Move to Jagran APP

मंझौल में डेढ़ दर्जन सरकारी चापाकल खराब

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 09:50 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 09:50 PM (IST)
मंझौल में डेढ़ दर्जन सरकारी चापाकल खराब

संवाद सूत्र, मंझौल : अनुमंडल क्षेत्र के पवड़ा पंचायत में करीब डेढ़ दर्जन सरकारी चापाकल खराब रहने से पेयजल का संकट गहरा गया है। वहीं दिनोंदिन जलस्तर भी नीचे जा रहा है। इधर, चापाकलों की मरम्मत नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है।

loksabha election banner

कहां-कहां बंद हैं चापाकल

जानकारी के अनुसार पवड़ा पंचायत के वार्ड नंबर दो स्थित मुसहरी में दो चापाकल, हरेराम साह के दुकान के निकट एक चापाकल तथा रामाशंकर सिंह के घर के निकट वार्ड नंबर तीन में, शिवजी सिंह घर के निकट वार्ड नंबर चार के भगवती स्थान में, वार्ड पांच में शत्रुघ्न सिंह के घर के निकट, वार्ड छह में बिनो चौधरी के घर के निकट, वार्ड सात में जीवछ सिंह, विमल सिंह के घर के निकट, वार्ड आठ में बिनो साह तथा नागेश्वर सिंह के घर के निकट, ठाकुरबाड़ी के निकट, वार्ड नंबर नौ में भोला शर्मा तथा ब्रह्मा स्थान के निकट, वार्ड दस में हरिजन बैठका के निकट तथा धनेसी तांती के घर के निकट का चापाकल महीनों से बंद है। उक्त खराब चापाकलों में सिंगूर तथा थ्री इंडिया मार्का चापाकल भी शामिल हैं।

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण रामाकांत सिंह, किरण कुमार झा बताते हैं कि पंचायत में बंद पड़े चापाकलों की मरम्मत को लेकर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया, परंतु परिणाम ढाक का तीन पात ही निकला।

बोले, मुखिया अभय सिंह पंचायत में चापाकल मरम्मत के लिए राशि नहीं है। राशि के अभाव में चापाकल बंद है। विभाग को सूचना दी गई है।

कहते हैं पीएचइडी के एसडीओ बंद चापाकलों की सूची मिलने पर मरम्मत कराया जाएगा।

स्टेट बोरिंग वर्षो से खराब, 13 नलकूपों की स्थिति दयनीय : बछवाड़ा प्रखंड क्षेत्र के सभी राजकीय नलकूपों की हालत मृतप्राय बनी है। क्षेत्र में एक भी बोरिंग वर्तमान में चालू नहीं है। करोड़ों रुपये की लागत से स्थापित सभी स्टेट बोरिंग ठप है। कहीं ट्रांसफार्मर जले हैं तो कहीं बोरिंग का पाइप ईट पत्थर से जाम है। राजकीय नलकूपों के ठप हो जाने से किसानों को महंगे दाम पर पानी खरीद कर पटवन करना पड़ता है। जिस कारण किसानों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। प्रखंड क्षेत्र के सभी 13 राजकीय नलकूपों की हालत दयनीय है। स्टेट ट्यूबेल से खेतों तक का नाला भी समाप्त होने के कगार पर है। नलकूपों के भवन खंडहर में तब्दील हो गया है। किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से कृषि के आधुनिक तौर तरीके अपनाने व कृषि प्रशिक्षण के नाम पर किसानों को महज सपने की दिखाए जाते हैं। सिंचाई के सस्ते संसाधन के अभाव में पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है। डीजल के दाम में वृद्धि हो जाने से पंप सेट चलाकर महंगी सिंचाई सभी किसानों के बस की बात नहीं है। पंप सेट से 120 से 150 रुपये प्रति घंटे पानी खरीद कर सिंचाई करने में किसानों की आर्थिक रूप से कमर टूटने लगती है। कृषक रामबाबू चौधरी, विनोद राम, नवल किशोर राय, प्रेम शंकर राय आदि ने कहा कि स्टेट बोरिंग के ठप हो जाने से खेती घाटे का सौदा हो चुका है। किसानों ने कहा कि बारिस के भरोसे फसलों का उचित पैदावार प्राप्त करना भी संभव नहीं है। लगातार सूखा रहने के कारण फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। स्टेट बोरिंग के ठप रहने से क्षेत्र में करीब एक हजार हेक्टेयर खेती के सिंचाई के लिए किसानों को महंगे दर पर डीजल खरीद कर पंप सेट पर निर्भर रहता पड़ रहा है। ऐसे में लाभकारी खेती करने की बात बेमानी साबित हो रही है। किसानों ने क्षेत्र के सभी बंद पड़े नलकूपों को चालू कराने व नलकूपों के समीप बिजली आपूर्ति ठीक कराने की मांग प्रशासन से की है। इधर, इस संबंध में बछवाड़ा बीडीओ ने कहा कि, उक्त विभाग के अधिकारी को सूचना दी गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.