संतों का समाज अयोध्या है : भगवान शरण शास्त्री
संवाद सूत्र, बीहट (बेगूसराय) : संतों का समाज अयोध्या है। भगवान राम को पाने के लिए संयमी होना जरूरी ह
संवाद सूत्र, बीहट (बेगूसराय) : संतों का समाज अयोध्या है। भगवान राम को पाने के लिए संयमी होना जरूरी है। यह बातें शनिवार की संध्या केशावे स्थित रामजानकी ठाकुरबाड़ी में आयोजित श्री श्री 1008 महाविष्णु यज्ञ के दौरान ज्ञान मंच से प्रवचन करते हुए मानस मर्मज्ञ भगवान शरण शास्त्री ने व्यक्त की। शास्त्री ने कहा कि रामचरित मानस में दो पात्र हैं, एक दशरथ ओर दूसरा दशानन, दशरथ जिन्होंने अपने इंद्रियों के उपर विजय प्राप्त कर लिया हो, दशानन जिनकी दसों इंद्रियां दसों दिशाओं में फैली हो। एक अयोध्या उत्तर प्रदेश में है। जो संतों का समाज है। वह अयोध्या है। हरेक व्यक्ति को संयमी होना चाहिए। वेद में तीन कांड है। ज्ञान, उपासना व भक्ति कांड है। महारानी कैकेयी, कर्मकांड का प्रतीक, सुमित्रा उपासना का प्रतीक एवं कौशल्या ज्ञान का प्रतीक हैं। भक्ति, ज्ञान व उपासना में लगे रहे। जहां चाहें भगवान राम को प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर यज्ञ समिति अध्यक्ष रामवृक्ष सिंह उर्फ भत्तु सिंह, उप मुखिया विमल कुमार सिंह, राजेश कुमार, कपिलदेव सिंह, कैलाश सिंह, राजीव, रजनीश सिंह, महंत राम गुलाम दास, यज्ञ के आचार्य प्रजापति आदि मौजूद थे।