चिकित्सक नहीं कराएंगे नर्सिग होम व क्लीनिकों का रजिस्ट्रेशन
जागरण संवाददाता, भागलपुर : राज्य सरकार द्वारा क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत नर्सिग होम एवं क्ल
जागरण संवाददाता, भागलपुर : राज्य सरकार द्वारा क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत नर्सिग होम एवं क्लीनिकों के रजिस्ट्रेशन करवाने का निर्देश का पालन नहीं करेंगे चिकित्सक। चिकित्सकों के मुताबिक यह निर्णय कॉरपोरेट अस्पतालों के लिए है। जहां मरीजों को इलाज करवाने में लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। बिहार जैसे शहरों के लिए एक्ट का लागू करना उचित नहीं है। क्योंकि इसका असर निर्धन एवं मध्यवर्गीय मरीजों के इलाज पर पड़ेगा। सरकार पहले अस्पतालों में सुविधा, चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के लिए सोचे।
नहीं कराएंगे रजिस्ट्रेशन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भागलपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. एससी झा ने कहा कि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत नर्सिग होम एवं क्लीनिकों का चिकित्सक रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे। क्योंकि पूर्व में भी सरकार ने रजिस्ट्रेशन करवाने का आदेश दिया था। इस मामले में चिकित्सक संघों ने उच्च न्यायालय में मामला दर्ज कराया है। न्यायालय के आदेश आने के पहले भागलपुर के चिकित्सक रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे।
अस्पताल पर बढ़ेगा बोझ
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अर्जुन कुमार सिंह ने कहा कि सरकार को चाहिए था कि क्लीनिक एवं नर्सिग होम में क्या कमी है इसे पूरा करने के बाद ही एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवाए। सरकार को बताना चाहिए कि क्या कमियां हैं? हालांकि रजिस्ट्रेशन करवाने पर फर्जी चिकित्सकों पर लगाम लगेगी। क्योंकि ज्यादातर फर्जी चिकित्सक ग्रामीण इलाकों में हैं। एक्ट लागू होने पर कॉरपोरेट अस्पतालों को बढ़ावा मिलेगा और मरीजों को इलाज करवाने में ज्यादा खर्च वहन करना पड़ेगा।
चिकित्सकों के फीस में है अंतर
शहर के विभिन्न चिकित्सकों से इलाज करवाने में मरीजों को कहीं कम तो कहीं ज्यादा फीस देनी पड़ती है। कम से कम दो सौ से लेकर पांच सौ रुपये फीस देनी पड़ती है। कुछ ऐसे भी चिकित्सक हैं जिनके तीन तरह के फीस हैं। यानि 500, 800 और 1000 रुपये तक लेते हैं।
ऑपरेशन की फीस में भी एकरुपता नहीं
-हार्निया : पांच हजार से दस हजार रुपये
-हाइड्रोसिल : पांच से 10 हजार रुपये
-गॉल ब्लाडर : 10 हजार से 25 हजार रुपये
-सिजेरियन : 10 हजार से 25 हजार रुपये
अगर क्लीनिकों का रजिस्ट्रेशन होता है तो उक्त ऑपरेशनों के लिए कई गुनी ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ेगी।
क्लीनिकों एवं नर्सिग होम की संख्या
क्लीनिक : 200 से ज्यादा
नर्सिग होम: 50 से ज्यादा
अल्ट्रासाउंड : 20 से ज्यादा
जांचघर : तकरीबन 100