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इस चुनाव पर निर्भर है उद्योगों की रफ्तार

आगामी तीन-चार महीनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे। इस चुनाव के नतीजे ही राज्य में औद्योगिकीकरण की दिशा-दशा तय करेंगे।पिछले दो-तीन वर्ष से जारी राजनीतिक उथल-पुथल ने राज्य में निवेश की रफ्तार धीमी की है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2015 12:19 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2015 12:31 PM (IST)
इस चुनाव पर निर्भर है उद्योगों की रफ्तार

भागलपुर [आलोक दीक्षित]। आगामी तीन-चार महीनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे। इस चुनाव के नतीजे ही राज्य में औद्योगिकीकरण की दिशा-दशा तय करेंगे।

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पिछले दो-तीन वर्ष से जारी राजनीतिक उथल-पुथल ने राज्य में निवेश की रफ्तार धीमी की है। निवेशक राज्य में एक मजबूत और बहुमत की सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इससे हालात बदलेंगे।

वर्ष 1990-2005 का दौर राज्य के उद्योगों के लिए काला अध्याय था। इस दौरान बिगड़ी विधि व्यवस्था से परेशान उद्यमी पलायन कर गए। 2005 में पूर्ण बहुमत वाली नीतीश सरकार आई और नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति घोषित की गयी।

नए उद्योग लगाने वालों को यहां हरसंभव सहायता, अनुदान और सुविधाएं देने का आश्वासन दिया गया। इस दौरान छह-सात वर्षों तक राज्य सरकार उद्यमियों को आमंत्रित करती रही। 2011 में इस नीति की समीक्षा की गई। आए सुझावों पर नीति में संशोधन किया गया। पटना में निवेशकों के सम्मेलन भी आयोजित किए गए।

एक अप्रैल 2006 को राज्य में नए उद्योग लगाने की मंजूरी देने के लिए राज्य सरकार ने राज्य निवेश प्रोत्साहन परिषद का गठन किया। इस परिषद ने अब तक लगभग 1500 विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इससे राज्य में तीन लाख करोड़ रुपये का निवेश होना था। इसमें ऊर्जा उत्पादन, चीनी मिल और कई अन्य उद्योगों की स्थापना के प्रस्ताव शामिल थे।

लेकिन इस दौरान पूंजी निवेश की रफ्तार बहुत धीमी रही। मात्र 7,550 करोड़ का पूंजी निवेश ही हो सका। इस दौरान कुल 289 उद्योग स्थापित हुए। इनमें अधिकांश कृषि उत्पाद आधारित हैं।

इस बीच राजनीतिक उथल-पुथल ने निवेशकों के कदमों को विराम दे दिया। अब वे अनुकूल वातावरण का इंतजार कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें अगले विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार है।

बिहार में औद्योगिकीकरण

-एक अप्रैल 2006 को हुआ राज्य निवेश प्रोत्साहन परिषद का गठन

-परिषद ने अब तक 1500 विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं को दी मंजूरी

-ऊर्जा, चीनी मिल व कई अन्य उद्योगों की स्थापना के थे प्रस्ताव

-लेकिन इस दौरान पूंजी निवेश की रफ्तार बहुत धीमी रही

-मात्र 7,550 करोड़ का पूंजी निवेश ही अभी तक हो सका है संभव

-289 उद्योग हुए स्थापित, अधिकांश कृषि उत्पाद आधारित


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