तिलवरिया में फैला छोटी उमर का बड़ा रोग
बांका। रांगा पंचायत के तिलवरिया गांव के महादलित टोला मे सामुदायिक भवन के पास लगे चापाकल का पानी पीने
बांका। रांगा पंचायत के तिलवरिया गांव के महादलित टोला मे सामुदायिक भवन के पास लगे चापाकल का पानी पीने से तीन दर्जन से अधिक लोग कुबड़े हो गये हैं। जहरीला पानी पीने से असमय उनकी कमर झुक गयी है और वे बूढ़े हो गये हैं। गांव में कुबड़ों की फौज तैयार हो गयी है। स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना मिलने पर मामला उजागर हुआ है। ग्रामीणों के म ताबिक पिछले चार-पांच साल से इस बीमारी ने रफ्तार पकड़ी है।
क्या है मामला
तिलवरिया गांव में 50 घर का महादलित टोला है। इस टोला मे दस-पंद्रह साल पूर्व सामुदायिक भवन के पास पीएचईडी विभाग ने एक चापानल लगाया। एक तिहाई महादलित परिवार खाना बनाने एवं पीने के लिए इस पानी का प्रयोग करते हैं। लेकिन तीन चार साल बाद टोला में कुछ लोगों के कुबड़ा होने का मामला सामने आने लगा। लेकिन लोगों को इसका एहसास नहीं हुआ कि पानी की वजह से ऐसा हा रहा है। इसकी संख्या अब तीन दर्जन तक पहुंच गयी। बुजुर्गो की कौन पूछे पांच से दस साल के बच्चे भी इसकी जद में आ गये। पीएचसी चिकित्सा पदाधिकारी डा. राजेश कुमार महतो के साथ वहां पहुंची मेडिकल टीम ने इलाज के बाद पानी का सैंपल संग्रह किया है।
बीमारी का लक्षण बीमारी से ग्रसित मरीज क मानें तो पहले ठंड के साथ त ज बुखार और शरीर के जोड़ पर तेज दर्द होता है। इसके बाद उसके शरीर का हाथ पांव या कोई भी अंग टेढ़ा होने लगता है।
डोली व बारात की सताने लगी ¨चता
चापाकल का पानी पीने छोटी सी उमर में ही बच्चों को इसकी बीमारी लग जा रही है। मासूम बच्चों के परिजन व रिश्तेदार को उनके भविष्य की ¨चता सताने लगी है। कल तक जिस बच्चे की किलकारी से घर गुंजता था आज वह कुबड़ा बनकर मां बाप के सामने बेबस और लाचार हो गया है। खून पसीना से दो जून की रोटी जुगाड़ करने वाले परिवार के लोग अपने बच्चे का इलाज तक कराने में सक्षम नहीं हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के परिजनों को उसके डोली उठने और बारात सजने की अरमानों पर भी मानों पानी फिर गया है। गांव के लालू, प्रीति, नंदू, मोहन, प्रेम, कारी,अरूण, ममता, ललिता आदि की उमर आठ से 12 साल की है। लेकिन सभी इस कारण अपाहिज हो रहे हैं।