भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने उपहार में दिया था भागलपुर विश्वविद्यालय
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के बड़े भाई महेन्द्र प्रसाद की पोती शारदा का विवाह भाग
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के बड़े भाई महेन्द्र प्रसाद की पोती शारदा का विवाह भागलपुर के मुक्तेश्वर प्रसाद के पुत्र श्यामजी प्रसाद से हुआ था। मुक्तेश्वर प्रसाद के करीबी मित्र थे जस्टिस ब्रह्मादेव प्रसाद जमुआर। उन्होंने मजाक में राजेन्द्र बाबू से उपहार मांग लिया था। इस पर प्रथम राष्ट्रपति ने कहा- क्या चाहिए? जस्टिस महोदय ने दहेज में भागलपुर में एक विश्वविद्यालय की मांग रख दी। तभी रांची के रहने वाले मुक्तेश्वर बाबू के एक करीबी ने रांची में भी एक विश्वविद्यालय की मांग की। जिसके बाद राजेंद्र बाबू ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह (2 अप्रैल 1946 से 31 जनवरी 1961 तक) से सलाह लेकर भागलपुर एवं रांची में विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति दे दी ।
कुलपति (उस समय उपकुलपति) बनाने पर जब चर्चा हुई तो मुक्तेश्वर बाबू ने कहा कि जिसने विचार रखा है उसे ही उप कुलपति बनाया जाए।
जस्टिस जमुआर ने उनकी बात मान ली पर उन्होंने शर्त रखी कि मुक्तेश्वर बाबू मुझे सहयोग करेंगे तब ही मैं भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति का पद स्वीकार करूंगा। दोस्ती के नाते मुक्तेश्वर बाबू ने स्वीकृति दे दी ।
जिसके बाद 12 जुलाई 1960 को भागलपुर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई और जस्टिस ब्रह्मादेव प्रसाद जमुआर प्रथम उपकुलपति अर्थात कुलपति बनाए गए। मुक्तेश्वर बाबू को ट्रेजरर बनाया गया। उस समय प्रतिकुलपति जैसा कोई पद नहीं था। ट्रेजरर ही उपकुलपति की अनुपस्थिति में विश्वविद्यालय का कामकाज देखते थे। ट्रेजरर को बहुत अधिक प्रशासनिक अधिकार दिए गए थे। उसी तिथि एवं उसी वर्ष 12 जुलाई 1960 को रांची को भी एक विश्वविद्यालय मिला। वहां के लिए विश्वविद्यालय मांगने वाले जस्टिस महोदय को प्रथम उपकुलपति बनाया गया। मुख्यमंत्री ने उसी तारीख को मगध विश्वविद्यालय भी बनाया। भागलपुर, रांची एवं मगध तीनों विश्वविद्यालय की स्थापना की तिथि एक है। एक ही अधिसूचना से तीनों विश्वविद्यालय बनाए गए।
- डॉ. रमन सिन्हा