फोटो: पौधों की पहचान पर बॉटनी के वैज्ञानिकों का मंथन
जागरण संवाददाता,भागलपुर: पौधों की पहचान आधुनिक समय में संकट में है। बॉटनी की पढ़ाई से भी छात्रों का
जागरण संवाददाता,भागलपुर: पौधों की पहचान आधुनिक समय में संकट में है। बॉटनी की पढ़ाई से भी छात्रों का मोह कम हो रहा है। पौधों की पहचान को कायम रखने के लिए टीएनबी कॉलेज में शुक्रवार को दिन भर देश के वैज्ञानिकों का मंथन हुआ। आठ दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के जरिए पौधों के वर्गीकरण में क्षमता निर्माण को बढ़ाने के लिए बॉटनी के विद्वानों ने अपने विचारों को रखा। कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण कोलकाता के निदेशक डॉ. परमजीत सिंह, प्रतिकुलपति प्रो. एकेराय, साइंस के डीन प्रो. केएलबी सिंह, शिवाजी विवि कोल्हापुर के बॉटनी हेड प्रो. एसआर यादव, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पी. लक्ष्मीनरासिम्हन, पीजी बॉटनी के हेड प्रो. एकेसिंह ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर वर्कशॉप का उद्घाटन किया। प्राचार्य प्रो. डीएन झा एवं आयोजन सचिव प्रो. एच के चौरसिया ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव प्रो. हीरेंद्र कुमार चौरसिया ने पादप वर्गीकरण के क्षेत्र में हो रहे बदलाव की विस्तार से चर्चा की। निदेशक डॉ. परमजीत सिंह ने पादप वर्गीकरण के विकास में संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। साइंस के डीन प्रो.केएलबी सिंह ने शोध के इंटरनेट तक ही सीमित रहने पर गहरी चिंता जताई। कहा कि बॉटनी के शोध में फील्ड स्टडी बेहद जरूरी है। अन्यथा छात्र पौधों की सही तरीके से पहचान नहीं कर पाएंगे। सभी वक्ताओं ने मानव अस्तित्व को बचाने के लिए पौधों को बचाने की जोरदार वकालत की। पृथ्वी पर करीब 1.7 मिलीयन पादप का वर्गीकरण हो चुका है। इसके बावजूद बड़ी संख्या ऐसे पादप बचे हुए हैं जहां तक वैज्ञानिकों की पहुंच नहीं हो पाई है। समारोह का संचालन राजनीतिशास्त्र के शिक्षक प्रो. मनोज कुमार ने मनमोहक अंदाज में किया। इस अवसर पर डॉ. ज्योतिंद्र चौधरी, शिक्षक संघ के नेता प्रो. डीएन राय, प्रो. केसी मिश्रा, प्रो. फारुक अली, प्रो. लक्ष्मीश्वर झा, प्राचार्य प्रो. मीना रानी यादव, प्रो. जर्नादन शर्मा, प्रो. एके चौधरी आदि मौजूद थे। वक्ताओं ने बॉटनी के शिक्षक सह आयोजन सचिव प्रो. एच के चौरसिया की प्रतिभा की जमकर तारीफ की।