भारतीय संस्कृति की प्राण है यज्ञ : विज्ञानदेव जी महाराज
बेगूसराय सदर : यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्राण और वैदिक धर्म का सार है। उक्त विचार सद्गुरु सदाफल देव विहंगम योग संस्थान के संत प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज ने पोलिटेक्निक कालेज में वर्तमान सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्रदेव जी महाराज के 67वें जन्मोत्सव पर आयोजित 1101 कुंडीय वैदिक महायज्ञ के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अग्नि में आहुति डालने से वह सूक्ष्म होकर सूर्य तक फैल जाती है। क्योंकि अग्नि में डाला हुआ पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता बल्कि वह फैल जाता है। भौतिकी नष्ट नहीं होती बल्कि वह रूपांतरित होती है। उन्होंने कहा कि आज हो रहे ग्लोबल वार्मिग को रोकने का यह एक सशक्त माध्यम है। इस पर सभी पर्यावरण चिन्तकों का ध्यान अवश्य होना चाहिए। महाराज ने यज्ञ और योग के माध्यम से विश्व में शांति स्थापित होने का दावा किया। वहीं, सायंकालीन सत्र में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्रदेव जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन को सदाचार, सत्य, नैतिकता एवं परोपकारमय बनाने की आवश्यकता है। विवेक, धैर्य, क्षमा एवं शांति को मानव का आभूषण बताते हुए उसके व्यावहारिक जीवन में प्रयोग करने का निर्देश दिया। इस अवसर पर प्रात: छह से आठ बजे तक शारीरिक आरोग्यता के आसन प्राणायाम व ध्यान का प्रशिक्षण भी दिया गया।