बिना डिग्री मरीजों का इलाज करने और बिना लाइसेंस दवा बेचते पकड़ा गया था। उनके पास से 66 प्रकार की दवाएं जब्त की गई थीं।

-सात सितंबर : लहेरी टोला स्थित दुकान से बिना लाइसेंस बेची जा रहीं 263 प्रकार की दवाएं जब्त की गई थीं। इतना ही नहीं चिकित्सक की डिग्री भी वैद्य नहीं थी।

-25 नवंबर : रंगरा सधवा चापर के प्रवेज कुमार के यहां भी 173 प्रकार की दवाएं जब्त की गई थीं। साथ ही उनके पास डिग्री भी नहीं थी।

- 11 जुलाई 2017 : शिवनारायणपुर में एक फर्जी चिकित्सक की पहचान कर उसे गिरफ्तार किया गया। साथ ही 120 प्रकार की दवाएं भी जब्त की गई।

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कोट :

शीघ्र ही औषधि निरीक्षकों को फर्जी चिकित्सकों की सूची देने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने पत्र लिखकर निर्देश दिया है।

-डॉ. विजय कुमार, सिविल सर्जन


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