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इस नदी को कौन देगा जीवनदान!

निर्भय, (बेगूसराय) : नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है। परंतु, बेगूसराय में चंद्रभागा नदी (बोलचाल मे

By Edited By: Published: Mon, 16 Mar 2015 06:49 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2015 06:49 PM (IST)

निर्भय, (बेगूसराय) : नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है। परंतु, बेगूसराय में चंद्रभागा नदी (बोलचाल में चनहा नदी) धीरे-धीरे सूख रही। छौड़ाही और गढ़पुरा प्रखंड में तो इस नदी का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है। छौड़ाही में कभी चंद्रभागा का प्रवाह क्षेत्र रहे इलाके में खेती हो रही है और गढ़पुरा में इस नदी के प्रवाह मार्ग पर मकान खड़े हो गए हैं। मालूम हो कि प्रसिद्ध देवस्थल हरिगिरिधाम, गढ़पुरा के किनारे से होकर एक-डेढ़ दशक पहले तक कलकल-छलछल करती चंद्रभागा नदी बहती थी। परंतु, चंद्रभागा नदी के इस प्रवाह मार्ग में आज मकानों की श्रृंखला उग आई है। आज की तारीख में चंद्रभागा बखरी इलाके में नदी से 'नाला' के रूप में प्रवाहित है। अगर अभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह नदी इतिहास बनकर रह जाएगी।

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जल कार्यकर्ता फुलेंद्र विद्यार्थी कहते हैं- एक-डेढ़ दशक पहले तक छौड़ाही बाजार के किनारे से होकर चंद्रभागा गुजरती थी और गढ़पुरा होते हुए बखरी जाती थी। परंतु, अंधाधुंध सड़क निर्माण, बेतरतीब ढंग से बन रहे मकान, बांध-तटबंधों की दीवार ने इस नदी के जीवन रस को ही निचोड़ लिया। आज यह छौड़ाही और गढ़पुरा से विदा ले चुकी है। अब तो बखरी और उससे आगे खगड़िया के इलाके में ही इस नदी का अस्तित्व कायम है। खैर, आज भी यह बखरी नगर की जीवन रेखा मानी जाती है। परंतु, इसकी स्थिति यह है कि मनुष्यों का उद्धार करने वाली चंद्रभागा को आज स्वयं उद्धारक की तलाश है। बताते चलें कि बखरी मुख्य बाजार के करीब से गुजरने के कारण स्थानीय वाशिंदे इसी नदी के किनारे मृतकों का अंतिम संस्कार कर अस्थि अवशेष को उक्त नदी में प्रवाहित करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार चंद्रभागा नदी का इतिहास काफी पुराना है। पंचांगों में दाह संस्कार की विवरणी में उक्त नदी को 'पापहारिणी' की संज्ञा दी गयी है। हालांकि इसके उद्गम स्थल को लेकर स्थानीय स्तर पर कई तरह की भ्रांति हैं। परंतु, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, बेगूसराय के कार्यपालक अभियंता राजीव चौरसिया ने बताया कि चंद्रभागा नदी काबर झील से निकल कर संतोष स्लूइस, अलौली, खगड़िया के पास बागमती में संगम करती है।

इधर, इस नदी के अस्तित्व पर निर्माणाधीन खगड़िया शहर सुरक्षा तटबंध को लेकर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। जल विशेषज्ञ प्रेम वर्मा ने बताया कि, बांध-तटबंधों की श्रृंखला और सड़कों के कारण कई नदियों का प्रवाह मार्ग अवरुद्ध हुआ है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। बोले, जब बांध-तटबंध बनाये जाते हैं, तो स्थानीय भूगोल, भौगोलिक परिस्थिति, पर्यावरण का ख्याल नहीं रखा जाता है। बात हम सिर्फ बेगूसराय जिला की करें, तो इस जिले में विभिन्न नदियों पर 210 किलोमीटर बांध-तटबंधों की श्रृंखला है। इधर बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, बेगूसराय के कार्यपालक अभियंता राजीव चौरसिया की माने तो चंद्रभागा नदी के जीर्णोद्धार को लेकर कोई योजना नहीं है और न ही खगड़िया शहर सुरक्षा तटबंध से इस नदी के प्रवाह मार्ग में रुकावटें पैदा होगी।


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