सड़क बनी नहीं, पड़ गई मरम्मत की दरकार
जागरण संवाददाता, भागलपुर : विभागीय अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत के कारण लोगों को जर्जर व गढ्डेनुमा सड़कों पर हिचकोले खाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
घूरनपीर बाबा मजार-तिलकामांझी चौक के निर्माण पूरा होने से पहले ही सड़क जर्जर हो गई। अर्द्धनिर्मित सड़क को दो माह ही मरम्मत की दरकार पड़ गई। रविवार को मेडिकल कॉलेज के समीप करीब 25 मीटर तोड़कर सड़क गिट्टी मिश्रित डस्ट से मरम्मत कार्य किया गया। मगर बारिश के पानी में डस्ट बह गया।
विक्रमशिला सेतु पहुंच पथ, वैकल्पिक बाइपास व घूरनपीर बाबा मजार-तिलकामांझी सड़क निर्माण का ठेका साई इंजीकॉन कंपनी को फरवरी माह में मिला। टेंडर के मुताबिक घूरनपीर बाबा मजार-तिलकामांझी सड़क का निर्माण कार्य 28 मई तक तथा वैकल्पिक बाइपास व सेतु पहुंच पथ का निर्माण 28 सितंबर तक ठेकेदार को पूरा करना था। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता व ठेकेदार की कार्यशैली के कारण एक भी सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। तिलकामांझी-घूरनपीर बाबा मजार सड़क का अधूरा निर्माण कर ठेकेदार ने कार्य बंद दिया। सात महीने में गंगा ब्रिज पहुंच सड़क का निर्माण एक मीटर भी नहीं हो सका है। वहीं 10 किलोमीटर लंबी वैकल्पिक बाइपास निर्माण की भी यही स्थिति है। सात महीनों में महज दो जगहों पर करीब 350 मीटर पीसीसी सड़क का निर्माण हो सका है। इसके बाद पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार को सात-आठ करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। जबकि दो करोड़ रुपये का कार्य भी नहीं हो सका है।
महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 28 फरवरी को वर्क ऑर्डर मिलने के साढ़े तीन माह बाद सड़क निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई। जब तक निर्माण कार्य में तेजी आती बारिश शुरू हो गई। बारिश का बहाना बना घूरनपीर बाबा मजार-तिलकामांझी सड़क का अधूरा निर्माण कर ठेकेदार ने काम बंद दिया। बारिश की आड़ में ही वैकल्पिक बाइपास व गंगा ब्रिज पहुंच सड़क निर्माण कार्य ठप है। यदि मार्च से कार्य शुरू किया जाता तो सभी सड़कों का निर्माण पूरा हो जाता।
इधर, रविवार को ही कचहरी चौक-घूरनपीर बाबा मजार चौक के बीच भी सड़क मरम्मत का कार्य किया गया। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से मेंटनेंस पॉलिसी के नाम पर जैसे-तैसे सड़क की मरम्मत कराई गई। बारिश ने कराए गए घटिया काम का पोल खोल दिया। सड़क टूट गई।