विद्यालय की कुव्यवस्था से छात्र पड़ेशान
बांका। इस विद्या की मंदिर में शिक्षकों द्वारा बच्चों को शिक्षा सहित अन्य ज्ञान दी जाती है। उसी मंदिर
बांका। इस विद्या की मंदिर में शिक्षकों द्वारा बच्चों को शिक्षा सहित अन्य ज्ञान दी जाती है। उसी मंदिर में शिक्षकों के आगे बच्चे बिना हाथ धोए भूख के कारण भोजन के लिए मारामारी करते हुए गंदे हाथों से ही खुद भोजन निकाल कर जैसे-तैसे भोजन करने को मजबूर है। इस व्यवस्था को लापरवाही नहीं तो और क्या कहा जाय! जबकि समय-समय पर शिक्षकों को बीआरसी में बच्चों को मध्याह्न भोजन से पहले एवं 'ाौच के बाद साबुन से हाथ धोने हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है जो प्रशिक्षण के समाप्त होते ही शिक्षक उसे भुला देते हैं। हम बात कर रहे हैं कि प्रखंड मुख्यालय स्थित मध्य विद्यालय धोरैया की। मंगलवार को करीब 11 बजे जैसे ही मध्याह्न भोजन की घटी बजी छोटे-से लेकर बड़े बच्चे थाली लूटने को दौड़ पड़े कि 'ायद बाद में थाली नहीं मिल पाए और थाली लेते ही बच्चे रसोई घर के पास पहुंचे जहा बास के डलिये में चावल लिए रसोईया बच्चों का इंतजार कर रहे थे। रसोईया को वितरण में विलंब देख भूख से व्याकूल बच्चों ने खुद अपनी हाथों से चावल निकालते हुए सब्जी के लिए रसोईया के पास गये और एमडीएम को लेकर विद्यालय परिसर में स्थित कुंआ के चैपाल एवं रसोई घर में बच्चे बैठकर खाना 'ाुरू कर दिया। इस दौरान बच्चों को 'ायद यह भी पता नहीं चल पा रहा था कि जहा वह बैठकर भोजन कर रहे थे। जहा चुल्हे मे आग धधक रही थी और कुंआ में पानी के बदले गंदा कचरा। इस दौरान भोजन लेने के लिए धक्का मुक्की करने करते देख उसे ना तो रसोईया रोकने की पहल कर रही है और ना ही विद्यालय के शिक्षक ही। विद्यालय में एक शिक्षक रसोई घर के पास बैठ कर बच्चों का तमाशा देख रहे थे। बच्चों को चावल देने के दौरान धक्का मुक्की करते देख रसोईया भी चावल परोसना छोड़ दिया है। वहीं मध्याह्न भोजन के दौरान प्रधानाध्यापक थे और ना अन्य शिक्षक। जबकि इस विद्यालय में आधा दर्जन से अधिक शिक्षक कार्यरत है। मंगलवार को मीनू के अनुसार गिला चावल एवं आलू, सोयाबीन की सब्जी बच्चों को देना था। लेकिन गिला चावल के नाम पर फिर्स चावल एवं आलू सोयाबीन की पानी जैसी सब्जी दी गयी। जबकि नियमानुसार बच्चों को मध्याह्न भोजन से पहले हाथ धुलवाना है। इसके बाद उन्हें पंक्ति में बैठाकर रसोईया को थाली वितरण करने के बाद बच्चों को खाना देती है। इस भोजन के दौरान बच्चों को पानी भी पिलाना है। लेकिन सुबह उलटा देखा गया। यहा बच्चों को हाथ धुलाने की तो दूर उन्हें खुद भोजन निकालकर खाना पड़ा। इतना ही नहीं भोजन के बाद बच्चों को उसी बर्तन से पानी पीना पड़ा तथा उसकी साफ-सफाई भी करनी पड़ी।
बीईओ अस्फाक आलम ने बताया कि यह विद्यालय प्रधान की लापरवाही है। उन्होंने विद्यालय प्रधानाध्यापक को मोबाइल पर फटकार लगाते हुए स्थिति में सुधार लाने का निर्देश दिया अन्यथा कार्रवाई हेतु वरीय पदाधिकारी को लिखे जाने की बात कही।