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भूमि अधिग्रहण के चक्कर में लटका घोरघट पुल का निर्माण

भागलपुर। सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण जिले के तीन पुलों का निर्माण कार्य अटका हुआ है। किसी का का

By Edited By: Published: Sun, 24 Apr 2016 08:54 PM (IST)Updated: Sun, 24 Apr 2016 08:54 PM (IST)
भूमि अधिग्रहण के चक्कर में लटका घोरघट पुल का निर्माण

भागलपुर। सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण जिले के तीन पुलों का निर्माण कार्य अटका हुआ है। किसी का काम जमीन का अधिग्रहण न होने तो किसी का निर्माण कार्य टेंडर के पेंच में फंसा हुआ है। अधिकारियों की लालफीताशाही का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इससे आए दिन लोगों को जाम की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

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ब्रिटिशकाल में निर्मित घोरघट वैली ब्रिज, चंपा एवं भैना पुल पर बड़े वाहनों के परिचालन बंद होने तथा इन पुलों के बगल में नए पुल निर्माण का मामला अटकने के कारण आवागमन की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है।

घोरघट पुल का निर्माण फरवरी में ही शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन भूमि अधिग्रहण नहीं होने के कारण काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। इस पुल के निर्माण का टेंडर सी एंड सी कंपनी को मिला है।

विभागीय अधिकारियों के अनुसार ठेकेदार ने अप्रैल 2012 में घोरघट पुल के निर्माण का कार्य शुरू किया था। इस पुल का निर्माण अक्टूबर 2013 में ही पूरा होना था। लेकिन भूमि अधिग्रहण नहीं होने के कारण इस पुल का निर्माण कार्य बीच में ही बंद कर देना पड़ा। एनएच विभाग ने भू-अर्जन अधिकारी को भूमि अधिग्रहण की पूरी राशि का भुगतान भी किया जा चुका है। लेकिन अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

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टेंडर के पेंच में फंसा है चंपा व भैना पुल निर्माण का मामला

चंपा एवं भैना पुल का निर्माण टेंडर के पेंच में फंसा हुआ है। 21 नवंबर 2015 को चंपा एवं भैना पुल के लिए तकनीकी बिड खोली गई थी। अ‌र्द्धनिर्मित चंपा पुल का दयाल हाईटेक व मेसर्स संजय कंस्ट्रक्शन तथा भैना पुल का एकल टेंडर दयाल हाईटेक के नाम होने के बाद तकनीकी बिड मुख्यालय भेजी गई। अन्य एजेंसियों की तुलना में कम दर पर टेंडर डालने के कारण 12 दिसंबर 2015 को चंपा एवं भैना की वित्तीय बिड खोली गई थी।

चंपा पुल की निर्धारित टेंडर राशि 10.50 करोड़ तथा भैना पुल का 7.25 करोड़ है। निर्धारित टेंडर राशि से अधिक दर पर टेंडर डालने के कारण एनएच विभाग द्वारा स्वीकृति के लिए सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को भेजा गया। लेकिन चार महीने बाद भी टेंडर को मंत्रालय से स्वीकृति नहीं मिल सकी है। टेंडर की फाइल अभी भी मंत्रालय में अटकी हुई है।

जर्जर पुलों पर पिछले सात वर्ष से बड़े वाहनों के परिचालन पर रोक है। वहीं चंपा पुल की चौड़ाई कम होने के कारण छोटे वाहनों का आवागमन भी मुश्किल हो गया है। एक लेन होने के कारण प्रतिदिन जाम लग जाता है। जिससे लोगों को परेशानी होती है।

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वर्ष 2013 से अब तक चार बार रद हो चुका है टेंडर

अ‌र्द्धनिर्मित भैना एवं चंपा पुल का वर्ष 2013 से अब तक चार बार टेंडर रद हो चुका है। ऐसा निर्धारित टेंडर राशि से काफी अधिक दर पर टेंडर डालने, एकल टेंडर होने आदि कारणों से हुआ है। छह महीने पूर्व भी निर्धारित टेंडर राशि से दो कंपनियों द्वारा 60 व 70 फीसद अधिक दर से टेंडर भरने के कारण टेंडर रद कर दिया गया था।

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कोट

भागलपुर और मुंगेर के भू-अर्जन अधिकारी को विभाग द्वारा भुगतान कर दिया गया है। भागलपुर में कम लेकिन मुंगेर जिले में अधिक भूमि अधिग्रहण का मामला फंसा हुआ है। भूमि अधिग्रहण के कारण ही घोरघट पुल का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। चंपा एवं भैना पुल निर्माण के टेंडर को मंत्रालय से अब तक स्वीकृति नहीं मिल सकी है। इसके लिए प्रयास जारी है।

-राम अवधेश कुमार, मुख्य अभियंता, एनएच विभाग।


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