बुकिंग हो न हो, रेलवे को चाहिए चार टन का किराया
हमारे संवाददाता, भागलपुर : बुकिंग हो न हो, रेलवे को चाहिए चार टन का किराया। जी हां यह सच है। रेलवे भागलपुर होकर गुजरने वाली अधिकांश ट्रेनों की एसएलआर बोगी ठेकेदारों को दे दी है। एसएलआर बोगी लीज पर देने पूर्व शर्त रखा गया था कि बुकिंग नहीं होने की स्थिति में भी चार टन का ही किराया लगेगा। मालूम हो कि एक एसएलआर बोगी की क्षमता चार टन होती है और एक ट्रेन में चार एसएलआर बोगी लगी रहती है।
विक्रमशिला एक्सप्रेस को छोड़कर भागलपुर-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस, सुरत एक्सप्रेस, जमालपुर-हावड़ा सुपर एक्सप्रेस, भागलपुर-यशवंतपुर अंग एक्सप्रेस, भागलपुर-नई दिल्ली साप्ताहिक एक्सप्रेस, रामपुरहाट-गया पैसेंजर, कटुआ पैसेंजर आदि ट्रेनों कह एसएलआर बोगी तीन साल के लिए लीज पर दी गई है। लोकमान्य तिलक-भागलपुर एक्सप्रेस की लीज समाप्त हो गई है और भागलपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस की लीज समाप्त होने वाली है। कुछ ट्रेनों की एसएलआर बोगी रेलवे के पास भी है। जिस ट्रेनों की लीज समाप्त हो गई है, उसकी बुकिंग रेलवे के द्वारा शुरू कर दी गई है। रेलवे एक क्विंटल का किराया 570 रुपये लेती है। इसमें दो डवलपमेंट चार्ज व चार प्रतिशत बीमा के बाबत अतिरिक्त शुल्क लेती है। जिसकी रसीद उपभोक्ताओं को दी जाती है। लेकिन जिस समानों की बुकिंग ठेकेदारों द्वारा दी जाती है, उसकी सूचना रेलवे को नहीं रहती है। ऐसी सूचना रेलवे को मिलती रही है कि ठेकेदारों द्वारा समान बुक के नाम पर अनाप-शनाप राशि ली जा रही है। ऐसी भी सूचना है कि क्षमता से अधिक माल भी एसएलआर बोगी भेजी जा रही है। हालांकि एसएलआर बोगी की जांच बीच-बीच में रेलवे की ओर से की जाती है। सबसे बड़ी बात है कि कौन सा समान जा रहा है इसकी जानकारी रेलवे के पास नहीं रहती है। लोड अनलोड का कार्य भी ठेकेदारों द्वारा ही कराया जाता है।
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