नमक सत्याग्रह स्थल गढ़पुरा: जरा आंख में भर लो पानी..
निर्भय, बेगूसराय : स्वतंत्रता संग्राम में बेगूसराय की भूमिका उज्ज्वल रही है। स्वतंत्रता के समर में तत्कालीन मुंगेर जिला (अब बेगूसराय) के गढ़पुरा का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। मालूम हो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर जब वर्ष 1930 ई. में संपूर्ण देश में नमक सत्याग्रह आंदोलन आरंभ हुआ, तो गढ़पुरा उसका महत्वपूर्ण केंद्र बना। यहां बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण सिंह ने अपने साथियों के संग नमक बना अंग्रेजों को खुली चुनौती दी। नमक बनाने के क्रम में एक पुलिस अधिकारी ने श्रीबाबू के साथ दुर्व्यवहार भी किया। मालूम हो कि 20 अप्रैल 1930 को श्रीबाबू ने गढ़पुरा में अंग्रेजों के नमक कानून को भंग किया था। यहां यह बताते चलें कि 23 अप्रैल को श्रीबाबू की गिरफ्तारी भी बेगूसराय से ही हुई थी और उन्हें छह माह की सजा हुई तथा हजारीबाग जेल भेजा गया।
डा. कालिकिंकर दत्त की प्रसिद्ध पुस्तक 'बिहार में स्वातं˜य आंदोलन का इतिहास'-खंड दो के अनुसार- ''गढ़पुरा उत्तर मुंगेर में लगभग तीन सप्ताह तक नमक बनाने का महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा।''
परंतु, आज नमक सत्याग्रह स्थल गढ़पुरा उपेक्षा का शिकार है। कहने को तो यहां एक से बढ़कर एक दिग्गज राजनेता आए, खूब घोषणाएं हुई। परंतु, परिणाम ढाक का तीन पात ही निकला। काफी जद्दोजहद बाद वर्ष 2013 में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धूमधाम से यहां श्रीबाबू की आदमकद प्रतिमा स्थापित की। इसका श्रेय बहुत हद तक कांग्रेस जिलाध्यक्ष अभय कुमार सिंह सार्जन और पूर्व मंत्री रामदेव राय को जाता है। दूसरी ओर प्रत्येक वर्ष यहां नमक सत्याग्रह के उपलक्ष्य में नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति की ओर से बेगूसराय से लेकर गढ़पुरा तक की पैदल यात्रा की जाती है। ताकि अपनी विरासत को लोग भुले नहीं।
वर्तमान में केवल नमक सत्याग्रह स्थल की चारदीवारी हुई है। सूत्रों के अनुसार भूमि अधिग्रहण को ले 25 लाख रुपए आया था। परंतु, उसकी कोई खोज-खबर नहीं है।
बोले, बखरी एसडीओ अमित कुमार
'' भू-दाता परिवार मामले को ले न्यायालय चले गए हैं। ऐसे में कुछ कहना मुश्किल है।''