नदियों का जलस्तर बढ़ा, खतरे में जिंदगी
भागलपुर। जिले में कोसी और गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। जिससे बाढ़ का खतरा मंडर
भागलपुर। जिले में कोसी और गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है।
जिससे बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। वहीं जिला प्रशासन संसाधन उपलब्ध होने का दावा तो करता है परंतु जमीनी स्तर पर बाढ़ से निपटने की मुक्कमल तैयारी नहीं दिख रही है। ऐसे में लोगों को बाढ़ का भय सताने लगा है।
जिले से होकर बहने वाली दोनों प्रमुख नदियां गंगा व कोसी के जलस्तर में ज्यादा वृद्धि हो रही है। हालांकि फिलहाल गंगा नदी खतरे के निशान से डेढ़ मीटर नीचे बह रही हैं। लेकिन यदि जलस्तर में ज्यादा वृद्धि हुई तो बाढ़ का पानी गांवों में फैलने में देर नहीं लगेगा। वर्ष 2013 में गंगा खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर तक बह रही थीं। जिसकी वजह से बाढ़ का पानी एनएच पर बहने लगा था। प्रशासन कागजी तौर पर अपनी तैयारी पूरी कर लेने का दावा कर रहा है। प्रशासन का कहना है कि बाढ़ को देखते हुए सिंचाई विभाग, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल और अंचलों को सतर्क कर दिया गया है।
जिला प्रशासन के मुताबिक पांच स्थानों पर कटाव निरोधी कार्य कराया गया है। प्रभावित स्थलों पर 63 गृहरक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिले में तटबंधों की सुरक्षा के लिए नवगछिया स्थित बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के भंडार में 3,10, 258 ईसी बैग, 11264 नायलोन क्रेट, 70,962 जियो बैग, 1169 मेगा जियो बैग, 1416 बोल्डर आदि सुरक्षित रखवा दिए गए हैं।
नाव की व्यवस्था
जिला प्रशासन के पास बाढ़ से निपटने के लिए अपनी 41 नाव हैं। 190 निजी देसी नाव अंचल स्तर पर चिह्नित की गई हैं। 1931 पॉलीथिन शीट्स भी उपलब्ध कराए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों को शरणस्थली के रूप में चिह्नित किया गया है। वहां पेयजल और शौचालय की व्यवस्था की गई है।
लाइफ जैकेट व मोटर बोट
प्रशासन का दावा है कि उसके पास जिले में बाढ़ से निपटने के लिए 190 लाइफ जैकेट हैं। बाढ़ प्रभावित अंचलों में दस-दस लाइफ जैकेट का वितरण किया गया है। वितरण के बाद 70 सुरक्षित लाइफ जैकेट हैं। दो मोटर बोट चालू हालत में हैं। कुल 58 गोताखोर भी हैं।
बाढ़ से प्रभावित होने वाले प्रखंड
जिले में आंशिक और पूर्ण रूप से 13 अंचल बाढ़ से प्रभावित हैं। नारायणपुर, बिहपुर, खरीक, रंगरा, इंस्माइलपुर, नवगछिया, गोपालपुर, कहलगांव, पीरपैंती, सबौर, सुल्तानगंज, नाथनगर व जगदीशपुर। पुराना इतिहास है कि इन अंचलों के 199 पंचायतों में बाढ़ का पानी खतरा पैदा करता है।