मरीज बिकता है, बोलो खरीदोगे
अशोक अनंत, भागलपुर
मरीज बिकता है, बोलो खरीदोगे.. यह सुनकर शायद आपको अजीब लगे पर यह सोलह आने सच है। भागलपुर में इन दिनों मरीजों के सौदागरों का बड़ा रैकेट काम कर रहा है। और इसकी जिम्मेदारी संभाल रखी है कई आशा व ममता ने। ये गांव की भोली-भाली महिलाओं को प्रसव कराने के नाम पर लाती तो सरकारी अस्पताल हैं, पर बाद में उन्हें बहला-फुसलाकर निजी चिकित्सकों के यहां भिजवा देती हैं। इस कार्य के लिए उन्हें प्राइवेट नर्सिग होम की तरफ से अच्छी-खासी रकम दी जाती है।
इस बात का खुलासा सदर अस्पताल में पदस्थापित निश्चेतक डॉ. ज्ञान रंजन कुमार की पत्र से हुआ। उन्होंने सिविल सर्जन को इसकी लिखित शिकायत कर मामले की जांच कराने का अनुरोध किया है।
अस्पताल प्रभारी ने भी स्वीकारा
सदर अस्पताल प्रभारी डॉ. संजय कुमार ने भी मरीजों के सौदागरों के सक्रिय होने की बात स्वीकारी है। उन्होंने बताया कि आशा मरीजों को अस्पताल लाती तो हैं पर बाद में वे उसे कहां ले जाती हैं पता नहीं चलता।
कैसे हुआ खुलासा
इसका खुलासा तब हुआ जब अस्पताल में प्रसव कराने आई मरीज दर्द से छटपटाती रही और उसे देखे बिना रेफर कर दिया गया। अस्पताल में रेफर रजिस्टर नहीं होने के कारण इसकी इंट्री भी नहीं हो पाती है। इसे लेकर हंगामा भी हो चुका है।
डॉ सीमा सिन्हा पर आरोप
सिविल सर्जन को दिए पत्र में डॉ. ज्ञान रंजन कुमार ने अस्पताल में पदस्थापित डॉ. सीमा सिन्हा पर आरोप लगाया कि वे अस्पताल में ऑपरेशन कराने के लिए बाहरी व्यक्ति को मदद के लिए बुलाती हैं। क्योंकि वे केवल एमबीबीएस हैं। और एमबीबीएस सर्जरी नहीं कर सकता। उसके लिए डीजीओ या एमएस होना आवश्यक है। पत्र में लिखा गया है कि पूर्व में प्रतिनियुक्त निश्चेतक पर भी मरीजों को रेफर करने का आरोप लगता रहा है।
आरोप बेबुनियाद, करा लें जांच
डॉ. सीमा सिन्हा ने अपने उपर लगाए गए सभी आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि कोई भी बाहरी व्यक्ति अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में कैसे प्रवेश कर सकता है। अगर अस्पताल का कोई भी मरीज उनके नर्सिग होम में हो, इसकी जांच करवा लें। कई ऐसी महिला चिकित्सक हैं जो एमबीबीएस रहते हुए सिजेरियन कर रही हैं।
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कोट :-
डॉ. रंजन का पत्र मुझे मिला है। उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कराई जाएगी।
- डॉ. रामचंद्र प्रसाद, प्रभारी सिविल सर्जन