बांका में परीक्षा दे रहे महानगरों के परीक्षार्थी
बांका। शिक्षा माफिया ने लंबे समय से बांका को मैट्रिक और इंटर की डिग्री हासिल करने की उपजाऊ भूमि बना
बांका। शिक्षा माफिया ने लंबे समय से बांका को मैट्रिक और इंटर की डिग्री हासिल करने की उपजाऊ भूमि बना रखा है। अब भी जिला में हर साल दस-दस हजार से अधिक छात्र-छात्राएं मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास कर रहे हैं। शिक्षा माफिया दूसरे जिला से ऐसे छात्र को खोज कर लाते हैं। यहां के वित्त रहित कॉलेज में नामांकन करा सीधे फार्म भरवा परीक्षा में बैठा देते हैं। इसमें 90 प्रतिशत से अधिक ऐसे छात्र होते हैं, जो इंटर के दो साल में अपना कॉलेज का भी दर्शन नहीं कर पाते हैं। अभी पिछले साल ही दिल्ली सरकार के मंत्री जितेंद्र तोमर प्रकरण के फर्जी डिग्री मामले पर पूरे देश में हंगामा मचा था। लेकिन, बांका में हर साल 20 हजार से अधिक तोमर पैदा हो रहा है। जिसे बिना पढ़े कौन कहे बिना कॉलेज का दर्शन किये डिग्री मिल रही है। पिछले तीन-चार साल से बांका में नकल के खिलाफ जारी अभियान के बाद भी माफियाओं का रैकेट नहीं टूटा है। नतीजा, अभी 17 केंद्रों पर चल रही इंटर परीक्षा में अधिकांश परीक्षार्थी बाहरी नजर आ रहे हैं। इसमें मुंगेर, खगड़िया और भागलपुर के परीक्षार्थी ही नहीं वरण कोलकाता, दिल्ली, रांची, पटना, दुमका, पूर्णिया, देवघर तक के परीक्षार्थी बड़ी संख्या में परीक्षा देते दिख रहे हैं।
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कैसे चलता है सारा काम
बांका में दो दर्जन से अधिक वित्त रहित से अनुदान वाले इंटर शिक्षण संस्थान है। इसमें अधिकांश में कक्षा और कैंपस का नामोनिशान नहीं है। लेकिन, इन संस्थानों से एक-दो सौ नहीं बल्कि, पांच सौ और हजार की संख्या में हर साल परीक्षार्थी इंटर परीक्षा का फार्म भर रहे हैं। वे परीक्षा देकर इसे पास भी कर रहे हैं। दरअसल, बांका में इस कार्य के लिए बड़ा रैकेट चलता है। जिसके पीछे गाढ़ी कमाई का राज है। पहले बांका में नकल की ज्यादा छूट के चलते भी परीक्षार्थी परीक्षा देना ज्यादा मुनासीब समझते थे। माफिया का यह रैकेट अब तक ¨जदा है। इसके सदस्य शिक्षण संस्थान से मोटा कमीशन लेकर छात्रों को एडिमशन के लिए बांका लाते हैं। छात्रों को पूरे दो साल कॉलेज नहीं आने, टेस्ट परीक्षा, कॉलेज फी देने आदि में भी नहीं आने की छूट देकर हजारों रुपये वसूल लिया जाता है। ऐसे छात्र को सिर्फ इंटर की फाइनल परीक्षा देने ही केंद्र पर पहुंचना होता है।