डीएसपी प्रकरण के बाद रिस्क नहीं लेना चाहती पुलिस
भागलपुर। डीएसपी (भागलपुर मुख्यालय) रामकृष्ण गुप्ता को गंगा में फेंकने की कोशिश की घटना से पुलिस सशंक
भागलपुर। डीएसपी (भागलपुर मुख्यालय) रामकृष्ण गुप्ता को गंगा में फेंकने की कोशिश की घटना से पुलिस सशंकित है। इस घटना के बाद पुलिस कोई रिस्क लेना नहीं चाह रही है। शायद यही वजह है अब जाम हटाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस पदाधिकारियों एवं जवानों को लगाया जा रहा है।
गुरुवार को विक्रमशिला सेतु पर महाजाम लग गया था। विधायक-डीएसपी प्रकरण के बाद से सहमे किसी एक थाना के पुलिस पदाधिकारी पांच-छह जवानों के साथ जाम हटाने की कार्रवाई करना नहीं चाह रहे थे। शायद यही वजह रहा होगा कि जाम हटाने के लिए पुलिस लाइन से 30-35 अतिरिक्त जवानों को भी पुलिस लाइन से बुलाया गया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में दो-तीन थानों की पुलिस पदाधिकारियों द्वारा चार-पांच घंटे मशक्कत बाद जाम हटाया गया। सात-आठ घंटे के जाम में 50 से अधिक बारात वाहन भी फंसे थे।
धारा-307 के मामले में उधेड़बुन की स्थिति
एक पुलिस अधिकारी को गंगा में फेंकने की कोशिश की उल्लेख के बाद भी प्राथमिकी में धारा-307 भादवि लगाने के मामले में महकमा के वरीय पदाधिकारी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। वरीय पुलिस पदाधिकारी इस मामले में उधेड़बुन की स्थिति में हैं। वहीं इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी राहगीरों का पुलिस बयान दर्ज करेगी। प्रत्यक्षदर्शियों को पुलिस पहचान करने में जुट गई है। उधर, बरारी थाना में दर्ज प्राथमिकी में डीएसपी को गंगा में फेंकने की कोशिश का जिक्र होने के बावजूद धारा-307 भादवि लगाने के मामले में वरीय पुलिस पदाधिकारी उधेड़बुन की स्थिति में हैं। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी जाम में फंसे लोगों का भी पुलिस बयान दर्ज करेगी।
जाम हटाने के दौरान बढ़ा था विवाद
सोमवार की देर रात विक्रमशिला सेतु पर जाम हटाने के दौरान डीएसपी रामकृष्ण गुप्ता एवं उनके अंगरक्षक मृत्युंजय कुमार से गोपालपुर के जदयू विधायक नीरज कुमार उर्फ गोपाल मंडल के समर्थक भिड़ गए थे। इस दौरान विधायक के समर्थकों द्वारा डीएसपी को गंगा में फेंकने की कोशिश की गई। इस संबंध में डीएसपी आरके गुप्ता के अंगरक्षक मृत्युंजय कुमार के बयान पर बरारी थाने में राघवेंद्र व पन्ना लाल को नामजद करते हुए तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया। दूसरे दिन यानी मंगलवार को विधायक गोपाल मंडल अपने समर्थकों के पक्ष में उतर आए। एसएसपी के प्रभार संभाल रहे सिटी एसपी अवकाश कुमार के समक्ष उनके कार्यालय में डीएसपी (मुख्यालय) से विधायक का विवाद भी हुआ था। डीएसपी को विधायक ने सिटी एसपी के सामने धमकी भी दी। इस घटना के बाद पुलिस कोई रिस्क लेना नहीं चाह रही है।
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गंगा में फेंकने की बात कह देने से नहीं लगता 307 : सीटी एसपी
सिटी एसपी अवकाश ने कहा कि दर्ज प्राथमिकी में गंगा में फेंकने के प्रयास का उल्लेख है। लेकिन इस आधार पर धारा-307 भादवि नहीं लगाई जा सकती। उस परिस्थिति में धारा-307 लगती, जब डीएसपी को गंगा में फेंक दिया जाता और वे बच जाते। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी को खींचकर ले जाता है और तिली जलाकर आग लगाने की बात करता है तो वह जानलेवा हमले में नहीं आएगा। इसमें धारा-307 भादवि नहीं लगाई जा सकती है। डीएसपी आरके गुप्ता प्रकरण में भी यही सामने आ रहा है। खींचकर ले जाने के क्रम में विधायक समर्थकों डीएसपी को गंगा में फेंकने की बात कह रहे थे। फिलहाल गंगा में फेंकने की कोशिश की बात साबित नहीं हो पाई है। अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर विधि-व्यवस्था विजय कुमार एवं सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर के सुपरविजन रिपोर्ट के बाद धारा-307 भादवि भी लगाया जा सकता है।
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प्रत्यक्षदर्शियों के भी लिए जाएंगे बयान : सिटी डीएसपी
केस के सुपरविजन कर रहे सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर ने कहा कि हवा-हवाई में सुपरविजन रिपोर्ट नहीं बनाई जा सकती है। जाम में सैकड़ों लोग फंसे हुए थे। घटना के समय स्थल पर मौजूद 30-40 प्रत्यक्षदर्शी राहगीरों का बयान भी लिया जाएगा। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों को चिन्हित किया गया है और कइयों की पहचान की जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों का बयान लेने के बाद ही रिपोर्ट समर्पित की जाएगी।