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स्मार्ट सिटी मिशन व अमृत योजना से बदलेगा बुनियादी ढांचा

भागलपुर : सरकार की कई क्षेत्रीय योजनाएं इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए शामिल होती हैं, भले ही उनके रास्त

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 02:37 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 02:37 AM (IST)
स्मार्ट सिटी मिशन व अमृत योजना से बदलेगा बुनियादी ढांचा

भागलपुर : सरकार की कई क्षेत्रीय योजनाएं इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए शामिल होती हैं, भले ही उनके रास्ते अलग हैं। शहरी योजनाओं के स्वरूप में बदलाव करके उन्हें अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस शहर में तब्दील करने में अमृत और स्मार्ट सिटी मिशन एक-दूसरे के पूरक साबित होने वाले है। हर कोई चाहेगा वो स्मार्ट सिटी में रहे। हर कोई चाहता है कि वे स्मार्ट सिटी के निवासी कहलाएं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक शहर आखिर स्मार्ट कब कहलाता है। इस सवाल का जवाब कुछ शब्दों में बाधा नहीं जा सकता, क्योंकि सरकार से लेकर इन योजनाओं पर काम करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां और आम लोग सबका जवाब अलग-अलग होगा। हर शहर की अपनी संस्कृति और अपना चरित्र होता है। हर शहर की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं। कई शहर बसावट में ही काफी जटिल और दुर्गम होते हैं और कुछ शहर काफी सहज होते हैं। स्मार्ट सिटी शब्द सुनते ही सबसे पहले जो तस्वीर उभरती है वह कुछ ऐसी होती है।

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मन उभरती है ऐसी तस्वीर

- एक शहर जहा की जलवायु शुद्ध हो, लोग खुली हवा में सास ले सके

- बिजली-पानी की सप्लाई 24 घटे सुचारू हो।

- बिजली कटौती कतई न हो। -दिनभर लोगों को ट्रैफिक में न जूझना पड़े

- सार्वजनिक यातायात उपलब्ध जो विश्व स्तरीय हों।

- बुनियादी सुविधाएं जैसे किसी चीज की बुकिंग, बिल जमा करना, आदि बेहद सुगम हो।

- सड़कें, इमारतें, शापिंग माल, सिनेप्लैक्स सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से बने हों।

- अनाधिकृत कॉलोनियों की सड़ाध मारती गलिया न हों।

- शहर में झुग्गी-बस्तिया न हों।

- कुछ ऐसा शहर दिखे जहा लोगों के रहन-सहन में समानता दिखे। -सड़कों पर कूड़ा-करकट कतई न दिखे।

- मुख्य समेत शहर सड़के एकदम साफ हों।

- स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, आदि अत्याधुनिक सुविधओं से लैस हों।

- शहर में बिजली के ग्रिड से लेकर सीवर पाइप सब कुछ अच्छे नेटवर्क में हों।

- सड़के, कारें और इमारतें हर चीज एक-एक नेटवर्क से जुड़ी हों।

- इमारत अपने आप बिजली बंद करें, स्वचालित कारें खुद अपने लिए पार्किंग ढूंढें।

- शहर ऐसा जिसका कूड़ादान भी स्मार्ट हो।

- गैस सिलेंडर के लिये लाइन लगने के बजाये, पाइपलाइन घर तक आये। - ऐसी व्यवस्था हो जिससे अपराध कम हों और लोग सुकून से रह सकें।

शहर के लिए क्या हैं चुनौतिया :

- शहर में आधुनिक व सही मैपिंग की व्यवस्था

-शहर में अवैध कब्जों की भरमार है।

-सीवर लाइनें बेतरतीब बिछी हैं।

- शहरों का बेतरतीब निर्माण हो चुका है।

- लोग सड़क पर कूड़ा फेंकने के आदि हो चुके हैं।

- शहर के लोग कटिया डालकर बिजली चलाने में निपुण हैं।

- शहर इलाके व गलियों में बसे हैं, उन्हें कैसे स्मार्ट बनाया जाये

- शहर में ट्रैफिक लाइट की व्यवस्था करना।

क्या स्मार्ट बनने के बाद करेंगे :

- बिहार में बिजली की बहुत कमी है।

-शहर तो तब स्मार्ट होगा जब बिजली होगी।

- शहर स्मार्ट बन गया तो हर इमारत, बिजली के खंभे और पाइप पर लगे सेंसरों पर कौन निगरानी रखेगा

-हर व्यवस्था को बेहतरीन ढंग से चलाने के लिये यंत्रों को कौन नियंत्रित करेगा

कैसी होगी 2050 की दुनिया: इसमें कोई संदेह नहीं है कि शहरों को स्मार्ट बनने की जरुरत है। एक अनुमान के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करेगी, जिससे यातायात व्यवस्था, आपातकालीन सेवाओं और अन्य व्यवस्थाओं पर जबरदस्त दबाव होगा। सच्चाई यह है कि दुनियाभर में इस समय जो स्मार्ट शहर बन रहे हैं वे बहुत छोटे हैं। इन शहरों के बारे में काफी चर्चा हो रही है लेकिन उनके पास ऐसी कोई तकनीक नहीं है जिससे वास्तव में लोगों की जिंदगी में बदलाव आ रहा है। हालाकि अगले केंद्र प्रायोजित योजना से भागलुपर आने वाले पाच सालों में चीजें स्मार्ट हो जाएंगी। ऐसा नहीं कि भारत स्मार्ट सिटी की ओर अग्रसर होने वाला पहला देश है, इससे पहले से कई देशों में स्मार्ट सिटी परियोजनाएं बेहतरीन तरीके से क्रियान्वित की जा चुकी हैं। भारत में भी यदि इसे संजीदगी से अमल किया जाए तो इसे मोदी सरकार की बेहतरीन पहल कही जा सकती है।


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