25 वर्षो से चमथावासी बिजली की आस में
संवाद सूत्र, चमथा : 25 वर्षो से चमथावासी बिजली के दर्शन को तरस रहे हैं। संचार क्रांति के युग में भी विद्युत विहीन चमथा पंचायत के लोगों की सुधि लेने की फुर्सत न तो किसी पदाधिकारियों को है न किसी जनप्रतिनिधियों को। चुनाव के समय हर पार्टी ने बिजली आपूर्ति के नाम पर वोट लेकर मतदाताओं को छला है। लेकिन, वोट समाप्ति के बाद राम भरोसे छोड़ दिया। राजा जनक एवं कवि कोकिल विद्यापति की नगरी के नाम से विख्यात चमथा गांव में दो महाविद्यालय, विद्यालय, स्वास्थ्य उपकेंद्र, गैस एजेंसी, डाकघर, डीजल पंप, बैंक सहित अन्य कई सरकारी कार्यालय रहते हुए भी यहां 25 वर्षो से बिजली नहीं है।
एक जमाना था जबं चमथा दियारा बिजली की रोशनी से जगमगाती थी। जिसका जीता जागता उदाहरण बिजली का खंभा है। उस जमाने में बिजली के तार को चोरों ने काट डाला। बिजली विभाग ने प्राथमिकी दर्ज कर केवल खानापूरी की। लेकिन, परिणाम ढाक के तीन पात निकला। इस आधुनिक युग में पंचायतवासियों एवं छात्र-छात्राओं को विद्युत के अभाव में होनेवाली परेशानी का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उमस भरी गर्मी में पेड़ के नीचे गुजर बसर करने की विवशता है। लगभग 25 वर्षो से चमथावासी ढि़बरी युग में जीने को विवश हैं। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत बिजली की शुरूआत तो चमथा में की गई, लेकिन, बिजली विभाग के कर्मचारियों ने आधा अधूरा कार्य कर इस योजना को अधर में लटका चले गए। यह योजना फाइलों तक सिमट कर रह गई। चमथावासी बिजली को मुख्य मुद्दा बना कर इस लोकसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने का मूड बना रहे हैं।