गंगा किनारे के गांवों में शुद्ध पेयजल का संकट
निर्भय, बेगूसराय: नदी-पानी का जिला है बेगूसराय। यहां से होकर गंगा, वाया, बूढ़ी गंडक, बलान, चंद्रभागा
निर्भय, बेगूसराय: नदी-पानी का जिला है बेगूसराय। यहां से होकर गंगा, वाया, बूढ़ी गंडक, बलान, चंद्रभागा, बागमती आदि नदियां गुजरती है। जिला के एक बड़े भू-भाग से होकर कलकल-छलछल करती गंगा प्रवाहित होती है। परंतु, आज की तारीख में गंगा किनारे के गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है।
मानक से कहीं बहुत अधिक है पानी में आर्सेनिक की मात्रा
गंगा किनारे अवस्थित गांवों के पानी में आर्सेनिक, आयरन की मात्रा प्राय: मानक से अधिक है। सबसे खराब स्थिति आर्सेनिक को लेकर है। आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्र में बेगूसराय नगर निगम का भी कुछ हिस्सा शामिल है। इसके अलावा मटिहानी, शाम्हो, बरौनी, तेघड़ा आदि प्रखंड भी इसकी चपेट में है। कहीं-कहीं इसकी मात्रा 1.2 से 1.3 पीपीएम तक पाई गई है। जबकि पानी में दशमलव पांच से अधिक आर्सेनिक की मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
यहां यह बताते चलें कि जिस सिमरिया गंगा तट पर अभी कल्पवास मेला लगा हुआ है, उस सिमरिया पंचायत का भी पानी पीने योग्य नहीं है। यह पंचायत भी आर्सेनिक की चपेट में है।
आर्सेनिक से मुक्ति को लेकर हो रहे प्रयास
आर्सेनिक से बचाव को लेकर विभागीय प्रयास आरंभ है। परंतु, लोगों को कब स्वच्छ-शुद्ध जल उपलब्ध होगा यह अभी भी सवाल बना हुआ है। पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता एम. नसीर कहते हैं कि जिला के गंगा किनारे के गांव आर्सेनिक से प्रभावित है। स्वच्छ व शुद्ध पेयजल को लेकर विभाग प्रयासरत है। मटिहानी मल्टी विलेज पाइप वाटर स्कीम के तहत इसको लेकर प्रयास आरंभ हो चुका है। 191 करोड़ की यह योजना जब धरातल पर उतरेगी तो गंगा किनारे के कई गांवों को स्वच्छ व शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा। कहा, टेंडर हो चुका है। इसके तहत सिमरिया गंगा घाट पर वाटर टीट्रमेंट प्लांट लगाया जाना है।