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जेएलएनएमसीएच की व्यवस्था देख संतुष्ट नहीं हुई एमसीआइ की टीम

भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच)में एमबीबीएस के सौ छात्रों को

By Edited By: Published: Tue, 24 Nov 2015 02:23 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2015 02:23 AM (IST)
जेएलएनएमसीएच की व्यवस्था देख संतुष्ट नहीं हुई एमसीआइ की टीम

भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच)में एमबीबीएस के सौ छात्रों को पढ़ाने लायक उपलब्ध संसाधन की जांच करने आई मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) टीम को कई सारी खामियां मिली। एमसीआइ की तीन सदस्यीय टीम ने अस्पताल के सभी विभागों का निरीक्षण किया। इस दौरान कुछ विभागों में रजिस्टर नहीं मिलने पर टीम के सदस्यों ने गुस्सा भी उतारा।

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परेशान दिखे मेडिकल कॉलेज के पदाधिकारी

टीम में बांकुरा मेडिकल कॉलेज की डॉ. कावेरी, डॉ. सागर दत्ता और गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज के एफएमटी विभागाध्यक्ष डॉ. ऋतुराज शामिल थे। जांच के समय चिकित्सकों के हुजूम को सदस्य पास नहीं फटकने देते थे। उन चिकित्सकों को यह ज्यादा खराब लगा जो पूर्व में आने वाली जांच टीम में सदस्यों से सटे रहते थे। अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के पदाधिकारी भी असमंजस में दिख रहे थे तथा उनके चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी।

रजिस्टर नहीं मिलने पर टीम की महिला सदस्य बिफरीं

अस्पताल के जांचघर में जब जांच टीम के सदस्य 21 नवंबर को कितने मरीजों की जांच की गई है इसके लिए रजिस्टर मांगे तो सदस्य यह देखकर दंग रह गए कि रजिस्टर मेंटेन नहीं है। वहीं एक रजिस्टर नहीं मिल रहा था। रजिस्टर को ढूंढने में कर्मचारी भी इधर-उधर भागदौड़ कर रहे थे। यह देखकर वहां भी महिला सदस्य विफर गई। कहा यह क्या तरीका है।

हड्डी विभाग में सेप्टिक वार्ड के मरीज

वहीं हड्डी विभाग में सेप्टिक वार्ड के मरीजों को देखकर भी उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया। हालांकि विभागाध्यक्ष डॉ. दिलीप सिंह द्वारा यह बताया कि यहां मरीजों को एक-दो दिनों के लिए रखा जाता है। लेकिन महिला सदस्य ने देखा कि आठ दिनों से मरीज भर्ती हैं। मेडिसीन विभाग में जब जांच सदस्य गए तो कुछ चिकित्सकों उनके साथ चलने लगे, सदस्य ने कहा भीड़ हटाइए, इसकी जरुरत नहीं है।

वार्ड में बेड की संख्या नहीं बता पाए

गायनी, आब्स गायनी आदि विभागों की जांच के क्रम में जब टीम के सदस्य डॉ. ऋतुराज ने वार्डो में बेड की संख्या पूछी। ठीक से जानकारी नहीं मिलने पर कहा 'इधर-उधर क्या बता रही हैं, ठीक से बताएं'। जांच टीम ने बेड का डिस्ट्रीब्यूशन ठीक से नहीं होने पर आपत्ति जताई।

जो सही है वही बताएं

आइसीयू में मॉनिटर और वेंटीलेटर के बारे में जानकारी ली। डी सर्जरी में सदस्य रुक गए और पूछा इसमें कितने मॉनिटर हैं, प्रभारी डॉ. महेश कुमार ने बताया पांच, सदस्य ने कहा अभी तो चार ही दिख रहा है। जो सही है वही बताएं। डॉ. महेश ने कहा यहां हृदय रोग के मरीज ज्यादा भर्ती होते हैं। डॉ. महेश ने कहा कि सीआरएम उपकरण भी है। सदस्य डॉ. ऋतुराज ने कहा इसकी यहां क्या जरुरत है, यह तो पीजी छात्रों के लिए होना चाहिए।

अस्पताल अधीक्षक को बीच में ही टोका

केंद्रीय विजिकर ईकाई (स्ट्रेलाइजेशन) यहां ऑपरेशन में उपयोग होने वाले औजारों को कीटाणुमुक्त किया जाता है। जब सदस्य ने नर्स से यह पूछ रहे थे कि कितने उपकरण हैं। अस्पताल अधीक्षक बोलना चाहे तो सदस्य ने कहा मैं स्टाफ से पूछ रहा हूं। नर्स ने बताया कि दो मशीनें खराब हैं।

बंद पड़े नेफ्रोलॉजी विभाग के दरवाजे खुलवाए

आउटडोर में भी निरीक्षण किया। किडनी की इलाज के लिए बने नेफ्रोलॉजी विभाग का बोर्ड देखकर डॉ. ऋतुराज रुक गए, किवाड़ बंद था। उसे खुलवाया गया। नर्स मनोरमा कुमारी ने बताया कि यहां मधुमेह मरीजों की जांच गुरुवार को की जाती है।

कैंसर की जांच के लिए कोई दिन तय नहीं

गायनी विभाग में विभागाध्यक्ष से पूछा गया कि क्या यहां मरीजों में कैंसर है, इसकी खोज के लिए कोई दिन तय है। विभागाध्यक्ष ने कहा कोई दिन तय नहीं है, अगर शंका होती है तो तब जांच कराने की सलाह दी जाती है। नाक-कान-गला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वरुण कुमार से भी जानकारी ली। इंडोर मानसिक विभाग के निरीक्षण के समय विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक भगत ने बताया कि 10 बेड हैं, आठ मरीज भर्ती हैं। रेडियोलॉजी विभाग में भी एक्सरे, अल्ट्रासाउंड आदि की जानकारी ली विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद मुरारका के जबाव से संतुष्ट भी हुए। निरीक्षण के समय अस्पताल अधीक्षक डॉ. राम चरित्र मंडल, अस्पताल प्रबंधक चंद्रकांता, डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह थे। वहीं टीम में शामिल सदस्यों में मेडिकल कॉलेज के विभागों की भी जांच की। साथ ही चिकित्सकों के कागजातों को भी देखा।


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