सुनील के जेल जाने से टूट चुके हैं पिता
जागरण संवाददाता, भागलपुर : छात्र अंशु राज की मौत के बाद हुए उपद्रव मामले में जेल में बंद छात्र सुनील कुमार के पिता मनोज कुमार मंडल काफी दुखी हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जैसे-तैसे पेट काट कर उन्होंने अपने बेटे सुनील कुमार को लायक बनाया। पुलिस ने उसे जेल में डाल दिया। उन्होंने कहा कि हमारा परिवार अति पिछड़ा है। नमक-रोटी भी हमारा बेटा चाव से खा कर पढ़ाई करता था। मारवाड़ी कॉलेज में बीबीए डिपार्टमेंट में सुनील ने शीर्ष स्थान लाया है। हमारे परिवार और गांव के लिए यह किसी गौरव से कम नहीं है। अब बच्चा जेल में है तो उसका मनोबल गिरेगा कि नहीं? न्यायालय पर मुझे भरोसा है। बकौल मनोज मंडल सोमवार को ही तो वे अपने बेटे की जमानत अर्जी पर सुनवाई को पहुंचे थे। वीरेश बाबू उनके वकील हैं। बेटे की प्रतिभा देख उनसे मुकदमे की फीस भी नहीं ली। जमानत अर्जी पर फैसले के पूर्व कोर्ट में केस डायरी आनी जरूरी है। कोर्ट ने पुलिस से केस डायरी मांगी है, लेकिन चंद मिनटों की दूरी पर मौजूद विश्वविद्यालय थाने से केस डायरी अबतक नहीं आ पाई है। नतीजा तारीख बढ़ती जा रही है। सुनील साहेबगंज बिंद टोली का रहने वाला है।
चंद्रप्रकाश के दोनो भाई भी हैं परेशान
अपने भाई चंद्रप्रकाश उर्फ चिक्कू का जेल जाना आनंद कुमार अनुज और चंद्रबिंदु टिंकू को काफी अखर गया है। दोनो काफी चिंतित हैं। मकर संक्रांति का पर्व भी औपचारिकता में बीत गया। भाई के रहते पर्व का मजा ही कुछ और होता। चंद्रप्रकाश बिहपुर के चकरामी गांव का रहने वाला है।
जेल में खुद को असहज पा रहे छात्र
पढ़ाई-लिखाई और विश्वविद्यालय में एकेडमी कैलेंडर को लेकर अपनी बात आंदोलन के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष रखने वाले छात्र जेल में मायूस हैं। खुद को असहज पा रहे हैं। जेल में तरह-तरह के बंदी हैं। आदतन अपराधियों के बीच की जिंदगी में ये खुद को असहज पा रहे हैं। उस पर कड़ाके की ठंड ने तो उनका बुरा हाल कर रखा है। जेल का कंबल दुर्गध करता है। भोजन और पानी भी उनके लायक नहीं। जेल में उन बंदियों के मजे हैं जिनका चूल्हा अलग से जलता है। वहां का भोजन तो कथित रूप से घटिया है। हालांकि घटिया भोजन मसले पर जेल प्रशासन इनकार कर यही कहता है कि जेल में सबकुछ सामान्य है।
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