नकल कर रहे सुमित को लाभ पहुंचाने की थी केंद्राधीक्षक की मंशा
जागरण संवाददाता, भागलपुर : 19 अप्रैल 2015 को मारवाड़ी कालेज परीक्षा केंद्र पर बिहार संयुक्त मेडिकल प्
जागरण संवाददाता, भागलपुर : 19 अप्रैल 2015 को मारवाड़ी कालेज परीक्षा केंद्र पर बिहार संयुक्त मेडिकल प्रवेश परीक्षा में नकल करते पकड़े गए सुमित कुमार को मदद पहुंचाने की मंशा से उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई थी केंद्राधीक्षक डॉ. जान ने। ऐसी रिपोर्ट तातारपुर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर केपी सिंह ने सोमवार को दाखिल कर दी है। एसएसपी से इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई का अनुरोध कर दिया है। इससे मारवाड़ी कालेज के प्राचार्य सह तत्कालीन केंद्राधीक्षक डॉ. एमएचएस जान पर शिकंजा कस सकता है। दरअसल डॉ. जान ने परीक्षा केंद्र अधीक्षक के अधिकार नियमावली में फार्म-13 का हवाला देकर यह रिपोर्ट दी है कि उक्त नियमावली के तहत उन्हें प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार नहीं है। लेकिन बाद में वे 17 दिन बाद फरार आरोपी सुमित कुमार के खिलाफ विश्वविद्यालय थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करा कर और उलझन मोल ली। इंस्पेक्टर केपी सिंह ने उक्त प्राथमिकी में दर्ज सारे धारा को अजमानतीय बनाया है। अपनी रिपोर्ट में इंस्पेक्टर ने कहा है कि जिस नियमावली का हवाला प्राचार्य सह केंद्राधीक्षक ने दिया है उस नियम का उन्होंने पालन नहीं किया है। जबकि बिहार परीक्षा संचालन नियमावली कहती है कि मैट्रिक समेत वैसी तमाम परीक्षा में नकल करना, नकल करने में मदद करना समेत नकल से संबंधित तमाम आरोप अजमानतीय है। उक्त नियमावली में संयुक्त मेडिकल प्रवेश परीक्षा भी शामिल हैं। ऐसे में ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए नकल करते पकड़े गए सुमित कुमार की गिरफ्तारी बाद उसका रहस्यमय तरीके से फरार हो जाने और फरार होने की जानकारी रहने के बावजूद एक तो नकल करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराया जाना अपने आप में सब कुछ जाहिर कर देता है। विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष समरेंद्र कुमार की भूमिका भी इस मामले में साफ जाहिर हो चुकी है कि उन्होंने प्राथमिकी दर्ज नहीं करने संबंधी बात अपने तमाम वरीय पदाधिकारियों से छिपा कर रखी। पुलिस अभिरक्षा में होने के बावजूद सुमित कुमार को फरार होने की स्थिति में अलग से भी एक प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की। यही नहीं एक मामूली इंट्री तक नहीं की।