इलाज करवाना हो तो सीधे जेएलएनएमसीएच जाइए
भागलपुर [अशोक अनंत]। सरकार स्वास्थ्य केंद्रों के विकास का भले ही दावा करें लेकिन स्थिति यह है कि स्व
भागलपुर [अशोक अनंत]। सरकार स्वास्थ्य केंद्रों के विकास का भले ही दावा करें लेकिन स्थिति यह है कि स्वास्थ्य केंद्र केवल सर्दी-खांसी और प्रसव करवाने भर के लिए ही रह गए हैं। यही वजह है कि जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में जिले के स्वास्थ्य केंद्रों से ज्यादातर मरीज रेफर किए जाते हैं। हल्की भी खरोंच आ जाए तो स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक इलाज करने की जहमत ना उठाते हुए मायागंज अस्पताल भेज देते हैं।
स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों एवं संसाधनों की कमी है। चाहे सदर अस्पताल, रेफरल अस्पताल हो अथवा स्वास्थ्य केंद्र ना तो अस्पताल में मुकम्मल सर्जन है और न ही बेहोशी के चिकित्सक ही। हड्डी एवं शिशु विशेषज्ञों की कमी भी है। केवल आउटडोर में मरीजों का इलाज होता है। अत: अगर आपका मरीज गंभीर है तो सीधे मायागंज अस्पताल लाने के सिवाय और कोई चारा भी नहीं है, इसी में मरीज की भी भलाई है। जिले में एक सदर अस्पताल, 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 54 है। इन अस्पतालों में मरीज को बेहोश करने की नौबत आ जाय तो चिकित्सकों के हाथ पांव फूल जाते हैं। दुर्घटना के अधिकांश मरीजों को मायागंज अस्पताल भेज दिया जाता है। जेएलएनएमसीएच आपातकालीन विभाग के प्रभारी डॉ. एसपी सिंह के मुताबिक ज्यादातर भर्ती मरीज स्वास्थ्य केंद्रों से रेफर ही आते हैं।
जिले में अस्पतालों की संख्या
सदर अस्पताल-1
अनुमंडलीय अस्पताल-2
रेफरल अस्पताल-3
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-16
आपातकालीन विभाग में भर्ती मरीजों की संख्या
जनवरी -1690
फरवरी-1440
मार्च-1570
अप्रैल-1840
मई-2080
जून-1960
आइसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या
जनवरी से 17 जुलाई तक- 1160
शिशु विभाग में भर्ती मरीजों की संख्या
जनवरी से जून तक-1814
कोट : आईसीयू में भर्ती 90 फीसद मरीज स्वास्थ्य केंद्रों या निजी क्लीनिकों से रेफर होकर आते हैं।
डॉ. महेश कुमार, आईसीयू प्रभारी
स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञों की कमी से ज्यादातर बच्चे मायागंज रेफर कर दिए जाते हैं।
डॉ. आरके सिन्हा, विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विभाग, जेएलएनएमसीएच