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फाइलों में ही खेल लिया ग्रामीण खेल

By Edited By: Published: Sat, 20 Sep 2014 11:06 PM (IST)Updated: Sat, 20 Sep 2014 11:06 PM (IST)

-ग्रामीण खेलकूद के विकास और आधारभूत संरचना 'पायका' के लिए आई 43 लाख रुपए की राशि हो रही वापस

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-2008-09 व 2012-13 में आई थी राशि जो बैंक में ही जमा रह गई

-खेल का पैसा खेल विभाग को ही मिले : जिला खेल पदाधिकारी

-सरकार के निर्देश पर 'पायका' के लिए जो भी राशि आई वापस किया जाएगा : डीडीसी

राम प्रकाश गुप्ता, भागलपुर : भागलपुर में ग्रामीण खेलकूद के विकास और आधारभूत संरचना के लिए आई राशि खर्च नहीं हुई। करीब छह वर्षों तक यह राशि फाइलों में हीे खेलती रही। सरकार ने राशि खर्च नहीं होने पर नाराजगी जताई है और दी गई राशि को शीघ्र वापस करने को कहा है। पिछले पांच वर्षों में पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान (पायका) के तहत कुल 43 लाख की राशि मिली। यह राशि खेल पदाधिकारी को नहीं देकर जिला परिषद को दे दिया गया। जिसकी वजह से खेल के विकास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ। राशि बैंक में ही जमा रह गई। वर्ष 08-09 में आई राशि खर्च नहीं होने से इसके आगे इस योजना में कोई राशि नहीं मिली। जिसकी वजह से ग्रामीण युवक खेल प्रतियोगिता में भाग लेने से वंचित रह गए।

राशि से नन कंजूमेबल खेल उपकरण खरीदना था

-फुटबॉल गोल पोस्ट व नेट सेट

-हॉकी गोल पोस्ट व नेट सेट

-वॉलीबॉल पोल व नेट

-बास्केटबॉल पोल व नेट

-हैंडबॉल पोल व नेट

-पैरलल बार व रिंग

-शॉट पुट

-डिरकस

-जैबलिन

-टेक ऑफ बोर्ड

-हाईजंप बार व स्टैंड

-टेबुल टेनिस बोर्ड

-कुश्ती मैट

-ताइक्वांडो मैट

-वेट लिफ्टिंग प्लेटफार्म

कंजूमेबल खेल उपकरण

-मेजरिंग टेप

-फुटबॉल

-वॉलीबॉल

-हैडबॉल या बास्केटबॉल

-प्राथमिक उपचार बॉक्स

-डेटोल, कॉटन, आयोडेक्स

कहां कितनी राशि देय

पंचायत को एककालिक पूंजीगत अनुदान-एक लाख रुपए

प्रखंड को एककालिक पूंजीगत अनुदान-पांच लाख रुपए

वार्षिक अनुदान पंचायत को दस हजार व प्रखंड को 20 हजार

वार्षिक प्रचलनात्मक अनुदान पंचायत को 12 हजार व प्रखंड को 24 हजार रुपए

उक्त राशि से खेल मैदान का घेरा बनाना है व खेल उपकरण पर व्यय करना है। खेल मैदान का समतलीकरण मनरेगा से होना है। खेल मैदान के रखरखाव व खेल उपकरण की मरम्मत वार्षिक प्रचलनात्मक अनुदान से की जानी थी। यह निर्देश था कि जिस मद में जो राशि प्राप्त है उसी मद में खर्च की जाएगी।

प्रधान सचिव का निर्देश

पिछले पांच-छह वर्षों में राशि का व्यय नहीं होने पर सरकार ने नाराजगी जताई है। विभाग के प्रधान सचिव चंचल कुमार ने कहा है कि अगर राशि खर्च हो गई है तो उपयोगिता प्रमाण पत्र दें नहीं तो राशि को वापस कर दें।

'' यह मामला कई वर्ष पहले की है। सरकार के निर्देश पर 'पायका' के लिए जो भी राशि आई वापस किया जाएगा। वैसे उन्होंने जिला खेल पदाधिकारी को कहा है कि खेल के विकास के लिए नए सिरे से कार्य योजना बनाकर सरकार को भेजें। ''

डॉ. चंद्रशेखर सिंह, उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद

'' खेल का पैसा खेल विभाग के खाते में जाना चाहिए। अगर खेल विभाग को राशि मिली होती तो खर्च हो जाती। मैंने नालंदा व नवादा में इस राशि का खर्च किया है। दोनों जिलों को छोड़कर शेष जिलों में कहीं भी राशि खर्च नहीं हुई है। पायका में 31 लाख और 12 लाख की राशि मिली थी। ''

मो. शमीम, जिला खेल पदाधिकारी

व्यय के लिए बनी थी कमेटी

पायका में प्राप्त राशि के व्यय के लिए जिला स्तर पर पायका संचालन समिति और प्रखंड स्तरीय पायका कार्यकारी समिति का गठन का बैठक बुलाने का निर्देश था। न कमेटी बनी और न ही बैठक हुई।

व्यय नहीं होने से आगे नहीं मिला आवंटन

2008-09 में जिस मद में 31 लाख रुपए प्राप्त हुए उस मद में वर्ष 2009-10, 2010-11, 2012-13 और 2013-14 में आवंटन नहीं मिला। अभी सरकार के सचिव ने उप विकास आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि अब इस वर्ष राशि के अभाव में प्रतियोगिता या खेल कराना संभव नहीं है। इससे ग्रामीण युवा खेल से वंचित हो जाएंगे। खेल विभाग का मानना है कि राशि आने के बाद आयोजन के लिए सरकार से मार्गदर्शिका नहीं मिली थी।


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