कारतूस मिल नहीं रहे, अब तो बंदूकेंबनती जा रहीं लाठी
फर्ज कीजिए यदि आपके पास लाइसेंसी बंदूक तो है पर कारतूस नहीं। इसी बीच किसी अपराधी से सामना हो जाए तो आपकी स्थिति क्या होगी।
भागलपुर [समीर सिंह]
फर्ज कीजिए यदि आपके पास लाइसेंसी बंदूक तो है पर कारतूस नहीं। इसी बीच किसी अपराधी से सामना हो जाए तो आपकी स्थिति क्या होगी। सरकार के नए नियमो से लाइसेंसधारकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। काफी जद्दोजहद करने के बाद भी कारतूस नहीं मिल पा रहा है।
कारतूस खरीदने में फंस गया पेच
जिले के सभी गन हाउस में कारतूस उपलब्ध हैं। वर्तमान में 12 बोर की बंदूक के लिए छर्रा से लेकर बुलेट व एलजी तक उपलब्ध है। राइफल के कारतूस भी उपलब्ध हैं। .32 बोर की पिस्टल व रिवाल्वर के कारतूस भी उपलब्ध हैं। 30.06 की गोली भी बिकने के लिए तैयार है लेकिन आप भागलपुर में इन्हें खरीद ही नहीं पाएंगे। क्योंकि सरकारी नियम उतना पेंचिदा नहीं, जितना बाबुओं ने इसे बना दिया है।
क्या है नियम -
गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा, शस्त्र अनुभाग ने व्यक्ति विशेष के लिए शस्त्र एवं गोला बारूद क्रय नीति निर्धारित की है। इसका अनुपालन भागलपुर में जिला दंडाधिकारी ने तात्कालिक प्रभाव से लागू करा दिया है। भागलपुर के सभी अधिकृत शस्त्र प्रतिष्ठानों को निर्देश दिया गया है कि सक्षम प्राधिकार की अनुमति प्राप्त होने के बाद ही नामित शस्त्र अनुज्ञप्तिधारी को कारतूस दें। इसके लिए भागलपुर समाहरणालय ने एक फार्म जारी किया है। जिसमें लाइसेंसधारकों को कारतूस खरीदने से पहले यह बताना है कि आपके शस्त्र की अनुज्ञप्ति संख्या क्या है। किस प्रकार के शस्त्र के लिए आप कारतूस खरीदना चाहते हैं। पहले लिए गए कारतूस का आपने कहां प्रयोग किया। किस स्थान पर प्रयोग किया। फायर किए गए कारतूसों की संख्या कितनी है। फायर करने का उद्देश्य क्या था।
बाबुओं से लोग परेशान
नियम चाहे जो भी हो लेकिन अगर आप भागलपुर समाहरणालय जाएंगे तो वहां के बाबू लोग आपको खासा परेशान कर देंगे। ऐसी-ऐसी बातें करते हैं कि आपका मन नियमों से ज्यादा सिस्टम को कोसने लगेगा। नियम में यह कहीं नहीं लिखा है कि आप कारतूस के प्रयोग के बाद उसके खोखे को सुरक्षित रखेंगे। अगर आपने फार्म में सब कुछ सही-सही भर भी दिया हो तो भी आपको कारतूस खरीदने की अनुमति नहीं मिलने वाली। आपसे खोखे की मांग की जाएगी। जिसे आप नष्ट कर चुके होते हैं।
सुरक्षा गार्ड हैं खासे परेशान
जिले में सबसे ज्यादा परेशान सुरक्षा गार्ड हैं। बैंक के सुरक्षा गार्ड या निजी प्रतिष्ठानों के गार्ड कारतूस के लिए बाबुओं की जी-हुजूरी करते दिखते हैं। एक गार्ड ने बताया कि वर्ष में एक बार उन्हें पटना जाना पड़ता है। गन की टेस्टिंग में दस कारतूस बर्बाद हो जाते हैं। कारतूस लेने में कई समस्याएं आ रहीं हैं।
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केस स्टडी- एक
भागलपुर गन हाउस में सोमवार को दो लोग कारतूस खरीदने पहुंचे। कारतूस विक्रेता अजय सिन्हा उन्हें नियमों से अवगत करा कर लौटा दिया। दूसरी ओर इसी दिन एक व्यक्ति प्रीमियम गन हाउस के संचालक रविंद्र कुमार सिंह से मिलने पहुंचता है तो उसका चेहरा देखते ही बनता है। मानो वह संचालक का पैर ही पकड़ लेगा। बार-बार विनती के बाद भी उसे यहां भी नियम का पाठ पढ़ाया जाता है।
- केस स्टडी- दो
शनिवार को दिन के करीब 12 बजे समाहरणालय स्थित आर्म्स मजिस्ट्रेट के दफ्तर में बाबू में लोग बैठे थे। इस समय आर्म्स मजिस्ट्रेट दफ्तर में नहीं हैं। बारी-बारी से कई लोग पहुंच रहे हैं। हर किसी को कारतूस चाहिए। किसी को राइफल के लिए तो किसी को पिस्तौल के लिए। दफ्तर में बैठे बाबू हर व्यक्ति को अपने अंदाज में समझाते हैं। उनकी बातें सुनकर कोई खुश हो जा रहा था तो कोई मायूस। किसी को समझाया गया कि आप नाहक चिंता कर रहे हैं। आपका लाइसेंस तो संपूर्ण बिहार के लिए है। इसलिए आप किसी भी जिला से कारतूस खरीद सकते हैं। भागलपुर को छोड़कर अन्य किसी भी जिले से कारतूस खरीदने में कोई परेशानी नहीं है। दूसरी ओर जिस व्यक्ति का लाइसेंस सिर्फ भागलपुर के लिए ही है, उसकी परेशानी देखते ही बन रही है। क्योंकि उक्त व्यक्ति को किसी अन्य जिले से कारतूस नहीं मिलने वाला।
-केस स्टडी- तीन
साहब, कोई तो उपाय कीजिए। मुझे दस कारतूस भी दिला दीजिए। मेरे पास एक भी नहंीं है। अब मैं क्या करूं। कभी कार्यालय तो कभी गन हाउस का चक्कर लगा-लगा कर थक गया हूं। समाहरणालय के बाबुओं के पास एक व्यक्ति आरजू-मिन्नत करता रहा। अंत में उसने आर्म्स मजिस्ट्रेट का नंबर मांगा तो कहा गया कि नंबर ले लीजिए लेकिन आज की तिथि में किसी की पैरवी नहीं चलने वाली।
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कोट -
लोगों को जिंदा रखने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार बिना कारतूस का कोई भी आग्नेयास्त्र किसी काम का नहीं है। कारतूस लेने में लोगों को काफी कठिनाई हो रही है। जब से नया निर्देश जारी हुआ है, मेरा प्रतिष्ठान बंद ही रहता है।
रजनीश कुमार सिंह, प्रोपराइटर, बिहार आर्म्स एंड एम्युनेशन