संस्कृत की उपेक्षा है शैक्षणिक गिरावट का कारण : चिदात्मन जी
बेगूसराय सदर : कभी तक्षशीला और नालंदा अंतर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सिर्फ नामांकन होने पर ही लोग
बेगूसराय सदर : कभी तक्षशीला और नालंदा अंतर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सिर्फ नामांकन होने पर ही लोग खुशी से फूले नहीं समाते थे। उस समय भारत विश्वगुरु का दर्जा रखता था। उसमें सबसे महत्वपूर्ण पहलू संस्कृत का बोलबाला था। परंतु, आज शैक्षणिक व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। इसका कारण संस्कृत की उपेक्षा है। उक्त बातें बरौनी रिफाइनरी टाउनशिप के डीएवी हिन्दी विंग में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित संस्कृत का विशेष शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग का शुभारंभ करते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि आज भी अगर हम संस्कृत को अपना लें तो एक बार पुन: हम अपनी शिक्षा का धाक विश्व पर जमा सकते हैं। स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि किसी भी भाषा के विकास के लिए उसका रोजगार से जोड़ना अति आवश्यक है। बीआरडीएवी की प्राचार्य मिस अंजली ने कहा कि अपनों के बीच ही संस्कृत उपेक्षा की शिकार हुई है। हमारा इस पर ध्यान नहीं देना और जो इस पर ध्यान दे रहे हैं उसे नजर अंदाज करना संस्कृत भाषा के प्रति हमारी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अगर हम संस्कृत माध्यम विद्यालयों पर एक नजर डालें तो हमें पता चलता है कि उसकी वर्तमान स्थिति क्या है। उस पर न सरकार ध्यान देने को तैयार है और न ही जनप्रतिनिधियों का उसे कोई तवज्जो मिल रहा है। जिसके कारण उसकी हालत दयनीय बनी हुई है। उन्होंने संस्कृत भारती बिहार के तमाम पदाधिकारियों को इस तरह के विशेष कैंप आयोजित कर लोगों में संस्कृत के प्रति रूचि पैदा करने के लिए धन्यवाद दिया। संस्कृत भारती बिहार के क्षेत्रीय मंत्री प्रकाश पांडेय ने कहा कि संस्कृत को विषय के रूप में पढ़ने के बजाए उसे भाषा के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। श्री पांडेय ने वर्तमान में संस्कृत भारती द्वारा चलाये जाने वाले कार्यक्रमों से सबों को अवगत कराया। क्षेत्रीय मंत्री ने बताया कि विशेष कैंप में शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। यहां से प्रशिक्षण ग्रहण करने वाले प्रशिक्षनार्थी विभिन्न जिलों में जाकर संस्कृत पढ़ाने का कार्य करेंगे। कार्यक्रम का संचालन मधुबनी से आये केशवचन्द्र झा ने किया। इस अवसर पर पटना के डा. रामेश्वरधारी सिंह, दिल्ली से आये डा. ज्वाला प्रसाद मिश्र, लगमा संस्कृत महाविद्यालय से आये डा. रमेश कुमार झा, दीपक कुमार व धीरज कुमार ने अपने-अपने विचार रखे। मौके पर संत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज द्वारा 'कुलात्मजा ब्रह्नाणों की उत्पत्ति' नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। यह वर्ग एक जून से दस जून तक संचालित किया जाएगा।