रियल एस्टेट कारोबारियों में आई जान
भागलपुर। भागलपुर शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलते ही रियल इस्टेट के व्यवसायियों में जान आ गई है। ह
भागलपुर। भागलपुर शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलते ही रियल इस्टेट के व्यवसायियों में जान आ गई है। हाल के दिनों में यह धंधा मंदा हो चुका था। बिल्डर बुकिंग के दावे करते थे पर अंदर ही अंदर स्थिति खोखली बताई जा रही थी।
भागलपुर बिल्डर एसोसिएसशन के आलोक अग्रवाल कहते हैं कि गंगा पर विक्रमशिला पुल बनने के बाद भागलपुर शहरी क्षेत्र भी अपने इर्द गिर्द के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले एक बड़ी जनसंख्या के लिए कई कारणों से आकर्षक बन गया, जिसमें स्वास्थ्य तथा शिक्षा मुख्य कारण है। आगे आने वाले समय में विजय घाट पुल के पूर्ण रूप से चालू हो जाने के बाद हमारे शहर पर दवाब और बढ़ेगा। दम तोड़ रही मूलभूत नागरिक सुविधाओं से जूझते भागलपुर शहर के लिए स्मार्ट सिटी की घोषणा किसी संजीवनी से कम नहीं साबित होगी। स्मार्ट सिटी बनने के क्रम में अगर किसी क्षेत्र पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा तो वह है रियल इस्टेट तथा निर्माण सेक्टर। स्मार्ट सिटी में नगर निगम क्षेत्र का विस्तार होगा तो इसका सीधा लाभ भवन निर्माण क्षेत्र को होगा। भवन निर्माण से जुड़े निपुण तथा अकुशल श्रम, इससे समबन्धित स्थानीय उद्योगों मसलन सीमेंट,ईंट आदि, निर्माण से जुड़े सामग्रियों का व्यापार, इंजिनियर तथा वास्तुकार, बैंक ऋण आदि की माग तथा अवसर बढ़ेंगे तथा सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
भागलपुर शहर में पिछले कुछ वर्षो में तेजी से बढ़ी आबादी के कारण जमीन तथा मकान अथवा फ्लैट की माग बढ़ी है। अपार्टमेंट बनने लगे तथा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का भी निर्माण होने लगा, लेकिन देखा जाए तो यह व्यवस्थित रूप से नहीं हो पाया है। पतली, संकरी गलियों में बने अपार्टमेंट, बगैर पार्किंग के शॉपिंग कॉम्प्लेक्स अथवा बगैर किसी दीर्घकालिक योजना के विकसित हो रही कोलनियों ने समस्या घटाने के बजाय बढ़ाई है। स्मार्ट सिटी बनने के बाद भवनों के निर्माण में बिल्डिंग बाईलॉज के प्रावधानों का कड़ाई से पालन, पार्किंग, वर्षा जल संचयन, भूकंपरोधी संरचना आदि का ध्यान रखा जाएगा, जिससे न सिर्फ रहने वाले लोगों को बेहतर जीवन शैली उपलब्ध होगी बल्कि इस सेक्टर की विश्वसनीयता बढ़ेगी. स्मार्ट सिटी में मूलभूत संरचनाओं के विस्तार, आवास, सरकारी दफ्तरों तथा भवनों में वृद्धि, विकसित होते उद्योग-व्यापार के आवश्यकतानुसार शॉपिंग मॉल-कॉम्प्लेक्स, ऑफिस स्पेस, सड़क, पुल, फ्लाइओवर, झुग्गी झोपड़ी क्षेत्र के पुनर्विकास, कम आय वर्ग के लिए आवास, मल्टी लेवल पार्किंग, आदि का निर्माण बगैर निजी क्षेत्र के संभव नहीं हो पाएगा। भागलपुर सहित सभी शहरों में आवास की बढ़ती माग की पूर्ति के लिए एक तरफ सरकार कों भवनों के ज्यादा एफएआर तथा ज्यादा ऊंचाई की इजाजत देनी होगी तथा दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में विकास प्राधिकरण बनाकर सड़क, सीवरेज, पेयजल, सुरक्षा, बिजली आदि की समुचित व्यवस्था कर के बिल्डरों कों जमीन उपलब्ध करानी पड़ेगी। शहर का मास्टर प्लान लागू होने, नक्शा पास कराने की प्रक्रिया ऑनलाइन करने तथा सारी जानकारी वेबसाईट पर डालने से इस क्षेत्र में पारदर्शिता भी आएगी तथा व्यक्तिगत घर बनाने वाले एवं बिल्डरों को सहूलियत भी बढ़ेगी।