परिवर्तन रैली में उमड़ा जनसैलाब, मोदी ने मांगा 25 साल का हिसाब
आक्रामकता उनकी शैली है, पर आज पीएम मोदी के बॉडी लैंग्वेज में इसकी इंतिहा दिख रही थी। कुछ स्वाभिमान रैली में हुए हमले का असर, और कुछ अधिसूचना-पूर्व चुनाव अभियान की अंतिम रैली में छाप छोडऩे की रणनीति।
भागलपुर। आक्रामकता उनकी शैली है, पर आज पीएम मोदी के बॉडी लैंग्वेज में इसकी इंतिहा दिख रही थी। कुछ स्वाभिमान रैली में हुए हमले का असर, और कुछ अधिसूचना-पूर्व चुनाव अभियान की अंतिम रैली में छाप छोडऩे की रणनीति। मोदी ने मंगलवार को भागलपुर के हवाई अड्डा मैदान में बगैर किसी का नाम लिए जिस बुलंदी के साथ महागठबंधन नेताओं पर हमला बोला, उसकी गूंज शेष चुनाव अभियान में भी सुनाई देती रहेगी।
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भारत माता के जयकारों से शुरू उनका करीब एक घंटे का संबोधन उन्हीं जयकारों के साथ पूरा हुआ। अपने संबोधन में उन्होंने बिहार के पिछड़ेपन के लिए लालू-नीतीश सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए पिछले 25 सालों के शासन का हिसाब मांगा, वहीं विशेष पैकेज, कुशासन, भ्रष्टाचार, जातिवाद और कांग्रेस के साथ गठबंधन जैसे सवालों पर भी महागठबंधन नेताओं को कठघरे में खड़ा किया।
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मोदी यहीं नहीं थमे। उन्होंने लालू-नीतीश पर लोहिया, जेपी और कर्पूरी ठाकुर के सिद्धांतों को तिलांजलि देकर सत्ता की खातिर कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का भी आरोप जड़ा। रैली में युवाओं की भारी भागीदारी से गदगद प्रधानमंत्री ने शिक्षा, रोजगार तथा बिहार की बुद्धिमत्ता जैसे भावनात्मक मुद्दों का भी स्पर्श किया।
मोदी ने कहा, हिंदुस्तान में सबसे बुद्धिमान कहीं हैं, तो बिहार की धरती पर हैं। इसलिए जिन मुद्दों पर मुझे गालियां दे रहे थे, उसी ओर चलने लगे। मुझे खुशी इस बात की है कि यहां विकास अब चुनावी मुद्दा बना। यूपीए या एनडीए के लोग विकास कैसे करेंगे, वे विकास के ऐसे मुद्दे लेकर आएं मुझे इसकी खुशी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जब मैं वोट मांगने आऊंगा तो अपने काम का पाई-पाई का आपको हिसाब दूंगा। अभी तो इन दोनों (लालू-नीतीश) को अपने 25 साल के काम का हिसाब देना चाहिए, लेकिन ये हिसाब देने को तैयार नहीं है।
पटना की स्वाभिमान रैली को तिलांजलि सभा करार देते हुए प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार और लालू यादव पर प्रहार करते हुए कहा कि लोहिया, जयप्रकाश और कर्पूरी ठाकुर के चेलों ने सत्ता के लोभ में उसी कांग्रेस से हाथ मिला लिया जिसके खिलाफ तीनों जीवनभर संघर्ष करते रहे।
मुजफ्फरपुर, गया और सहरसा की परिवर्तन रैलियों में भीड़ के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए भागलपुर रैली में बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े थे। प्रधानमंत्री ने भी स्वीकार किया कि इस रैली की भीड़ ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए के लिहाज से सबसे खराब प्रदर्शन वाले इस इलाके में प्रधानमंत्री को सुनने उमड़े जनसैलाब ने भाजपाइयों में उत्साह भर दिया है।
भीड़ का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को सभास्थल पर पहुंचने के पूर्व दो घंटे जाम में फंसे रहना पड़ा। जदयू-राजद-कांग्रेस की स्वाभिमान रैली बड़ी रही या भागलपुर की परिवर्तन रैली, यह विवाद का मुद्दा हो सकता है, लेकिन आज की रैली ने बिहार में परिवर्तन के साफ संकेत दे दिए।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत भी कुछ इसी अंदाज में की। उन्होंने कहा इस रैली में जनता-जनार्दन का मिजाज बता रहा है कि बिहार में परिवर्तन की बयार बह रही है। 25 साल बाद बिहार की जनता जाति और संप्रदाय से उठकर विकास के लिए वोट देने और परिवर्तन का फैसला कर चुकी है।
अब इस विकास यात्रा को कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने विकासशील और प्रगतिशील बिहार बनाने, रोजगार दिलाने, किसानों की रक्षा करने और माताओं तथा बहनों की आबरू की रक्षा करने के लिए एनडीए की सरकार बनाने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा, जिन लोगों ने 2015 तक सभी गांवों में बिजली नहीं तो वोट मांगने नहीं आने का वादा किया था, उन्हें इस चुनाव में जनता को जवाब देना चाहिए या नहीं? स्कूल, कॉलेज नहीं बने, स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें इसके लिए जनता को जवाब देना चाहिए या नही? प्रधानमंत्री ने कहा 25 साल पहले जो लड़का बिहार में पैदा हुआ वह हिसाब मांग रहा है, हमें पढ़ाई के कोलकाता, बंगलुरू क्यों जाना पड़ रहा है, रोजगार के लिए राज्य से बाहर क्यों निकलना पड़ रहा है। नमो ने कहा बिहार की सत्ता में बैठें लोगों को इसका हिसाब देना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा गांधी मैदान की रैली में एक से बढ़कर एक लोग शरीक हुए। उम्मीद थी वहां लोग बिहार के विकास का मुद्दा तय करेंगे। लेकिन वहां कोई मुद्दा तय नहीं हुआ। सबका एक ही लक्ष्य था मोदी, मोदी, मोदी....। उन्होंने कहा जहां जाता हूं उत्साही लोग मोदी-मोदी चिल्लाते हैं। इन पर मेरा ऐसा भूत चढ़ा है कि अब दोनों लोग भी मोदी -मोदी चिल्लाने लगे हैं।
मुझे एक बात की खुशी है जिन लोगों ने मेरे बारे में सांप्रदायिकता का जहर उगला, वे जब मैंने आरा की जनसभा में बिहार को सवा लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की तो दो-तीन दिन तक इसका माखौल उड़ाते रहे, लेकिन जब उन्हें अहसास हुआ कि जनता के दिल से पैकेज की बात उतर नहीं रही है तो मजबूर होकर उन्हें भी दो लाख सत्तर हजार करोड़ के पैकेज की बात करनी पड़ी।
हालांकि, मुख्यमंत्री के इस वादे की भी उन्होंने धज्जियां उड़ा दीं, कहा कि राज्य में विकास के लिए सालाना योजना आकार 50-55 हजार करोड़ का होता है। पांच साल में यही दो लाख सत्तर हजार करोड़ के करीब हो जाता है। उन्होंने कहा कि चौदहवां वित्त आयोग पांच साल में बिहार को 3 लाख 74 हजार करोड़ रुपये देगा। 1 लाख 65 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज अलग है।
अब बताएं यह जनता की आंख में धूल झोंकना नहीं तो और क्या है? वित्त आयोग की सिफारिश पर दिल्ली के खजाने से आया एक लाख करोड़ आखिर कहां जाएगा? उनसे पूछना चाहिए क्या यह चारा पर खर्च होगा। सत्ता के नशे में चूर लोग बिहार की जनता को मूर्ख नहीं बना सकते।
सहरसा की रैली में प्रधानमंत्री ने बिहार सरकार की वेबसाइट के आंकड़ों का हवाला देकर जंगलराज की वापसी के बारे में जहां लोगों को चेताया वहीं भागलपुर में गरीबों की दुहाई देने वाले जदयू-राजद को गरीबों के स्वास्थ्य से हो रहे खिलवाड़ की पोल खोलकर रख दी।
आंकड़ों के साथ बताया कि अन्य राज्य में गरीबों का इलाज करने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है वहीं बिहार में इनकी संख्या घट गई है। 2005 में जहां 101 केंद्र थे वहीं 2014 में घटकर 70 रह गए हैं। गरीबों के इलाज के लिए केंद्र से आए 521 करोड़ खर्च नहीं कर पाए, क्या यही गरीबों की सरकार का काम है?
बजट में पिछड़े जिलों के विकास के लिए विशेष व्यवस्था की गई। बिहार से जिलों की सूची मांगी गई। 15 मई तक कोई सूची नहीं मिली तो चिट्ठी भेजी गई। अगस्त महीने आखिरी दिन तक 21 जिलों की सूची भेजी गई। अब आप बताएं क्या ऐसे बिहार आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा देश इस बार बिहार से कुछ मांग रहा है, क्योंकि जब तक बिहार आगे नहीं बढ़ेगा तो देश आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने लोगों से केंद्र सरकार के साथ मिलकर बिहार का विकास करने के लिए भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाने की अपील की।
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वीडियो : साभार - भारतीय जनता पार्टी, यू ट्यूब