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पानी में बहाया पैसा, फिर भी नहीं मिला पानी

स्मार्ट सिटी में भागलपुर का चयन तो हो गया पर मूलभूत सुविधाओं में से एक पेयजल व्यवस्था की स्थिति अभी

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 02:15 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 02:15 AM (IST)

स्मार्ट सिटी में भागलपुर का चयन तो हो गया पर मूलभूत सुविधाओं में से एक पेयजल व्यवस्था की स्थिति अभी भी लचर है। गंगा के तट पर रहकर भी सिल्क सिटी के लोग गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। पेयजल के नाम पर कई योजनाएं बनीं, करोड़ों खर्च हुए, परंतु ये योजनाएं घोटाले और विभागीय लापरवाही की भेट चढ़ गई। नगर निगम की ओर से शहर में जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाई गईं है, उसमें छेद ही छेद है। लोगों को शुद्ध पेयजल के बदले नाले का पानी पीने को विवश होना पड़़ रहा है। शहर के भूजल में आर्सेनिक व नाइट्रेट की मात्रा अधिक पाई जाती है। लेकिन इनके शोधन की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि एशियन डवलपमेंट बैंक के सहयोग से करीब छह सौ करोड़ से जलापूर्ति का कार्य शुरू हुआ है। लेकिन नगर निगम प्रशासन और बुडको के बीच चल रही नूरा-कुश्ती की वजह से योजना बीते एक वर्ष में धरातल पर नहीं उतर सकी है।

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भागलपुर। रेशमी शहर में अरबों रुपए खर्च होने के बावजूद पेयजल संकट बरकरार है। कहीं बो¨रग खराब है तो कहीं पाइप लाइन का अभाव। निगम की जलापूर्ति अंग्रेजों की पाइप लाइन पर टिकी हुई है। रखरखाव की विशेष योजना नहीं बनाए जाने से पाइप लाइनों में जगह-जगह लीकेज है। इससे प्रतिदिन काफी मात्रा में पानी बर्बाद हो जाता है। इसी लीकेज की वजह से हाल ही में लोग सड़कों पर उतरे।

बदबूदार और दूषित पेयजल का स्थानीय लोगों ने विरोध किया। यहां तक की पानी का सैम्पल जिलाधिकारी को भी सौंपा गया। नतीजतन जिलाधिकारी ने दोषी लोगों की पहचान कर मुकदमा दर्ज करने तक का निर्देश दिया। इसके लिए सात दिनों का समय जिला प्रशासन को ओर से दी गई है। शहर की आधी आबादी को स्वच्छ पेयजल की सुविधा नगर निगम उपलब्ध नहीं करा सकी है। जबकि जलापूर्ति के लिए एजेंसी को बहाल किया गया है। शहर के अधिकांश वार्डो में अब भी पेयजल संकट बरकरार है।

पाइप लाइन के बावजूद नहीं मिल रही सुविधा :

वार्ड नंबर 11 के आउट पोस्ट लेन में पाइप बिछाई जाने के बावजूद पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। वार्ड चार में तीन वर्ष से बो¨रग लगकर तैयार है, लेकिन पाइप लाइन के अभाव में बाबूटोला में आपूर्ति नहीं हो पा रही है। निगम के 29 से अधिक बो¨रग से बालू और मिट्टीयुक्त पानी निकलने के कारण आपूर्ति बाधित हो रही है।

दर्जनभर मोहल्ले पेयजल सुविधा से वंचित :

रकाबगंज, मोहनपुर, नसरतखानी, कुंडीटोला, मदनीनगर, हसनाबाद, भीखनपुर समेत दर्जनभर मोहल्ले में पानी के लिए लोग जद्दोजहद करते नजर आते हैं। इसका मुख्य कारण पाइप लीकेज और चाभी मरम्मत के रख-रखाव पर सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी बनने के बाद घर-घर पानी पहुंचाने के लिए बुडको पर दवाब डालना होगा।

पूर्व में नगर निगम द्वारा पेयजल व रखरखाव पर व्यय :

- बो¨रग व नल का रखरखाव - 15 हजार प्रति माह

- बरारी वाटर व‌र्क्स के रखरखाव व शुद्धिकरण पर खर्च 10 लाख रुपये

- स्थायी जलकलकर्मियों के वेतन पर व्यय : 18 लाख

- अस्थायी जलकलकर्मियों का मानदेय : सात लाख रुपये

- पानी कनेक्शन व अवैध कनेक्शन पर वसूली : 21 लाख रुपये

- बो¨रग पंप व लीकेज मरम्मत : 15 लाख रुपये

- विभिन्न वार्डो में 51 प्याऊ पर खर्च 1.37 करोड़ खर्च

- वार्डो में 1.5 करोड़ की लागत से 62 प्याऊ का निर्माण

- 1.5 करोड़ की लागत से आठ स्थानों पर बो¨रग का निर्माण

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पैन इंडिया का जलापूर्ति कार्य :

- प्रथम चरण में पैन इंडिया को 318 करोड़ से करना है कार्य

- 461 किलोमीटर पाइप लाइन शहर में बिछायी जानी है।

- शहर के विभिन्न वार्डो में 19 जलमीनार का होना है निर्माण

- बरारी वाटर व‌र्क्स का किया जाना है जीर्णोद्धार

- वर्ष 2022 सितंबर तक ऑपरेशन मेंटनेंश का कार्य होना है

- जलमीनार समेत अन्य निर्माण कार्य मार्च 2019 तक होना है

- बरारी वाटर व‌र्क्स के जीर्णोद्धार का कार्य छह फरवरी से 2017 फरवरी तक होना है

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ध्वस्त हो गई वाटर व‌र्क्स की व्यवस्था :

बरारी वाटर व‌र्क्स में व्यवस्था चरमरा गई है। गंगा का पानी जमा होने वाले तालाब की दीवार जगह-जगह ध्वस्त हो चुकी है। समय-समय पर तालाब की सफाई नहीं होने की वजह से कुछ माह पूर्व पानी में किटाणु पाए गए थे। वाटर व‌र्क्स में जल शुद्धि करने के बाद लोगों तक स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की जाती है। गंगा के पानी को साफ करने के लिए एनमुनाफेरिक, ब्लीचिंग पाउडर, मीटापाल व स्लेकेट लाइन का इस्तेमाल किया जाता है।

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वर्षा जल संरक्षण पर काम नहीं :

शहर में पेयजल सहित 70 हजार करोड़ लीटर पानी नाले में बह जाता है। नगर निगम क्षेत्र में हर वर्ष औसतन 297 हजार करोड़ लीटर पानी बरसात से आता है। इसमें से 50 हजार करोड़ लीटर पानी संरक्षित कर धरती को वापस किया जा सकता है। शहर में या पूरे जिले में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू ही नहीं है और न ही इस ओर नगर निगम शहर में बनने वाले आवास के नक्शे में इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करने की कोई कवायद चल रही है।

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बेंटा नाइट से हो जलशोधन :

अनियंत्रित और अनियमित ढंग से गंगा का पेट गाद व बालू से भरता जा रहा है। 20 वर्ष पूर्व 60 से 100 फीट गहरे बो¨रग से पीने योग्य पानी मिल जाता था। लेकिन अब पीने योग्य पानी के लिए पांच सौ फीट बो¨रग की दरकार है। लोगों ने एक विकल्प के तौर पर प्यूरिफायर का उपयोग शुरू कर दिया है। एक बड़ी जमात ने पीने योग्य पानी के लिए अपनी व्यवस्था कर ली है। लेकिन अभी भी गरीब उसी हैंड पाइप के भरोसे हैं। इसलिए सरकार को बेंटोनाइट से ही जलशोधन की व्यवस्था करनी होगी।

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दुरुस्त नहीं हुई व्यवस्था

शहरी क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति को दुरुस्त करने के लिए एजेंसी को सौंपी गई है। बुडको द्वारा पैन इंडिया को जलापूर्ति कार्य सौंपने के बाद भी धरातल पर कुछ नहीं उतर पाया है। एजेंसी के माध्यम से वार्डो में पाइप बिछाने का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ। बरारी वाटर व‌र्क्स को आधुनिक बनाने की योजना है। जिसके लिए एजेंसी को कार्य करना है।

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निगम ने पानी के सैंपल को जांच के लिए भेजा कोलकाता

शहर में एजेंसी द्वारा आपूर्ति किए जा रहे पानी में बदबू व कड़े निकलने के मामले को नगर निगम प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। वार्ड 21 के पार्षद संजय सिन्हा ने डीएम, विधायक और नगर आयुक्त को पानी का सैम्पल दिया था। नगर आयुक्त अवनीश कुमार सिंह ने पानी की गुणवता की जांच के लिए कोलकाता के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ को भेजा गया है। इस रिपोर्ट के बाद पैन इंडिया की व्यवस्था की पोल खुल जाएगी।

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डीएम भ दे चुके हैं कार्रवाई के निर्देश

पैन इंडिया द्वारा कीड़ायुक्त जलापूर्ति की शिकायत पर जिलाधिकारी ने संज्ञान लिया है। उन्होंने आपूर्ति करने वाले दोषी कर्मी की पहचान कर कानूनी कार्रवाई करने का नगर आयुक्त को निर्देश दिया है। नगर आयुक्त ने बुडको को कार्रवाई के लिए निर्देश दिया है। बुधवार को पैन इंडिया के दो अधिकारी व जलकल अधीक्षक हरेराम चौधरी ने वार्ड-21 के मेहतर टोली, दिगंबर सरकार लेन, दीपनगर चौक व डीएन सिंह रोड से चार बोतलों में पानी का सैंपल लिया। इसे नगर आयुक्त को सौंप दिया गया है। इस दौरान वार्ड पार्षद संजय सिन्हा भी मौजूद थे।

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लोगों ने कहा :

रितेश कुमार : स्मार्ट सिटी की व्यवस्था ऐसी हो कि लोगों को स्वच्छ जल और समय पर पानी की आपूर्ति हो। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए समूचित व्यवस्था हो।

सविता देवी : सप्लाई का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। भागलपुर स्मार्ट सिटी में शामिल हो गया, ऐसे में लोगों को दूषित जल से मुक्ति भी नगर निगम दिखाए।

पिंकी द वी : पानी में कीड़े निकल रहे हैं। कपड़े से पानी छानकर सेवन करने को लोग विवश हैं। स्वच्छ जल शहरवासियों को नसीब नहीं हो पा रहा है।

कार्तिक : जलापूर्ति की योजना धरातल पर उतारने के लिए प्रशासन की मुस्तैदी जरूरी है। एजेंसी की मनमानी की वजह से योजना धरातल पर नहीं उतर पायी है।

शुभम : स्मार्ट सिटी के साथ लोगों को निर्वाध जलापूर्ति की सुविधा मिले। इस दिशा में योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की जरुरत है।

बासू : गंगा के किनारे रहकर लोगों स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं पा हो रहा है। यहां तो शहर के नाले का पानी शोधन कर आपूर्ति की जा रही है।

अभिषेक : वार्डो में कुछ मीटर पाइप बिछाने के बाद वंचित लोगों को लाभ मिल जाएगा। जरुरी है कि इस दिशा में कार्य किए जाएं।

रवीश रवि : घर-घर नलों का कनेक्शन हो, और उससे झर-झर पानी निकले। सात दिन व 24 घंटे आपूर्ति के लिए पहल होनी चाहिए। स्मार्ट सिटी के लिए यह जरूरी है।


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