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स्वर्ण जयंती पुस्तकालय की जमीन पर भूमिदाता की नजरें टेढ़ी

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 09:51 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 09:51 PM (IST)

संवाद सूत्र, बेगूसराय : आजादी से पूर्व 28 दिसंबर 1935 को जनसहयोग से स्थापित स्वर्ण जयंती केंद्रीय पुस्तकालय की जमीन पर भूमिदाता के वंशजों की नजरें टेढ़ी हो गई है। शहर के हृदय स्थली में स्थित इस पुस्तकालय को 11 कठ्ठा साढ़े अठारह धूर जमीन में से दो कठ्ठा साढ़े चार धूर जमीन में पुस्तकालय प्रबंधकारिणी समिति के निर्णय के उपरांत 47 दुकानें दशकों पूर्व बनवाई गई। इसमें भूमिदाता रायबहादुर खड़गनारायण अग्रवाल के उत्तराधिकारी समिति के सम्मानित सदस्य होने की वजह से उनकी स्वीकृति भी रही। उत्तराधिकारी विष्णुदेव नारायण अग्रवाल प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य थे। वर्तमान में करोड़ों की जमीन होने से दानकर्ता परिवार के वंशजों द्वारा इस पर पुन: कब्जा जमाने को लेकर एसडीओ बेगूसराय को अधिवक्ता मणीभूषण कुमार के माध्यम से दानकर्ता का उत्तराधिकारी बताते हुए डा. कृष्णदेव नाथ अग्रवाल एवं रविंद्र नारायण ने एक नोटिस भेजा है। जिसमें उन लोगों का कहना है कि दान जिस उद्देश्य को ध्यान में रख कर दिया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही है। इससे इतर दुकान बनाकर भाड़ा वसूल किया जा रहा है। इसलिए दानकर्ता की जमीन को वापस कर दिया जाए। इस बाबत पुस्तकालय के सचिव महेंद्र पंडित ने कहा कि प्रबंध समिति के पास जमीन की कागजात नहीं है। परंतु, दानकर्ता के उत्तराधिकारियों को यदि शर्त के आधार पर दान दिए जाने की जानकारी थी। तो उन लोगों ने दुकान निर्माण के निर्णय का विरोध क्यों नहीं किया। यदि दुकान निर्माण हुआ भी तो उस राशि से पुस्तकालय रख-रखाव में खर्च होता है। जिससे दुकान को सार्वजनिक उपयोग के रूप में ही देखना चाहिए।


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