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बिहार का एक गांव ऐसा भी, जहां मात्र दो लोग हैं मैट्रिक पास

21वीं शदी में बिहार में एक ऐसा गांव भी जहां के लोगों को शिक्षा से दूर दूर तक कोई वास्‍ता नहीं है। मुंगेर के एक गांव में मात्र दो लोग मैट्रिक पास हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Thu, 18 May 2017 02:50 PM (IST)Updated: Thu, 18 May 2017 10:39 PM (IST)
बिहार का एक गांव ऐसा भी, जहां मात्र दो लोग हैं मैट्रिक पास

मुंगेर [लालमोहन महाराज]। आज हम 21वीं शदी के दूसरे दशक में जी रहे हैं। लोग मंगल ग्रह पर बस्ती बसाने की बात कर रहे हैं। दुनिया ग्‍लोबल हो चुकी है। पैसे भी डिजिटल करेंसी में बदल गये हैं। लेकिन बिहार में एक ऐसा गांव भी है जो विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रहा है। मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित धरहरा प्रखंड का आदिवासी बहुल लकड़ीहारा गांवयहां मात्र दो युवक ही मैट्रिक पास हैं। इस गांव में सड़क, स्कूल व अस्पताल तक नहीं है। 

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पहले बात दोनों युवकों की करते हैं। यहां टुनटुन व अशोक कोड़ा ही मैट्रिक पास कर सके हैं। गांव से दो किलोमीटर दूर स्थित मध्य विद्यालय, बरमसिया से इन दोनों ने पांचवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए इन्हें छह किलोमीटर दूर साढ़ा जाना पड़ा।

मध्य विद्यालय साढ़ा में इन्होंने आठवीं तक और हाई स्कूल, साढ़ा से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। इन्हें रोज छह किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना होता था। 500 की आबादी वाले लकड़ीहारा गांव में स्कूल, सामुदायिक भवन व उप स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है। गांव के लोग अपनी आजीविका के लिए जंगल से लकडिय़ां काटते और पत्ते चुनते थे। कुछ लोग बकरी पालन भी करते हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि जंगल से लकड़ी काटने पर प्रतिबंध लगने के बाद कइयों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। इस कारण गांव से कई युवा पलायन कर रहे हैं। गांव तक सीधी सड़क भी नहीं पहुंची है। गांव में गंभीर रूप से किसी के बीमार पडऩे पर परिजन उसे पहाड़ की तराई के रास्ते धरहरा या जमालपुर पीएचसी पहुंचाते हैं। ग्रामीण महेंद्र कोड़ा, अशोक कोड़ा, टुनटुन कोड़ा आदि ने बताया कि हर चुनाव के बाद उन्हें लगता है कि उनकी किस्मत बदलेगी, लेकिन ऐसा नहीं होता है। 

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माताडीह पंचायत के मुखिया, पंचायत सचिव, मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी आदि के साथ बैठक कर लकड़ीहारा गांव के विकास को लेकर प्राथमिकता के आधार पर योजनाओं का चयन किया जाएगा। सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी योग्य लाभुकों को दिया जाएगा। 

- सुजीत कुमार राउत

बीडीओ, धरहरा, मुंगेर

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