उजड़ा जंगल, गायब हुई सुनहरी मैना!
छौड़ाही/बेगूसराय:
जिला कभी वन संपदा को लेकर समृद्ध माना जाता था। खासकर काबर परिक्षेत्र में पेड़-पौधों की भरमार थी। तरह-तरह के पेड़-पौधे और जंगली पशु-पक्षियां यहां निवास करती थी। परंतु, धीरे-धीरे जंगल कटते गए और पशु-पक्षियां गायब होते गए। अब तो जंगली पशुओं में नीलगाय और बनैले सुअर ही बचे हैं। जबकि पक्षियों में चुनमुन्नी, कौआ, सुनहरी मैना, कठफोड़वा आदि भी लगभग नहीं दिख रहे हैं।
पर्यावरणविद् विपिन भारद्वाज कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी सिर्फ किताबों में ही पर्यावरण संरक्षण का रट्टा लगाती है। जबकि, यर्थाथ में जंगल उजड़ते जा रहे हैं। बोले, कठफोड़बा, कौआ (उजले गर्दन वाले), सुनहरी मैना, तोता, चुनमुन्नी, बगेरी, रंग बिरंगी तितलियां आदि अब कभी-कभार ही 'दर्शन' दे जाते हैं। काबर परिक्षेत्र में विचरण करने वाले भालू व हिरण तो इतिहास के पन्नों में सिमट चूके हैं।