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corona effect : घर का सामान बेचकर दिया मकान का किराया, असहनीय हैं प्रवासी मजदूरों की तकलीफें

corona effect कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के प्रवासी घर आने लगे हैं। श्रमिक एक्‍सप्रेस ट्रेन से आए ऐसे प्रवासियों की कहानी असहनीय है। उनके सामने आर्थिक संकट उत्‍पन्‍न हो गया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 07:58 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:58 AM (IST)
corona effect : घर का सामान बेचकर दिया मकान का किराया, असहनीय हैं प्रवासी मजदूरों की तकलीफें
corona effect : घर का सामान बेचकर दिया मकान का किराया, असहनीय हैं प्रवासी मजदूरों की तकलीफें

भागलपुर, जेएनएन। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को अधिक तकलीफें सहनी पड़ी हैं। काम-धंधा बंद होने के बाद भी कई मजदूर बड़े शहरों में ही रहना चाहते थे। कारण, लॉकडाउन खत्म होने के बाद उन्हें काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण करना था। ऐसे में मकान भाड़े की समस्या उनके सामने खड़ी हो गई। सरकार ने कहा था कि लॉकडाउन के बाद मकान मालिक धीरे-धीरे कर किराया लेंगे। बावजूद, कई मकान मालिकों ने प्रवासियों को भाड़ा देने या मकान खाली करने को कह दिया। ऐसे में वापस घर लौटना इनकी मजबूरी हो गई।

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भागलपुर में 13 प्रवासी मजदूरों का जत्था 25 दिनों में दिल्ली से पैदल चलकर पहुंचा था। अनिल कुमार, अनुज कुमार, बिट्टू और सोनी ने बताया कि मकान मालिक का किराया और खाने-पीने का सामान खरीदने के पैसे नहीं थे। इस कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। बांका के फुल्लीडुमर प्रखंड के राता निवासी सुबोध मंडल गुजरात में कपड़ा मिल में काम करते थे। किराया नहीं देने के कारण मकान मालिक ने उन्हें घर छोडऩे को कहा। इसके बाद वह परिवार समेत किसी तरह घर लौट आए। खेसर निवासी जयराम ठाकुर भी कोलकाता के सैलून में काम करते थे। उन्हें भी मकान खाली करा दिया गया। वह भी ट्रक से परिवार के साथ घर आ गए। लखीसराय जिले के चानन प्रखंड के संग्रामपुर निवासी मार्बल मिस्त्री वकील ठाकुर को भी इसी कारण साथियों के साथ बेंगलुरु से वापस लौटना पड़ा। इनके पास लौटने तक के पैसे नहीं थे। गांव आने पर इन्होंने गाड़ी वाले को किराया दिया।

किशनगंज के पोठिया निवासी अब्दुल रहमान मुंबई के भाजी मार्केट में ऑटो चलाते थे। मकान भाड़ा और राशन खरीदने के पैसे नहीं रहने के कारण ये भी घर लौट आए। मधेपुरा के सिंहेश्वर प्रखंड के अंतर्गत लालपुर निवासी पप्पू कुमार हरियाणा में रहते थे। मकान मालिक ने इनसे मकान खाली करवा लिया। ये श्रमिक ट्रेन से वापस लौटे। यहीं के संतोष की कहानी और भी दर्दनाक है। दिल्ली में इन्होंने घर का सामान बेचकर किराया चुकाया और वापस लौटे। अंबाला में काम करने वाले मधेपुरा के रामेश्वर यादव को भी घड़ी और चांदी की चेन बेचकर घर का किराया देना पड़ा। अररिया के नरपतगंज प्रखंड की पलासी पंचायत के दीपक कुमार, पिंटू कुमार पासवान, प्रमोद यादव समेत कई लोग दिल्ली की बिस्किट फैक्ट्री में काम करते थे। काम बंद होने के बाद मकान मालिक ने इन्हें चले जाने को कह दिया। कई दिनों तक सड़कों पर भटकने के बाद ये लोग वहां से लौटे। दिल्ली से लौटे पूर्णिया केनगर प्रखंड की रहुआ पंचायत के कल्याणपुर निवासी गणेशी ऋषि ने बताया कि लॉकडाउन के एक सप्ताह बाद ही मकान मालिक ने इनसे मकान खाली करवा दिया। कुछ दिन एक निर्माणाधीन मकान में ये रुके। बाद में स्थानीय लोगों के ऐतराज करने पर वापस घर लौट आए।


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