जुए में आज किसी की हार तो किसी की होगी बल्ले-बल्ले
क्लब, होटलों में बड़े हाथ तो अड्डे पर कटेगी नाल जागरण संवाददाता, भागलपुर : सिल्क सिटी में फड़ का फंड
क्लब, होटलों में बड़े हाथ तो अड्डे पर कटेगी नाल
जागरण संवाददाता, भागलपुर : सिल्क सिटी में फड़ का फंडा चलाने वाले शातिर सुकरतिया के जुए का स्वरूप बदल उसका विस्तार कर दिया है। अब जुआ होटलों, क्लबों में होने लगा है। परंपरागत तरीके से पुराने अड्डों पर जुआ तो होता आ रहा है लेकिन दीपावली की रात लाखों नहीं करोड़ों के जुए का खेल शहर के तीन होटलों और एक क्लब में होता है। जिसमें कोलकाता, बेंगलुरु और झारखंड के कई व्यवसायी जुए पर बाजी लगाने आते हैं। उनके लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। ये आराम से जुए पर लाखों की बाजी लगाते हैं। उनके खेल में किसी किस्म का विघ्न ना हो, इसकी पूरी तैयारी उन होटलों और क्लब के संचालक कर रखते हैं। इलाके के थाने के अलावा अधिकारी की रकम बंधी होती है। वे जानते है कि यहां कई तरह के खेल होते है। हां उनके बड़ी राहत यह रहती है कि उन होटलों और क्लब में जुए के खेल में गोलियां चलने या मारपीट की गुंजाइश नहीं रहती। दूसरी ओर पुराने जुए के अड्डों पर हमेशा हिंसा की आशंका बलवती रहती है। वहां शराब के साथ जुए के फड़ में भाग लेने वालों के लिए मांसाहारी भोजन, शराब आदि का इंतजाम रहता है। उन जगहों पर दीपावली को जरायम पेशेवर भी खासी तादात में पहुंचते हैं। ऐसी स्थिति में वहां हिंसा का खतरा बना रहता है। अड्डे के संचालक को नलकट्टी लेने में ऐसे जरायम पेशेवरों से अक्सर ऐसी स्थिति में लड़ाई हो जाया करती है। फतेहपुर, सबौर, नाथनगर, मोजाहिदपुर, मुंदीचक, जाह्नवी चौक इलाके में चलाए जाने वाले जुए के फड़ पर लाखों का रोज जुआ होता है। इन फड़ों के संचालकों से पुलिस को बंधी बधाई रकम मिलती है। बदले में उन्हें पुलिस का संरक्षण मिलता है। बात जब दूर तलक जाती है तो किसी ईमानदार पुलिस अधिकारी की ओर से ऐसी स्थिति में बड़ी कार्रवाई सामने आती रहती है। वरना उनके धंधे बदस्तूर जारी होते हैं।
जुए के फड़ पर भागलपुर और आसपास के इलाके से लोग पहुंचते हैं। जबकि होटल और क्लब में दूसरे राज्यों तक के व्यापारी पहुंचते हैं।
एक रात में होगा करोड़ का खेल
सिल्क सिटी में दीपावली की रात जुए का खेल करोड़ में प्रवेश कर जाता है। जिन होटलों और क्लब में खेल होता है वहां लाख से बाजी शुरू होती है। जबकि पुराने अड्डों पर एक हजार रुपये से बाजी शुरू होती है। वहां भी लाखों का खेल होता है।