कॉलेज के हॉस्टलों में सीट खाली, और निजी में फुल
भागलपुर। शहर के प्रतिष्ठित महिला कॉलेज में हॉस्टलों में सीट खाली रह जाती है। जबकि निजी
भागलपुर। शहर के प्रतिष्ठित महिला कॉलेज में हॉस्टलों में सीट खाली रह जाती है। जबकि निजी लॉजों में सीट हाउसफुल रहती है। कॉलेज के हॉस्टलों में छात्राओं को निजी लॉजों की अपेक्षा काफी फीस लगती है। बावजूद आजादी के लिए वह निजी लॉजों और हॉस्टलों को ज्यादा पसंद करती है। सुंदरवती महिला महाविद्यालय के कल्याण छात्रावास में छात्राओं के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है। किंतु यह पूरा हॉस्टल खाली है। छात्राएं यहां नहीं रह कर निजी लॉजों में मोटी रकम देकर रहती हैं। पूरे कॉलेज में सभी छात्रावास मिलाकर कुल सात सौ सीट है। मगर इसमें केवल 200 से 250 सीटों पर ही लड़कियां हैं।
कॉलेजों में होता अनुशासन का पालन
कॉलेज के महिला छात्रावासों में नियम कानून का कड़ाई से पालन कराया जाता है। यहां प्राचार्य और अधीक्षक की निगरानी में छात्राएं रहती है। हॉस्टल में आने जाने का समय निर्धारित है। वहां छात्रों और अभिभावकों के अलावा किसी से भी मिलने की पाबंदी है। इस वजह से कम ही छात्राएं कॉलेज के छात्रावासों को पसंद करती है। शाम को भी छात्राओं के लिए समय निर्धारित किया गया है। इसके बाद सभी छात्राओं का प्रतिदिन उपस्थिति बनाई जाती है। रात में सभी छात्राओं की गिनती होती है। ताकि कोई छात्रा धोखे से बाहर नहीं रह जाए। हालांकि कभी कभी कॉलेज कर्मचारी की मिली भगत से छात्राएं हॉस्टल से गायब होती है।
गायब होने पर परिजनों को तत्काल दी जाती है सूचना
कॉलेज के छात्रावासों में किसी भी छात्रा के गायब होने या समय से हॉस्टल नहीं पहुंचने की सूचना तत्काल कॉलेज प्रशासन और परिजनों को दी जाती है। ताकि छात्राओं के परिवार वालों को हर गतिविधि की जानकारी मिलती रहे। इसके अलावा समय समय से छात्राओं के अभिभावकों को कॉलेज प्रशासन बुलाकर बैठक भी करती है। ताकि लड़की के पढ़ाई, लिखाई और रहन सहन की जानकारी परिजनों को हो सके। कॉलेज के छात्रावासों में अनुशासन में रहने के लिए सख्त हिदायत होती है। इस कारण छात्राओं को यहां की सख्ती पसंद नहीं होती है। कारण छात्राएं निजी हॉस्टलों की तरफ ज्यादा भागती हैं।