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तो कागजों पर ही नजर आएगा भागलपुर

भागलपुर। इतिहास बनने में सदिया गुजर जाती हैं। यह इतिहास ही है जो हमें गौरवशाली होने का अहसास कराता

By Edited By: Published: Sun, 21 Jun 2015 02:49 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2015 02:49 AM (IST)
तो कागजों पर ही नजर आएगा भागलपुर

भागलपुर। इतिहास बनने में सदिया गुजर जाती हैं। यह इतिहास ही है जो हमें गौरवशाली होने का अहसास कराता है। इसके धरोहरों को संजोकर रखने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी वर्तमान की होती है। ये किस हाल में है इस पर लगातार सोच-विचार होना चाहिए। तब जबकि प्राकृतिक उथल-पुथल से धरती आए दिन काप रही है। नेपाल का उदाहरण सामने है। भूकंप यहा के वर्तमान को ही नहीं हिला गया। जमींदोज कर गया पूरा का पूरा इतिहास.। जानते हैं क्यों, वक्त के साथ उसे सहेजना वहा के लोग सीख न सके। भागलपुर भी अपने दामन में सदियों का इतिहास समेटे है। महाभारतकाल से लेकर मुगल शासन तक। वीर रुहेलों की सत्ता से लेकर अंग्रेजों की हुकूमत तक भागलपुर ने देखा है। उन्हीं सब की यादें समेटी दर्जनों इमारतें जिले की पहचान हैं लेकिन अफसोस.। आज यह इमारतें वक्त की ऐसी दहलीज पर खड़ी हैं कि अगर इनका संरक्षण न किया गया तो आने वाली पीढ़ी को यह केवल कागजों पर ही नजर आएंगी। अंग क्षेत्र की बात करें तो डेढ़ सौ से अधिक ऐतिहासिक इमारतें हैं जिसमें अधिकतर बदहाल होती जा रही हैं। आज जरूरत हैं उनको संरक्षित करने की ताकि हमारी ऐतिहासिक धरोहर बची रहे है।

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गैर योजनाबद्ध तरीके से हो रहा रहा विस्तार

सूबे का सबसे पुराना और एतिहासिक नगर का गौरव प्राप्त होने के बावजूद सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण भागलपुर का विस्तार गैर योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है। खुले व साफ-सुथरे माहौल का अभाव होने से अब यहां लोगों को घुटन महसूस होने लगी है। कारण है कि लगभग ढाई सौ साल पुराना जिला होने के बाद भी भागलपुर में सीवर लाइन नहीं है। नालियों की निकासी व्यवस्था ठीक नहीं है। अतिक्रमण के चलते सड़कें संकीर्ण हो गई है। बावजूद इसके शहरी आकर्षण के चक्कर में लोग गांवों से निकलकर यहां आ रहे हैं और बिना किसी बेहतर जनसुविधा के बड़े भवनों का निर्माण कर रहे हैं।

थम गया है आवास बोर्ड का काम

भागलपुर में बिहरी राज्य आवास बोर्ड के अंतर्गत लगभग 102.93 एकड़ जमीन है। इसको आठ सेक्टर में बांटा गया है। वहीं सभी सेक्टर में सभी वर्गो के लिए घर और जमीन का प्रबंध किया गया है। लेकिन शहर का दुर्भाग्य है कि आजतक आवास बोर्ड अपने सभी सेक्टरों में न तो भवनों का निर्माण कर पाया है और न ही खाली पड़े आवंटित भूभाग पर लाभुकों के द्वारा भवन का निर्माण करा पाया है। हालात यह है कि जिनके नाम से मकान व जमीन का अलाटमेंट हुआ है। उनमें से कई लोग जमीन व मकान स्थानांतरित कर लाभ कमाने के चक्कर में लगे हैं।

गरीब को घर देने की योजना महज कागजी कवायद

नगर विकास एवं आवास विभाग ने शहर के अति गरीब वर्ग के लोगों को घर बनाकर देने के लिए राजीव गांधी शहरी आवास योजना के क्रियान्वयन की घोषणा की। किंतु उस योजना पर कोई काम नहीं हुआ। प्रत्येक वार्ड में गरीब वर्ग के 30 से 35 लोगों को मकान बनाकर देने की योजना थी। इसके लिए नगर निगम प्रशासन ने प्रत्येक वार्ड पार्षद के माध्यम से गरीब वर्ग के लोगों की सूची मांगकर राज्य सरकार के पास भेजने का काम किया था। किंतु उक्त सूची के भेजने के बाद न तो सरकार की ओर से अगली कार्रवाई के लिए कोई आदेश आया और न ही नगर निगम के स्तर प्रयास हुआ।

बिना नक्शा के बना रहे मकान

भागलपुर में आज बड़े पैमाने पर मकान बनाए जा रहे हैं, लेकिन नाली, सड़क व बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं कोई ख्याल नहीं रखा जा रहा। इस काम को अंजाम देने में बड़ी संख्या भू माफिया भी सक्रिय है। शायद यही कारण है कि नगर निगम प्रशासन मकान तैयार होने के बाद लोगों से नक्शा पास होने का ब्योरा मांग रहा है। गौरतलब है कि आज भी शहर में छोटे वाहनों के लिए पड़ाव की सुविधा नहीं है। शौचालय का बेहतर प्रबंध नहीं है। सड़कें अतिक्रमण का शिकार हैं। नतीजतन मकान बनने के बावजूद लोगों को आवासीय इलाकों में जीवन यापन का सुख नहीं मिल रहा है।

आवंटन की शर्ते

औपबंधिक कीमत के पश्चात 60, 120, 180 किश्तों में प्लाट की कीमत लाभुकों से वसूल किया जाता है।

अगर लाभुक प्लाट की कीमतों की पांच किश्तें लगातार भुगतान नहीं करते हैं तो फिर उनका अलाटमेंट रद हो जाता है।

बिना विभागीय अनुमति के मकान में लाभुक द्वारा छेड़छाड़ किया जाता है तो फिर उनका अलाटमेंट रद कर दिया जाता है।

महीने की सात तारीख को राशि भुगतान की शर्ते और सात तारीख के बाद के शर्तो के बहुत अंतर होता है।

भागलपुर की एक झलक

वर्ष 2011 के आंकड़ों की मानें तो जिले की आबादी लगभग 30 लाख 37 हजार 766 है जिसमें से शहरी क्षेत्र की आबदी लगभग चार लाख है। साक्षरता के मामले में दो लाख 80 हजार पुरुष और सवा लाख महिलाएं हैं। बावजूद इसके पूरे देश में पिछड़ा स्तर के जिलों में भागलपुर का स्थान 250 पर है और यही वजह है कि शहर के विकास के लिए सरकार वेकवर्ड रीजन ग्रांट फंड के अधीन राशि मुहैया करती है।


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