बाढ़ के दौरान विस्थापितों को नहीं होगी परेशानी
इस बार बाढ़ के दौरान विस्थापितों को परेशानी नहीं होगी।
भागलपुर। इस बार बाढ़ के दौरान विस्थापितों को परेशानी नहीं होगी। इसके लिए बाढ़ आने से पहले पांच मेगा राहत कैंप बनाए जाएंगे। पशुचारा भी पहले से स्टॉक कर लिया जाएगा। कैंप में अन्य इंतजाम भी दुरुस्त होंगे। हर कैंप का प्रभार बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के जिम्मे होगा। पिछले वर्ष बाढ़ के दौरान हुई गड़बड़ियों से सबक लेते हुए प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। मंगलवार को प्रमंडलीय आयुक्त अजय कुमार चौधरी ने बाढ़ की तैयारियों की उच्चस्तरीय समीक्षा की। डीएम ने बताया कि तटबंध मरम्मत करने का काम शुरू कर दिया गया है। बाढ़ 15 जुलाई तक आती है। इसके पहले काम पूरा हो जाएगा।
अन्य विभागों ने भी दिया ब्यौरा
पीएचइडी और स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी तैयारी का ब्यौरा दिया। आयुक्त ने व्यवहारिक सुझाव के साथ इसमें कई बड़े बदालव करने का निर्देश दिया। बैठक में एसएसपी, डीडीसी और सभी एसडीओ शामिल थे।
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चापकल लगाने वाले ग्रामीण मिस्त्री रखे जाएंगे अनुबंध पर
बैठक में तय हुआ कि पीइचइडी विभाग मेगा कैंप या ऊंचे स्थलों पर चापाकल को सुचारू रखने के लिए संबंधित इलाके के मिस्त्री को अनुबंध पर रखेगा। बाढ़ के दौरान इनकी जिम्मेदारी होगी कि अगर प्रभावित इलाके में कोई चापकल खराब होता है तो वे इसे तीन घंटे में मरम्मत करें। और यदि बदलने की जरूरत होगी तो 24 घंटे के अंदर बदल दें। पिछले साल बाढ़ में चापाकल की समस्या भी जोर से उठी थी। आयुक्त ने पीएचइडी विभाग से चापाकल लगाने की जानकारी ली। विभाग के प्रतिनिधि ने कहा कि एक चापाकल से डेढ़ सौ लोगों की जरूरत पूरी होती है, इसी आधार पर चापाकल लगाए जा रहे हैं। इसपर आयुक्त ने व्यवहारिक सुझाव के साथ निर्देश दिया कि पिछले वर्ष के आंकड़े उपलब्ध करें कि कहां कितने बाढ़ पीड़ितों ने शरण लिया था। इसी आधार पर चापाकल लगाएं, न कि मनमर्जी से। ऐसे में जरूरत वाले जगह पर कम और बिना जरूरत वाले जगहों पर बहुत सारा चापकल लगने का संभावना रहती है।
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सांप काटने पर बचाव की सूई भी रहेगी
आयुक्त ने कहा कि मेगा कैंप हो या ऊंचाई वाले वैसे स्थल जहां पीड़ित शरण लेंगे वहां स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी के साथ डायरिया, बुखार की दवा के साथ सांप काटने पर बचाव की पांच-सात भाइल सूई रखेंगे। इन्हें ठंडा रखने के लिए आइस पैक खरीद लें। ताकि सांप काटने की दशा में उनका प्रारंभिक इलाज कैंप में ही शुरू हो जाए। इससे मरीज को पूरा इलाज देने के लिए पीएचसी या अस्पताल लाने में जान जाने की संभावना नहीं के बराबर रहेगी।
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कोट :-
'ईमानदार' व्यक्ति की होगी तलाश
कैंपों में काम करने वाले प्रशासनिक अधिकारी के नीचे पूरी व्यवस्था देखने वाला व्यक्ति 'ईमानदार' हो, यह मंशा आयुक्त ने जाहिर की। ऐसे में विभिन्न विभागों में ऐसे व्यक्ति की खोज की जा सकती है। आयुक्त ने बताया कि पिछली बार व्यवस्था देखने वाले कुछ गैर जवाबदेह किस्म के कर्मियों के कारण परेशानी हुई थी। इसलिए अपने काम के प्रति ईमानदार लोगों को ही इसकी जवाबदेही दी जानी चाहिए।
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डीएम को मिले अतिरिक्त शक्ति
आयुक्त ने बताया कि पिछली बार पशुचारा खरीद के कीमत बढ़ जाने को लेकर भारी परेशानी हुई थी। बाढ़ के समय जब जरूरत थी तो सूखा क्षेत्र के लोगों ने चारा की कीमत बढ़ा दी, जबकि सरकारी रेट तय थी। ऐसे में सरकार को एक प्रस्ताव भेजा जाएगा कि डीएम को इतनी शक्ति दी जाए कि विषम स्थिति में तय कीमत से 50 फीसद अधिक कीमत बढ़ने पर वह खरीद करा सकें और यदि इससे भी अधिक कीमत बढ़ती है तो विभाग से अनुमोदन लिया जाए।