न्यायालय को भी गुमराह कर रही पुलिस
आलोक कुमार मिश्रा, भागलपुर : अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहने वाली भागलपुर पुलिस ने इस बार न्यायालय की आंख में ही धूल झोंकने का प्रयास किया। हत्या के दो आरोपियों के आपराधिक इतिहास को छिपा कर सन्हौला पुलिस ने न्यायालय में प्रतिवेदन समर्पित किया है। यह मामला तो प्रकाश में अभी आया है, जांच के बाद ऐसे और मामले सामने आ सकते हैं।
सन्हौला थाना के महेशपुर बिंद टोला के राजकुमार महतो की 29 फरवरी 2012 को अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक की पत्नी रीता देवी के बयान पर देवा महतो, अनिल महतो, मुन्ना महतो, मनोज महतो, विलास महतो समेत आठ लोगों के खिलाफ सन्हौला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। अनुसंधानकर्ता दरोगा महेश प्रसाद ने अनिल महतो और देवा महतो को छोड़ अन्य छह आरोपियों को साक्ष्य का अभाव दिखा निर्दोष बताते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में फाइनल फॉर्म दाखिल किया। अनिल जेल में है, जबकि देवा जमानत पर है। उसे उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी। मामले को गंभीरता से देखते हुए सीजेएम कोर्ट ने आइओ की केस डायरी के अवलोकन के बाद अन्य छह आरोपियों की भी कांड में संलिप्तता पाई। फिर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने सभी छह आरोपियों के खिलाफ गैरजमानतीय वारंट निर्गत करने का आदेश दिया। मामले को विचारण हेतु न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणी कुमार कौशल किशोर के न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया। सभी छह आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में अर्जी दाखिल की। इसे न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया।
मामले के चार आरोपियों चंदन महतो, मुन्ना महतो, मनोज महतो व विलास महतो ने उच्च न्यायालय में अप्रैल 2013 को अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की। इसमें आरोपियों द्वारा अपने आपराधिक इतिहास के बारे में जिक्र नहीं किया गया।
उच्च न्यायालय के जस्टिस अखिलेश चंद्रा के न्यायालय से 12 दिसंबर 2013 को इस आधार पर जमानत मिली कि इन चारों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला न्यायालय में लंबित नहीं हो तो इन लोगों का बंधपत्र उपरोक्त मामले में दाखिल किया जा सकता है। उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा 20 दिसंबर, 2013 को सन्हौला थाना से उपरोक्त चारों आरोपियों के आपराधिक इतिहास की मांग की गई। रिकॉर्ड नहीं सौंपने पर पुन: न्यायालय द्वारा 6 जनवरी 2014 को सन्हौला थाना से रिपोर्ट मांगी गई। 9 जनवरी को सन्हौला थाने के दरोगा हरिनंदन पासवान ने उपरोक्त चारों आरोपियों का प्रतिवेदन न्यायालय में समर्पित किया। उसमें कहा गया कि कांड संख्या-12/2012 के अलावा इनमें किसी भी आरोपी के खिलाफ के थाने में कोई मामला नहीं है। इस आधार पर आरोपियों ने न्यायालय में अपने-अपने बंधपत्र दाखिल किए।
चार आरोपियों के खिलाफ सन्हौला पुलिस द्वारा न्यायालय में समर्पित प्रतिवेदन से सच्चाई कुछ और है। इनमें चंदन महतो और मुन्ना महतो का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। दोनों के खिलाफ सन्हौला थाने में मामला दर्ज है।
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ये हैं आपराधिक रिकार्ड
1. चंदन महतो के खिलाफ 19 मई 2012 को सन्हौला थाने में चोरी का मामला दर्ज है।
2. मुन्ना महतो के विरुद्ध इसी थाने में घर में घुसकर चोरी व मारपीट करने के अलावा छेड़छाड़, मारपीट के मामले दर्ज हैं। इसके खिलाफ एक मामले में पुलिस ने न्यायालय में आरोपपत्र भी दाखिल किया है।
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क्या कहते हैं अधिवक्ता
अधिवक्ता ब्रजेश महाराज ने कहा, सच्चाई छिपाकर पुलिस द्वारा न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया गया है। पुलिस की इस कार्रवाई से आरोपियों को लाभ मिल सकता था।
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