स्टेट डेस्क : दहेज हत्या में पति को आजीवन कारावास
कैचवर्ड :-सजा ---------------------- -जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) शिवानंद मिश्रा की अदालत ने
कैचवर्ड :-सजा
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-जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) शिवानंद मिश्रा की अदालत ने सुनाई सजा
-25 हजार रुपये लगाया जुर्माना, यह मृतिका के नाबालिग बच्चों को मिलेगी
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जागरण संवाददाता, भागलपुर : जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) शिवानंद मिश्रा की अदालत ने मंगलवार को दहेज हत्या के मामले में मसदी नया टोला के रामलखन यादव उर्फ बेचन यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने विभिन्न धाराओं में बेचन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माने की रकम मृतका के दोनों नाबालिग बच्चों को दी जाएगी। अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) को अर्थदंड की राशि दोनों अवयस्क बच्चों के उचित संरक्षक को देने को कहा है।
9 जनवरी 14 को सीता देवी उर्फ गुड़िया की हत्या कर परिजन कमरे में उसकी लाश छोड़कर भाग गए थे। वे गुड़िया की तीन साल एवं तीन महीने की बच्चियों को भी अपने साथ ले गए थे। इसके बाद उन्होंने मकान में ताला लगा दिया था। गुडि़या के घर में आंगनबाड़ी केंद्र चलता था। अंदर गुड़िया की लाश होने की जानकारी मिलने पर आसपास के लोग जुटे और उसके पीहर के लोगों को जानकारी दी।
गुड़िया के भाई विजय कुमार ने गुड़िया के पति रामलखन यादव, सास शांति, देवर सन्नी कुमार, ननद रीमा देवी, गुडि़या देवी, सोनी कुमारी एवं ननदोई अरविंद यादव, घुरो यादव, राजेश यादव पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। जिसमें कहा गया था गुड़िया की शादी घटना से सात वर्ष पूर्व हुई थी। एक वर्ष तक सब ठीक था पर बाद में उसका बहनोई दहेज के लिए बराबर दबाव बनाता था। घरवाले कभी अंगूठी तो कभी गाय देकर उसकी मांग पूरी करते थे। पर आगे दहेज की मांग करने पर गुडि़या ने इन्कार कर दिया तो उसकी हत्या कर दी गई।
पोस्टमार्टम में गुड़िया की मौत का कारण दम घुटना बताया गया था जबकि शरीर और गले पर मिले निशानों से स्पष्ट हुआ कि मारपीट के बाद उसकी हत्या की गई थी। हालांकि पुलिस अनुसंधान में गुड़िया के पति को छोड़ अन्य सभी का नाम हटा दिया गया। ऐसे में केस में अकेले बचे अभियुक्त रामलखन का ट्रायल चला और साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने उसे दहेज हत्या का दोषी पाया।
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अनुसंधानकर्ता पर कड़ी टिप्पणी
अदालत ने मामले के अनुसंधानकर्ता तत्कालीन अवर निरीक्षक सुल्तानगंज विनोद कुमार पर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि अनुसंधानकर्ता ने कमजोर तरीके से अनुसंधान किया और दहेज स्वरूप मिली गाय आदि का जिक्र नहीं किया है। देवर सन्नी को नाबालिग बताया गया, पर इस संदर्भ में भी ठोस प्रमाण नहीं लगाया गया। अन्य आरोपितों के संदर्भ में कमजोर अनुसंधान किया गया।