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आम बजट: किसी ने सराहा, तो किसी ने नकारा

बेगूसराय सदर: आम बजट को लेकर शनिवार को दिनभर चर्चाएं होती रही। बुद्धिजीवी, राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर

By Edited By: Published: Sat, 28 Feb 2015 07:00 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2015 03:21 AM (IST)

बेगूसराय सदर: आम बजट को लेकर शनिवार को दिनभर चर्चाएं होती रही। बुद्धिजीवी, राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र, युवा जहां टेलीविजन पर बजट देखने में मशगूल दिखे, वहीं गृहिणियां भी पीछे नहीं रही। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश आम बजट को लेकर लोगों ने अपने-अपने ढंग से प्रतिक्रिया दी है।

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पूर्व सांसद व शिक्षाविद् शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि यह बजट बेरोजगारी बढ़ाने वाला है। वृद्धावस्था पेंशन को बंद कर गरीब, वृद्ध जनों से पैसे की वसूली की शर्त पर 60 से अधिक उम्र वाले को पेंशन देने की घोषणा अब तक मिल रहे वृद्धा पेंशन के लाभ को छिन लेने का प्रयास है। केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में से सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत आशा बहुओं, आंगनबाड़ी सेविकाओं व नियोजित शिक्षकों के मुंह का निवाला छीन लिया गया है। किसानों एवं नौजवानों के हित में बजट में किसी भी प्रकार का प्रावधान नहीं है। वहीं बिहार को विशेष राज्य का दर्जा को नकारना नरेंद्र मोदी की सरकार की बिहार वासियों के प्रति अक्षम्य वादाखिलाफी है।

जिप सदस्य अशोक प्रसाद सिंह उर्फ कुमार साहेब ने कहा कि आम बजट किसान हित में है। यूरिया में सब्सिडी दी गई है। बजट बहुत ही अच्छा है।

जीडी कालेज के मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डा. विजय मोहन प्रसाद सिंह ने कहा कि आम बजट काफी निराशाजनक है। सरकार ने मध्यम वर्ग को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। नौकरी पेशा लोगों को मोदी सरकार से काफी उम्मीदें थीं। परंतु, आम बजट में ऐसा कुछ भी नहीं दिखाई पड़ रहा है।

युवा व्यवसायी चंदन कुमार का कहना हुआ कि यह बजट बहुत ही बढि़या है। अच्छे दिन की शुरुआत है।

बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमिता भूषण ने कहा कि, यह बजट पूंजीपतियों की है। मध्यम वर्ग व गरीब तबके को इस बजट से धक्का पहुंचा है। गरीब लोगों को दो लाख का दुर्घटना बीमा की घोषणा महज झुनझुना है।

सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन कुमार चौधरी ने आम बजट को गरीब विरोधी बताया है। कहा, आम आदमी इस बजट में नहीं है।

अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर ने कहा कि आम बजट में किसान एवं ग्रामीण गरीब आबादी का ध्यान रखा गया है। बिहार को विशेष सहायता के साथ एम्स खोलना सराहनीय कदम है। कालेधन के लिए तीन सौ प्रतिशत जुर्माना एवं सात साल की सजा सरकार की इच्छाशक्ति का प्रतीक है।

शहर के कचहरी रोड स्थित अरुण आटो के मालिक अरुण कुमार महतो कहते हैं कि हमलोगों ने काफी उम्मीद के साथ भाजपा को सिर्फ इसलिए समर्थन किया था, कि, आमलोगों को मंहगाई की मार से छुटकारा मिल सके। परंतु, भाजपा सरकार ने भी आम जनता को पिछली सरकारों की तरह ही निराश किया है।

मोटरसाइकिल मिस्त्री मो. नसर कहते हैं कि अब मंहगाई और बढ़ेगी। कार के सस्ता होने से हमारा कोई सरोकार नहीं है। हमें तो दो वक्त की रोटी चाहिए।

वहीं, मिठाई दुकानदार राजकुमार गुप्ता कहते हैं कि बजट में कुछ खास नहीं है। वैसे यह बजट समय के अनुसार ठीक ही है। मगर फिर भी जितना हमने उम्मीद किया था यह वैसा नहीं है। मंहगाई से निजात दिलाने के लिए ठोस पहल की आवश्यकता है।

वहीं, जेनरेटर संचालक पंकज कुमार पासवान कहते हैं कि आम जनता को रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत है। मोदी सरकार ने बजट में कुछ खास नहीं किया है। साथ ही एक्साइज, कस्टम, इनकम, सेल टैक्स आदि में वृद्धि कर दी है। अगर टैक्स में वृद्धि होती है तो इसका सीधा असर घरेलू उत्पादन पर पड़ेगा और मंहगाई आसमान छूने लगेगी।

वहीं एसएनएनआर कॉलेज चमथा के प्रधानाचार्य प्रो. अशोक कुमार सिंह अमर ने कहा कि, आम बजट से तरक्की का रास्ता खुलेगा। यह बजट विकासोन्मुखी है।

जिप सदस्य बलराम प्रसाद सिंह ने आम बजट को ग्रामीण गरीबों के हित में बताया है। कहा, इससे किसानों को भी सुविधा मिलेगी।

अर्थशास्त्री व जीडी कॉलेज के प्रधानाचार्य डा. तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि जिस बजट को आमजन के लिए होना चाहिए था वह सिर्फ खास लोगों के लिए है। आयकर में कोई छूट नहीं दी गई है। पुरानी शराब को नई बोतल में भर दिया गया है। आम जनता की सुरक्षा के लिए कोई बात आम बजट में नहीं है। ग्रामीण स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देने वाली योजना मनरेगा के बजट को घटा दिया गया है।


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