शराबबंदी ने बदल दी नशेड़ी बेटे की ¨जदगी
नशे का जो हुआ शिकार, उजड़ा उसका घर-परिवार।
बेगूसराय। नशे का जो हुआ शिकार, उजड़ा उसका घर-परिवार। यह कहना है एक ऐसे भुक्तभोगी पिता का जिसने अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र के भरे-पूरे पारिवारिक जीवन को उजड़ते देखा। परंतु, समाज सुधार की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए शराबबंदी ने उस नशेड़ी पुत्र की ¨जदगी ही संवार दी। शराबबंदी ने उसकी ¨जदगी जीने के मायने ही बदल दिए जिससे पूरे परिवार की तस्वीर और तकदीर ही बदल गई। आज वही पुत्र एक बार फिर से नई ¨जदगी की शुरुआत कर अमन-चैन से अपने परिवार के साथ जीवन की नैया पार कर रहा है। यह कहानी एक ऐसे पिता ने सुनाई जो करीब एक दशक से अपने नशेड़ी पुत्र के भविष्य को लेकर परेशान थे।
बखरी नगर के वार्ड 14 निवासी जयप्रकाश मालाकार एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ एसयूसीआइ के वरिष्ठ नेता भी हैं। उन्होंने चार पुत्रों में से सबसे बड़े पुत्र कमल मालाकार के बारे में जो बातें सुनाईं, वह चौंकाने वाली है। मालाकार के अनुसार बड़े बेटे को इंटर पास कराया। फिर उसे अपने पुश्तैनी फूल-माला के काम में लगा दिया। परंतु, इस काम से पूरे परिवार का भरण-पोषण मुश्किल हो रहा था। तब बस स्टैंड में उसे पान की दुकान खुलवा दी। दुकान से स्थिति यह हुई कि कुछ ही दिनों में कमल ने ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठा ली। इसी बीच उसकी संगत कुछ नशेड़ियों से हो गई। धीरे-धीरे वह शराब का इस कदर आदि हो गया कि शराब के सिवा उसकी ¨जदगी में कुछ बचा ही नहीं। धंधा चौपट होने लगा। घर में तनाव रहने लगा। स्थिति यह हुई कि घरवाले और मोहल्ले वाले को प्रतिदिन कमल को शराब के विभिन्न अड्डों से उठाकर लाना पड़ता था।
बुरे वक्त में बहू ने संभाली कमान : बकौल मालाकार पुत्र के नशेड़ी होने की वजह से परिवार की माली स्थिति अत्यंत दयनीय होती देख सामाजिक पहल पर तत्कालीन बखरी पूर्वी पंचायत की मुखिया किरण यादव ने कमल की पत्नी लक्ष्मी देवी का चयन आशा कार्यकर्ता के रूप में किया। किसी तरह अपने चार बच्चों के अलावा तीन छोटे देवर के साथ बूढ़े सास-ससुर से भरे-पूरे परिवार की कमान बुरे वक्त में बहू ने संभाली। इस दौरान कमल को शराब की लत छुड़ाने के लिए परिवार के मुखिया ने कई जतन किए। नीम-हकीम, ओझा-गुणी के अलावा कई डॉक्टरों की सहायता भी ली गई। सारे कवायद बेकार साबित होते गए। थक-हारकर पिता सहित परिवार के लोग भी शराबी कमल के आदत के आदी हो गए।
शराबबंदी ने संवारी बेटे की ¨जदगी : इसी बीच विगत एक अप्रैल को सरकार ने शराबबंदी का जो फैसला लिया वह कमल की लत छुड़ाने के लिए कारगर साबित हुआ। अचानक ही उसके जीवन में बदलाव दिखने लगा। जो देर रात दूसरे के कंधे के सहारे लड़खड़ाते घर पहुंचता था। वह खुद अपने कदमों पर ससमय घर पहुंचने लगा। फिर से दुकान खोलकर स्वयं घर-गृहस्थी की कमान संभाल ली है। पूरे मोहल्ले के लोग उसके इस बदलाव से अचंभित हैं। कमल ने बताया कि शराब छोड़ने के बाद परिवार की खुशहाली देखकर वह बेहद खुश है। अब कभी शराब का सेवन नहीं करेगा।
और लौटी पिता के गमगीन चेहरे की रौनक : कमल के पिता जयप्रकाश मालाकार जो हमेशा अपने बेटे व उसके परिवार के भविष्य की ¨चता में गमगीन रहा करते थे। अब उनके चेहरे की रौनक देखते ही बनती है। करीब एक दशक बाद परिवार की खुशियां लौटने पर वह काफी खुश हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होंने यह बताई कि 35 वर्षों तक कमल का शराब से कोई वास्ता नहीं था। अचानक 10 वर्षों तक वह व्यसन का इस कदर आदी हो गया कि उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करे। उन्होंने शराबबंदी की तारीफ करते हुए कहा, यह समाज सुधार का सबसे बड़ा कदम है। इसके लिए राज्य सरकार ने जिस ²ढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया है, वह बेहद काबिले तारीफ है। यह निर्णय उनके जैसे कई भुक्तभोगी परिवार की तस्वीर व तकदीर बदलने में कारगर साबित हुई है।