फुटपाथ : निकम्मा हो गया शहर का प्रशासन, जनप्रतिनिधि गूंगे
बेगूसराय। फुटपाथ को लेकर लगातार चलाए गए आभियान के बावजूद किसी तरह की सुगबुगाहट न होना इस बात का प्र
बेगूसराय। फुटपाथ को लेकर लगातार चलाए गए आभियान के बावजूद किसी तरह की सुगबुगाहट न होना इस बात का प्रमाण है कि जिले का प्रशासन बिल्कुल निकम्मा है और जन प्रतिनिधि गूंगे, इनसे किसी तरह की उम्मीद करना बेमानी है। यहां अधिकारी अपनी एसी गाड़ियों में भी आंख बंद कर शहर की सड़कों से गुजरते हैं। इससे भी बड़ी शर्म की बात यह है कि सार्वजनिक समारोहों में ये अधिकारी और जनप्रतिनिधि खुद को जनता का सेवक बताते हैं। यह हम नहीं कह रहे। यह राय यहां की आम जनता की है।
शिक्षिका प्रभा कुमारी कहती हैं कि मेन मार्केट की चमक दिनों दिन कम होती जा रही है। लोग इस मार्केट में जाने से भी कतराने लगे हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए दुकानदारों को विचार करना चाहिए। ताकि ग्राहक मार्केट में आते रहें। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के भरोसे रहने से काम नहीं चलेगा। बथौली निवासी छात्रा शाहीना तलअत कहती हैं कि मेन मार्केट फुटपाथविहीन है। बाकी बची सड़कों के अधिकांश भाग पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा रहता है। जिसके कारण आम लोग अन्य मार्केट का रुख करते हैं। इससे दुकानदारों को भी काफी नुकसान होता होगा, परंतु, वे अपने नुकसान का भी अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। कम्प्यूटर शिक्षक अमरेंद्र कुमार कहते हैं कि बेगूसराय में सिर्फ मेन मार्केट में ही अतिक्रमण की समस्या नहीं है, बल्कि आप जिस भी मार्केट में जाते हैं वहां पर इसी तरह का नजारा देखने को मिलता है। उनका मानना है कि अगर प्रशासन ठोस पहल करे तो आम लोगों को अतिक्रमण से कुछ राहत मिल सकती है। कपसिया निवासी छात्रा ज्योति राज सिंह बताती हैं इन दनों में शहर में अतिक्रमणकारियों के डर से लोग भयभीत रहते हैं। वे न सिर्फ सड़कों पर अतिक्रमण किये हुए हैं, बल्कि मना करने पर उल्टा रोकटोक करने वालों से ही उलझ पड़ते हैं। वे बताती हैं कि अगर आप पटेल चौक पर रिक्शा पर बैठें तो सदर अस्पताल कब पहुंचेगें इसकी जानकारी उस रिक्शा वाले को भी नहीं होती है। गलती चाहे दुकानदार की ही क्यों न हो, परंतु, जाम लगने पर वे सीना तानकर उल्टा राहगीरों को ही धमकाते हैं, खासकर रिक्शा वालों पर तो जैसे हमेशा उनमें आक्रोश भरा रहता है।
अधिकतम भीड़ वाला बाजार
पटेल चौक से नगर पालिका चौक तक तकरीबन दो किलोमीटर लंबी सड़क के दोनों किनारे अवस्थित दुकानें मेन मार्केट में शामिल हैं। पटेल चौक से कर्पूरी चौक तक की सड़कें तो चौड़ी हैं, परंतु, दुकानदार अपनी दुकानों के सामानों को सड़कों पर रखे रहते हैं। जिस के कारण सड़कें काफी सिकुड़ गई हैं, जबकि कर्पूरी चौक से सदर अस्पताल तक की सड़कें बहुत ही पतली हैं। उसके बावजूद दुकानदार अपनी लंबी चौड़ी दुकानों के बजाए सड़कों पर ही सामानों को सजाते हैं। ताकि राहगीर को आसानी से सामान नजर आ जाए। उन दुकानदारों के कारण इस मार्केट के खुलने से बंद होने तक हर आधे घंटे के अंतराल पर जाम लग जाता है। कभी-कभी तो जाम इतना जटिल हो जाता है कि पैदल चलने वाले राहगीर भी नहीं गुजर पाते हैं। दुकानदार यह तमाशा तो देखते हैं मगर जिन के कारण जाम लगी है वह लोगों की परेशानियों से बेफिक्र दुकानदारी करते रहते हैं।
मेयर साहेब की सुनिए
मेयर संजय कुमार कहते हैं कि मेन मार्केट की सड़क ही काफी पतली है। समय-समय पर नगर निगम प्रशासन अतिक्रमण हटवाता रहता है। अतिक्रमणकारियों को स्वयं भी समझना होगा कि जब ग्राहक ही नहीं आएंगे तो वे सामान किसको बेचेंगे, मेयर भी मानते हैं कि लोग मेन मार्केट में घुसने से भी कतराते हैं।