और चुपके-चुपके टीएनबी बन गया चैंपियन
रूप कुमार, भागलपुर
128 साल की यादों को साथ लेकर चल रहा टीएनबी कॉलेज नैक से ए ग्रेड पाकर इतरा उठा है। दरअसल कॉलेज प्रशासन को ए ग्रेड की उम्मीद नहीं थी लेकिन टीएनबी के बेहतर शैक्षणिक माहौल, शोध, खेलकूद, सांस्कृतिक परिषद, अनुशासन, कैंटीन, कैंपस ने इसे चुपके से चैंपियन बना दिया। शिक्षकों के टीम स्प्रिट से नैक की टीम काफी प्रभावित थी। जो भी शिक्षक मूल्यांकन के दौरान मिले सब ने नैक टीम से एक ही बात कही सर, कॉलेज को ए ग्रेड दे दीजिए। टीएनबी कॉलेज के छात्र रह चुके प्रतिकुलपति डॉ. एके राय ने नैक के एक्जिट मीटिंग में अपने भाषण में कॉलेज को एक्सलेंस दर्जा देने की मांग रखी थी। कुलपति, प्रतिकुलपति, प्राचार्य, शिक्षक, कर्मचारियों एवं छात्रों की भागीदारी एवं प्रतिबद्धता ने कॉलेज को देश के टॉप कॉलेजों की श्रेणी में ला दिया है। शनिवार को कॉलेज में ए ग्रेड मिलने की खुशी का इजहार किया गया। बंदी के बाद भी कॉलेज खुला। शिक्षकों ने प्राचार्य डॉ. डीएन झा को मालाओं से लाद दिया। कर्मचारियों, शिक्षकों एवं बैंक प्रबंधक ने ए ग्रेड मिलने पर बधाई दी। कॉलेज को बेहतर बनाने में सभी का सहयोग रहा। शनिवार को आयोजित समारोह में उपप्राचार्य डॉ. के.सी. मिश्रा, शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. डीएन राय, डॉ. फारुक अली, डॉ. राजीव सिंह, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. सरोज राय, डॉ. योगेंद्र महतो, सेक्शन अफसर विभाष चंद्र झा, कर्मचारी संघ के नेता अमरेंद्र झा सहित अन्य कॉलेजकर्मी खुशी में शामिल हुए। प्राचार्य डॉ. दुर्गेशनंदन झा ने इस अवसर पर कहा कि ए ग्रेड मिलने से कॉलेज की जिम्मेवारी बढ़ गई है। कॉलेज आने वाले दिनों में और शिखर पर जाएगा। उन्होंने कुलपति, प्रतिकुलपति, शिक्षक संघ, सभी शिक्षकों, कर्मचारियों का सहयोग के लिए आभार जताया है।
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रंग-बिरंगी रोशनी से नहा उठा कॉलेज
कॉलेज में शनिवार शाम दीपावली सा दृश्य था। कॉलेज के गेट एवं परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया था। पूरा परिसर रोशनी से नहा उठा।
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- कॉलेज की दुरुस्त होगी व्यवस्था
- कॉमर्स की पढ़ाई होगी शुरू
- हर विभाग को कंप्यूटर से जोड़ा जाएगा
- रिसर्च को और मिलेगा बढ़ावा
- बेहतर रिजल्ट लाने वाले छात्रों को किया जाएगा पुरस्कृत
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टीएनबी का साइंस तो सदा से रहा है सिरमौर
टीएनबी कॉलेज की पहचान बिहार में साइंस की पढ़ाई को लेकर लंबे समय से है। टीएनबी ने साइंस में शोध के बल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। नैक की टीम भी कॉलेज के साइंस विभाग से प्रभावित हुई। खासकर बॉटनी, बायोटेक्नोलॉजी एवं जुलॉजी ने तो नैक टीम को प्रभावित किया। बॉटनी के शिक्षक डॉ. एके चौधरी के शोध की टीम ने तारीफ की थी। डॉ. चौधरी ने फफुंदी द्वारा श्रवित कैंसर कारक अवयव को नियंत्रित करने वाली जीन की पहचान की है। तथा उस जीन के न्यूक्लियोटाइड के अनुक्रमण का एनसीबीआइ (जीन बैंक )यूएसए, पीएमडीएल यूरोप, डीएनए डाटा बैंक जापान से पेटेंट हुआ है। इन्होंने पौधों में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के तकनीक को विकसित किया। डॉ. चौधरी के प्रयास से बिहार सरकार ने टिश्यू कल्चर लैब के जरिए बम्बू एवं शीशम के पौधों का व्यवसायिक उत्पादन का प्रोजेक्ट दिया है।
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पूर्वी भारत में सबसे पहले लाइफ साइंस की पढ़ाई टीएनबी कॉलेज में
टीएनबी कॉलेज में सबसे पहले लाइफ साइंस की पढ़ाई शुरू हुई थी। पूर्वी भारत में इसकी पढ़ाई शुरू करने वाला टीएनबी पहला कॉलेज था। 1938 में इसकी शुरुआत हुई थी। टीएनबी के वनस्पति विज्ञान के प्रथम प्रोफेसर आरएस मिश्रा को फादर ऑफ इंडियन इकोलॉजी के नाम से जाना जाता था। इंटरनेशनल स्तर के प्रोफेसर केएस बिलग्रामी ने ही पीजी की पढ़ाई टीएनबी कॉलेज में शुरू करवाई थी। वर्तमान में टीएनबी कॉलेज के बॉटनी के विभागाध्यक्ष डॉ. एनके साह ने नैक की टीम के समक्ष विभाग की उपलब्धियों को बखूबी रखा था। बॉटनी के शिक्षक एचके चौरसिया का भी शोध भी प्रशंसनीय है। बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग की पढ़ाई भी काफी बेहतर है। जंतु विज्ञान विभाग के शिक्षक डॉ. फारुक अली ने पढ़ाई को व्याख्यान से जोड़कर एक नई शुरुआत की है। नैक टीम के सदस्य डॉ. मुकुलचंद्र पांडेय ने डॉ. अली की उपलब्धि की सराहना पत्र भेजकर की है।
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कॉलेज की चुनौती -
- पुस्तकालय को अत्याधुनिक बनाना
- शोध में गुणात्मक बदलाव
- कैंपस सलेक्शन की अनिवार्यता
- कॉमर्स की पढ़ाई शुरू कराना
- पूर्ववर्ती छात्रों की कॉलेज के विकास में सीधी भागीदारी
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'' टीएनबी कॉलेज को ए ग्रेड मिलना गौरव की बात है। इसके लिए विश्वविद्यालय एवं कॉलेज प्रशासन ने काफी मेहनत की। शिक्षकों ने भी बेहतर सहयोग दिया।
डॉ. डीएन राय अध्यक्ष शिक्षक संघ
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'' टीएनबी कॉलेज की व्यवस्था को बेहतर बनाने की पहल होगी। कॉमर्स की पढ़ाई शुरू करने का प्रयास होगा। कई विभागों में पीजी की पढ़ाई शुरू हुई है। बेहतर तालमेल एवं टीम वर्क के कारण कॉलेज को ये मुकाम मिला।
डॉ. ए.के.राय प्रतिकुलपति टीएमबीयू
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'' टीएनबी कॉलेज को ए ग्रेड मिलने का श्रेय टीम वर्क का परिणाम है।
डॉ. डीएन झा प्राचार्य