गन्ना की खेती चूस रहा किसानों का रस
बांका : अमरपुर के किसानों का लंबे समय से हमराही गन्ना यानि केतारी इस बार किसानों का ही रस चूसने पर आ
बांका : अमरपुर के किसानों का लंबे समय से हमराही गन्ना यानि केतारी इस बार किसानों का ही रस चूसने पर आमदा है। किसानों के खेत गन्ना तैयार है। देवोत्थान के बाद जब इसकी कटनी शुरू हुई है तो बाजार भाव देख किसानों का होश पाख्ता है। गन्ना मिल में इसका दर सूखी लकड़ी, मिट्टी और बालू से भी कम लगायी जा रही है। रबी फसल या आलू लगाने के लिए किसानों को खेत खाली करना भी जरूरी है। ऐसे में मजबूरन उन्हें गन्ना की कटाई करनी पड़ रही है। लेकिन, गन्ना बेच घर लौटने वाले किसानों की साल भर की मेहनत बेकार जाने के साथ उनकी पूंजी भी बर्बाद हो रही है। जानकारी के अनुसार अमरपुर और बांका इलाके में इस सीजन में आधा दर्जन के करीब गन्ना मील चालू हो चुका है। लेकिन, यहां लगा गन्ना खरीद का दर देख किसानों के माथे बल पड़ रहा है। गन्ना 125 रूपया ¨क्वटल से 135 रूपया ¨क्वटल बिक रहा है। जबकि, किसानों को खेत से मील तक पहुंचाने में प्रति ¨क्वटल इसका किराया 25-50 रूपया तक पड़ रहा है। ऐसे में किसानों को एक ¨क्वटल गन्ना बेचने पर सौ रूपया से भी कम की आमदनी हो रही है।
समझें गन्ना उत्पादन का गणित गन्ना की खेती किसानों के खेत का सबसे ज्यादा समय लेता है। अमूनन इसकी खेती पर किसान खेत में दूसरे किसी फसल की उम्मीद नहीं कर पाता है। पूरे दस महीने का समय इसकी खेती में जाता है। बुआई के समय इसकी गहरी जुताई और बीज की कीमत पर किसानों को एक बीघा में आठ हजार रूपया से अधिक खर्च आ रहा है। बाद में निकौनी, उर्वरक और ¨सचाई में प्रति बीघा चार से पांच हजार रूपया खर्च आ रहा है। जबकि, बढ़यिा उत्पादन पर यह प्रति बीघा 80 ¨क्वटल तक पहुंचता है। सौ रूपया ¨क्वटल कीमत मिलने पर किसानों को केवल आठ हजार रूपया ¨क्वटल ही आमदनी हो पाती है। ऐसे में किसानों को पांच हजार ¨क्वटल मूल पूंजी फंस रही है। किसानों की दुदर्शा के लिए कौन जिम्मेवार
पांच हजार रूपया बीघा नुकसान होने पर निश्चित रूप से ऐसी खेती से तौबा कर लेंगे। अगर गन्ना की कीमत दो सौ रूपया प्रति ¨क्वटल के करीब मिले तो किसानों को नुकसान नहीं होगा। कीमत इससे अधिक मिलने पर किसानों को बढ़यिा लाभ मिल सकता है। पूर्व में किसानों को गन्ना की कीमत दो सौ रूपया ¨क्वटल मिलता रहा है। गन्ना का सरकारी न्यूनतम दर भी ढाई सौ रूपया से अधिक है। इसमें गुड़ मील वाले किसानों से एक ¨क्वटल में दस से बीस किलो तक अधिक तौल लेता है।