धान की सीधी बुआई से बदलेगी की खेती की तस्वीर
[अमरेंद्र तिवारी]भागलपुर। जलवायु परिवर्तन एवं मिट्टी के गिरते स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए धान
[अमरेंद्र तिवारी]भागलपुर।
जलवायु परिवर्तन एवं मिट्टी के गिरते स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए धान रोपने के तरीकों में बदलाव समय की मांग हो गई है। अब किसान नए तकनीक के तहत धान की सीधी बुआई करेंगे। इससे समय एवं उत्पादन लागत की बचत होगी। मिट्टी के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
खेत की यूं करे तैयारी
बीज की बेहतर जमाव के लिए किसान पहले अपने खेतों को समतल कर ले। हो सके तो लेजर लैंड लेवलर मशीन का उपयोग करें अन्यथा जुताई के बाद परंपरागत विधि से पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें।
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बुआई करने का तरीका
समतल खेतों में बुआई मशीन के माध्यम से खेतों में बीज की सीधी बुआई करें। इसमें प्रति एकड़ 10 से 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। यदि संकर बीज की बुआई कर रहे है तो प्रति एकड़ आठ किलोग्राम बीज की जरुरत होगी।
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बुआई का उपयुक्त समय
धान की सीधी बुआई का समय 20 मई से 30 जून तक है। ऐसे इसका उपयुक्त समय मानसून के 10 से 15 दिन पूर्व यानि मध्य जून तक माना जाता है।
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धान की सीधी बुआई से किसानों को लाभ
-उत्पादन खर्च में कमी
-समय पर बुआई
-दो से ढ़ाई हजार रुपये प्रति एकड़ शुद्ध लाभ
-मजदूरों के अभाव की समस्या से छुटकारा
-25 से 30 फीसद खेतों की उर्वरा शक्ति बनाए रखने में सहायक
-अगली फसल गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी
-भूमंडलीय तापमान वृद्धि वाली गैसों के उत्सर्जन में कमी
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केवीके किसानों को दे रहा प्रशिक्षण
कृषि विज्ञान केंद्र सबौर किसानों के बीच इस विधि का तेजी से प्रचार प्रसार कर रहा है। जिले में सबसे अधिक धान उत्पादन करने वाला प्रखंड शाहकुंड, गोराडीह एवं सुल्तानगंज में किसानों को इसकी जानकारी दी जा रही है। गोराडीह में किसानों के खेतों का समतलीकरण करके मशीन के माध्यम से धान की सीधी बुआई की जानकारी समन्वयक डॉ. विनोद कुमार एवं ई. पंकज कुमार के दिशा निर्देश में दिया जा रहा है।
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कोट.
मिट्टी का स्वास्थ्य बरकरार रखने एवं उत्पादन लागत को घटने की दिशा में धान की सीधी बुआई समय की मांग हो गई। इस विधि के प्रचार प्रसार के लिए बीएयू एवं केवीके के कृषि वैज्ञानिकों को निर्देश दिया गया है।
डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर।